राहुल गांधी आर्थिक सामाजिक विकास को लेकर लगातार आवाज उठा रहे हैं, जनता के बीच पदयात्रा व कड़ा संघर्ष कर रहे हैं।सपा बसपा ने अति पिछड़ों दलितों और अल्पसंख्यकों का वोट लेने के बाद भी उन्हें सत्ता में भागीदारी नहीं दिया और हमेशा खुद के परिवार से मुख्यमंत्री बनाया। विगत साढ़े 8 सालों में मोदी सरकार में अतिदलितों और अतिपिछड़ों को उनके सामाजिक आर्थिक अधिकारों से वंचित रखने का षड्यंत्र किया जा रहा है। कांग्रेस ने फिरकापरस्त और सांप्रदायिक ताकतों के साथ कभी समझौता नहीं किया, जबकि सपा और बसपा का चरित्र इस मुद्दे पर उजागर।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजनीति में सबसे लंबे समय तक सत्ता का सुख भोगने वाली सपा और बसपा ने लगातार पिछड़ों दलितों को छला है। दोनों ही दलों ने भारतीय जनता पार्टी के लिए हमेशा सांप्रदायिकता के आधार पर वोटों के बंटवारे के लिए ध्रुवीकरण की जमीन तैयार किया। इन दोनों दलों ने लगातार लंबे अरसे से बीजेपी से मिलकर 17 अति पिछड़ी जातियों सहित समूचे कमेरा समाज के साथ सौतेला व्यवहार किया है। यह प्रतिक्रिया समाजवादी पार्टी और बसपा के बीच छिड़ी जंग पर तीखा प्रहार करते हुए उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता विकास श्रीवास्तव ने दिया है।
उन्होंने कहा कि आज बीजेपी भी दो बिल्लियों की लड़ाई वाली कहानी को चरितार्थ करते हुए सपा बसपा से नाराज अति पिछड़ी जातियों के वोटों को अपने पक्ष में झूठ बोल, गुमराह करके सत्ता हासिल करने में सफल रही है। जबकि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी देश के प्रत्येक गांव, विधानसभा क्षेत्रों में रहने वाली विभिन्न अति पिछड़ी दलित जातियों, आदिवासी समुदाय, अल्पसंख्यक, स्वर्ण जातियों यानि सर्व समाज की संस्कृति, भाषा, रहन सहन के साथ घुलमिल रहें। महंगाई बेरोजगारी के खिलाफ ‘‘भारत जोड़ने के संकल्प’’ के साथ 150 दिन, लगभग 3570 किलोमीटर कन्याकुमारी से कश्मीर तक पैदल चल रहे हैं। राहुल गांधी देशवासियों के आर्थिक सामाजिक विकास को लेकर लगातार आवाज उठा रहे हैं और जनता के बीच रहकर कड़ा संघर्ष कर रहे हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता विकास श्रीवास्तव ने कहा कि पिछड़ों और दलितों की हिमायती बनने वाली सपा और बसपा इन दोनों ही दलों ने अपनी सरकारों में अतिपिछड़ी और अतिदलितों के साथ पिछले 32 वर्षों से लगातार सौतेला व्यवहार किया है। उन्हें कांग्रेस पार्टी द्वारा दिए गए नौकरियों और सरकारी संसाधनों में संवैधानिक आरक्षण व्यवस्था के समान वितरण से हमेशा वंचित रखा। समाजवादी पार्टी जब तक सत्ता में रही एक जाति को छोड़कर किसी अन्य पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों का भला कदापि नहीं हुआ। ठीक वैसा ही व्यवहार बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती जी के शासनकाल का भी रहा। लगातार सत्ता में रहने के बावजूद बीजेपी से मिलकर सपा और बहन मायावती ने सामाजिक नफरत और विघटन की राजनीति को हमेशा बढ़ावा दिया। सपा बसपा की राजनीति केवल पिछड़ी और दलित बिरादरी को हमेशा सामाजिक विघटन का शिकार बनाए रखना और सत्ता हासिल करने का षड्यंत्र रहा है। ना सफल हो पाने की स्थिति में बीजेपी को सत्ता की चाभी सौंपने में भी अपनी विचारधारा से समझौता करने में भी यह दल पीछे नहीं रहे।
कांग्रेस प्रवक्ता ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव और मायावती को एक ही सिक्के के दो पहलू बताते हुए कहा दोनों का मकसद प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस को कमजोर कर बीजेपी आरएसएस की पृष्ठभूमि मजबूत करना रहा है। नफरत विघटन की राजनीति और वोटों के ध्रुवीकरण ने बीजेपी को मजबूत किया। बारी-बारी गैर कांग्रेसी सरकार बनाकर, तीनों दलों ने जनता के लिए, सर्व समाज के लिए बिना कोई व्यापक संघर्ष किए कई बार सत्ता का स्वाद चखा। भाजपा समेत सपा और बसपा ने अपनी सरकार बनाने के बाद पिछड़ों और दलितों के साथ दोहरा मापदंड अपनाया। इनके झूठ का शिकार सामान्य वर्ग के मतदाता भी लगातार हुए हैं। यह भी सच बात है कि सपा बसपा ने अति पिछड़ों दलितों और अल्पसंख्यकों का वोट लेने के बाद कभी भी उन्हें सत्ता में भागीदारी नहीं दिया और हमेशा खुद के ही परिवार से मुख्यमंत्री बनाया। आज अखिलेश यादव केशव मौर्या को लेकर जो तंज कस रहे हैं, अत्यंत हास्यप्रद है।
विकास श्रीवास्तव ने सपा और बसपा की भांति बीजेपी को भी घोर अति पिछड़ा और दलित विरोधी बताते हुए कहा कि इस सच्चाई से भी नहीं नकारा जा सकता है कि मोदी सरकार ने महात्मा गांधी के जन्मदिन 2 अक्टूबर 2017 पर अति पिछड़ों दलितों के साथ पिछले 32 वर्षों से हो रहे सामाजिक अन्याय की समीक्षा के लिए जस्टिस रोहिणी आयोग का गठन किया। अति पिछड़ा और अति दलितों को सामाजिक न्याय न देना पड़े, इस पिछड़ा दलित विरोधी नियति से मोदी सरकार जस्टिस रोहिणी आयोग का कार्यकाल अब तक 13 बार बढ़ा चुकी है। संसद में केंद्र की मोदी सरकार जातीय जनगणना कराने के मामले में पहले ही साफ मुकर चुकी है। पिछड़ों ,अति पिछड़ों व सर्वाधिक पिछड़ों को सामाजिक न्याय दिलाने के लिए गठित जस्टिस राघवेंद्र कमेटी की चार सौ पन्ने की रिपोर्ट को भी मोदी सरकार अपने पिछले कार्यकाल में ही नकार चुकी है।
अति पिछड़ों और दलितों के वोटों से दो बार केंद्र में मोदी जी प्रधानमंत्री हो चुके हैं और उत्तर प्रदेश में योगी जी दूसरी बार मुख्यमंत्री हैं। बीजेपी तो सपा और बसपा से चार हाथ आगे निकल गई। विगत साढ़े 8 सालों में मोदी सरकार में अतिदलितों और अतिपिछड़ों को उनके सामाजिक आर्थिक अधिकारों से वंचित रखने का षड्यंत्र किया जा रहा है। अब निजीकरण के माध्यम से आरक्षण के पुनीत मकसद को खत्म करने का षड्यंत्र चल रहा है। बीजेपी का मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख समेत तमाम बड़े नेता कई बार मीडिया में आरक्षण व्यवस्था की खिलाफत कर चुके हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता विकास श्रीवास्तव ने कहा कि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी बिहार और गुजरात में कई बार विधानसभा चुनावो में अपनी जमीन न होने के बावजूद चुनाव लड़ा और भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनवाने में हमेशा मदद किया। बसपा ने तो गुजरात में खुलकर बीजेपी की सरकार बनवाने में हर बार मदद किया और उनके प्रवक्ता के तौर पर आज भी लगातार अपना राजनीतिक चरित्र दिखा रही हैं।
इस ध्रुवीकरण की राजनीति से कांग्रेस का राजनीतिक नुकसान जरूर हुआ। लेकिन आज धर्म ,जाति ,नफरत के एजेंडे पर चलकर उत्तर प्रदेश का आर्थिक व सामाजिक विकास लगातार पिछड़ता चला जा रहा है। ईडी सीबीआई का डर और दबाव सपा और बसपा की आजकल चल रही बदजुबानी में साफ साफ दिखाई दे रहा है। उत्तर प्रदेश की राजनीति में बसपा और सपा अपना नैतिक व राजनैतिक आधार खो चुके हैं। मीडिया की चर्चा में रहने और ध्रुवीकरण की राजनीति में अपने कुछ विधायकों की संख्या बढ़ाने का राजनीतिक षड्यंत्र दोनों दल लगातार करते ही रहते हैं। इसलिए जन मुद्दों और जनता से लगातार किनारा कर चुकी सपा और बसपा षड्यंत्र के तहत कांग्रेस को रोकने के लिए बीजेपी को खुलकर पूरा मैच खेलने का अवसर देती है। देश की अर्थव्यवस्था व सामाजिक ताने-बाने को समाप्त करने वाली सपा बसपा और मौजूदा योगी मोदी सरकार से प्रदेशवासियों में अब ऊबन का माहौल है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और उसके नेतृत्व ने आज तक फिरकापरस्त और सांप्रदायिक ताकतों के साथ कभी समझौता नहीं किया। जबकि सपा और बसपा का चरित्र इस मुद्दे पर पूरी तरह जनता के बीच उजागर हो चुका है।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि आज देश में व्याप्त बेतहाशा महंगाई बेरोजगारी, बढ़ती आर्थिक असमानता को लेकर कांग्रेस नेतृत्व पूरी तरह चिंतित हैं। बढ़ते सामाजिक वैमनस्य को देखते हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी कन्याकुमारी से कश्मीर तक 3570 किलोमीटर की पदयात्रा करके आम जनमानस के दुख दर्द में शामिल हो रहें, जान रहे। कांग्रेस पार्टी ने राहुल गांधी के नेतृत्व में देश के प्रत्येक गांव, विधानसभा क्षेत्रों में रहने वाली विभिन्न जातियों, समुदाय की संस्कृति, भाषा, रहन-सहन के साथ घुल मिल कर भारत जोड़ने का संकल्प लिया है। राहुल गांधी देशवासियों के आर्थिक सामाजिक विकास को लेकर लगातार आवाज उठा रहे हैं और जनता के बीच जा रहे, कड़ा संघर्ष कर रहे हैं। ‘‘भारत जोड़ो यात्रा’’ में उत्तर प्रदेश से भी दो दर्जन से ज्यादा युवा कांग्रेसजन 12 राज्यों और 2 केंद्र शासित राज्य के विभिन्न शहर और गांव में भारत के आर्थिक सामाजिक विकास की आवाज को मोदी सरकार के कानों तक बुलंद करने के लिए पैदल चल रहे हैं।