जलवायु परिवर्तन पर भारत की भूमिका

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जलवायु परिवर्तन पर भारत की भूमिका
जलवायु परिवर्तन पर भारत की भूमिका

डॉ.सुधाकर कुमार मिश्रा 

 वर्तमान और भविष्य की  पीढ़ियों की जीवन शैली के प्रतिदर्श में सकारात्मक परिवर्तन के लिए भारत की भूमिका महत्वपूर्ण एवं प्रशंसनीय है। नीतियां और वैश्विक व्यवस्था की पहल समस्त बुराइयों पर राहत  नहीं दे सकती जब तक भारत सहित वैश्विक समुदाय इस महायज्ञ में आहुति देने के लिए संकल्पित भाव से काम ना कर सके । किसी भी काम की गुणवत्ता ,उसके कार्यकर्ता के कार्य, प्रभाव, महत्वपूर्ण भूमिका और व्यक्तित्व से होता है। व्यक्तिगत क्रियाएं और मानवीय व्यवहार प्रतिदर्श जलवायु से संबंधित क्रियाएं और जलवायु से संबंधित मुद्दों के समाधान का एक महत्वपूर्ण भाग हो सकता है। जलवायु परिवर्तन पर भारत की भूमिका

वैश्विक स्तर पर जलवायु समस्या के समाधान के लिए भारत का प्रयास महत्वपूर्ण और आवश्यक है क्योंकि भारत वैश्विक स्तर पर उभरता नेतृत्व है जो विकसित और विकासशील राष्ट्र – राज्यों का नेतृत्व कर रहा है। भारत अपने  लोगों को हरित विकल्पों और टिकाऊ उपभोग प्रतिदर्श अपनाने में सहयोगी है। यह अच्छी संक्रिया है जो चिरकाल  तक युवाओं के व्यवहार में आकर उनकी आदत बन जाती है। भारत वैश्विक स्तर पर युवाओं को जलवायु अनुकूल और टिकाऊ उपभोग के प्रेरक कार्य जलवायु न्याय की दिशा में उपादेय सिद्ध होगा। प्रयागराज में आयोजित होने वाला” ‘प्रयाग महाकुंभ, 2025’ जलवायु न्याय की दिशा में सकारात्मक एवं प्रासंगिक उत्सव है।

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 भारत संपूर्ण संसार के लिए एवं पृथ्वी ग्रह के स्वास्थ्य के रख रखाव के अपने मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में समानता और जलवायु न्याय के साथ एक सामूहिक यात्रा करने का क्षमता और धारिता रखता हैं। जलवायु परिवर्तन में भारत की भूमिका भूमंडलीय तापन और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक स्तर के संघर्ष में महान योगदान है । भारत ने विकसित राष्ट्र- राज्यों और विकासशील राष्ट्र – राज्यों के लिए जलवायु परिवर्तन के लिए” एक साथ कार्यान्वयन की नीति की अनुशंसा की है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत का कहना  है कि पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रत्येक व्यक्ति, समाज, नागरिक समाज, नागरिक सरकार एवं संगठन को आगे आना होगा । किसी भी शुभावसर के लिए पहला कदम स्वयं चलना होता है। उत्पादन, वितरण एवं उपभोग के हर चरण में हम सभी को प्रकृति ,पर्यावरण और मातृ भूमि का ध्यान रखना चाहिए। वर्तमान में संपूर्ण दुनिया जलवायु संकट से जूझ रही है, तब भारत की ओर संपूर्ण विश्व समुदाय देख रहा है। भारत ने प्रकृति अनुकूल व्यवहार और परंपराओं से यह प्रमाणिकता अर्जित की है।

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वर्तमान में भारत ग्रीन हाउस गैसों (CHG) का तीसरा सबसे बड़ा उत्सर्जक है. इसके पीछे उत्तरदाई कारक है कि भारत वैश्विक स्तर पर दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या वाला राज्य है। भारत को ऐतिहासिक उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता  जिसके लिए अधिकांश विकसित राष्ट्र-राज्य जिम्मेदार हैं । वर्तमान में भारत वैश्विक स्तर पर लगभग लगभग सभी बहुपक्षीय शिखर सम्मेलनों एवं बहुपक्षीय अंतरराष्ट्रीय संगठनों में नियम- निर्धारक की भूमिका निभा रहा है जो विशेष तौर पर वैश्विक भूतापन और जलवायु परिवर्तन से संबंधित है । भारत परंपरागत स्तर पर सरल जीवन शैली और व्यक्तिगत प्रथाएं, जो प्रकृति में टिकाऊ है, पृथ्वी माता के स्वास्थ्य की संरक्षा कर सकता है । यह कार्य निश्चित तौर पर भूमंडलीय तापन के प्रभाव को न्यून करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस कदम से प्राकृतिक आपदाओं का प्रभाव न्यून किया जा सकता है। इससे विकासशील देशों के अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव दिखाई दे रहा है।

जलवायु परिवर्तन पर भारत की भूमिका
जलवायु परिवर्तन पर भारत की भूमिका

 भारत ने वैश्विक स्तर पर अपने दीर्घकालिक उत्सर्जन विकास रोड मैप को प्रस्तुत किया है और वर्ष 2030 तक शुद्ध शून्य लक्ष्य प्राप्त करने के उद्देश्य से अपने घरेलू स्तर पर निर्धारित योगदान का वर्णन किया है। भारत विकसित राष्ट्र- राज्यों से वित्तीय सहायता की वकालत करता है जिससे वह विकासशील राष्ट्र – राज्यों के साथ न्यायपूर्ण सहयोग कर सके । भारत जलवायु प्रेरित आपदाओं के प्रति संवेदनशील और पीड़ितों के लिए ‘नुकसान और क्षति’ का प्रबल समर्थक रहा है। भारत ने वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए जीवाश्म ईंधन में कटौती के वादों को भी दोहराया है। भारत ने वैश्विक स्तर के राष्ट्र- राज्यों से वादा किया है कि उसने उत्सर्जन में कटौती के लिए पहले से ही सकारात्मक पहल की है। भारत का सफलतम और दृढ़ विश्वास है कि जलवायु परिवर्तन के दिशा में पहले से ही सफल प्रयास कर रहा है । भारत में पहले ही  ‘ दीर्घकालिक कम उत्सर्जन विकास रणनीति’ पर काम कर रहा है जो प्रमुख आर्थिक क्षेत्र में उत्सर्जन कम करने पर जोर है । भारत नवीकरणीय ऊर्जा,पवन ऊर्जा ,सौर ऊर्जा ,एथेनॉल मिश्रित ईंधन और हरित ऊर्जा के लिए कार्य योजना एवं गंभीर प्रयास कर रहा है। 

 मानव जाति के सुखमय और  आनंदमय भविष्य के लिए स्वस्थ जीवन शैली की पैरवी करता है। नियंत्रित उपभोग और नियंत्रित उत्सर्जन के लिए भारतीयों को प्रेरित करता है। पर्यावरण के संरक्षण के लिए स्वस्थ जीवन शैली होनी चाहिए। मैं भारत के कई समकालीन संत  व्यक्तित्व को जानता हूं जो अपने चीर अवस्था के बावजूद भी प्रवास के दौरान कार्यकर्ताओं के यहां ही भोजन या उनके द्वारा उपलब्ध भोजन  करते हैं, यह उनकी नियंत्रित जीवन शैली है। भारत संत स्वरूप जीवन शैली का प्रशंसक हैं और इसको वैश्विक स्तर पर अपनाने का पैरवी करता है। भारत वैश्विक समुदाय को व्यक्तिगत ,पारिवारिक और समुदाय आधारित जीवन शैली में जलवायु परिवर्तन के प्रति सजग रहने को प्रेरित कर रहा है। वैश्विक समुदाय वैश्विक तापन और जलवायु परिवर्तन के कारण पीड़ित है। भारत की सोच व्यक्ति,परिवार और समुदाय को उपभोग नियंत्रित और जलवायु परिवर्तन के शमन के प्रति उत्प्रेरित करना है।

 भारत वैश्विक तापन और जलवायु परिवर्तन के विषय के प्रति गंभीर चिंतित है। भारतीय नीति- निर्माता इस लक्ष्य के प्राप्ति के लिए शासकीय स्तर पर सक्रिय हैं। भारत में पाई जाने वाली विशेष प्रकार की वनस्पति “मैंग्रोव” है जो वैश्विक स्तर पर सर्वाधिक उत्पादक पारिस्थितिकी तंत्र है। मानवीय जीवन में’ मैंग्रोव’ की सहभागिता है कि यह कार्बन में समृद्ध है  मैंग्रोव समुद्र के स्तर में वृद्धि, चक्रवात और तूफान की बढ़ती आवृत्ति के खिलाफ लड़ने का सबसे अच्छा विकल्प है। भारत अपने विश्वविद्यालय और महाविद्यालय में “ट्रांसफॉर्मेटिव ग्रीन एजुकेशन “को सम्मिलित करके युवा  पीढ़ी को अभिनव उपकरणों, तकनीकों और विधियों के माध्यम से पर्यावरण के लिए पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन की दिशा में शिक्षित करके पृथ्वी माता को सुरक्षित करना चाहता है । भारत वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के जीवन शैली के प्रति दर्श में बुनियादी बदलाव करके सकारात्मक और संतुष्ट जीवन पर्यावरण का निर्माण कर रहा है।

 भारत जलवायु परिवर्तन की क्षतिपूर्ति के लिए विकसित राष्ट्र-राज्यों से जलवायु वित्त (क्लाइमेट फंड) के लिए दबाव बना रहा है। भारत वैश्विक स्तर पर नुकसान और  क्षति के वित्त के भागीरथी प्रयास करके विकसित राष्ट्र – राज्यों के विरुद्ध अंगद के पैर की तरह विकासशील राष्ट्र-राज्यों के साथ प्रबल समर्थक के तौर पर खड़ा है। विकासशील राष्ट्र – राज्यों भारत को संकट मोचक के तौर पर देख रहे हैं कि वैश्विक तापन और जलवायु परिवर्तन की चुनौती का मुकाबला करने के लिए एक समर्थ ,साहसी, एकबात पर अडिग,धनलोलुपविहीन सोच का जिम्मेदार नेता  है। जलवायु परिवर्तन पर भारत की भूमिका