

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल अक्सर विपश्यना करते हैं। विपश्यना एक तरह का ध्यान है जिसमें व्यक्ति पूरी तरह से एकांत में रहकर आत्मनिरीक्षण करता है। मंगलवार को केजरीवाल ने पंजाब के होशियारपुर में 10 दिन का विपश्यना सत्र शुरू किया। यह कुछ ही हफ्ते पहले दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा से हारने के बाद हुआ है जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री अपनी सीट भी हार गए थे। आप नेता ने दिल्ली में नए विधानसभा के पहले सत्र के ठीक एक दिन बाद विपश्यना शुरू की। इस सत्र में आप सरकार के कामकाज पर कई नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) रिपोर्ट पेश की गईं। इनमें शराब नीति का मामला भी शामिल था जिसमें केजरीवाल जमानत पर हैं। केजरीवाल का पंजाब दौरा ऐसे समय में महत्वपूर्ण हो जाता है जब कांग्रेस दावा कर रही है कि कई आप विधायक दल बदलने को तैयार हैं। कांग्रेस का यह भी कहना है कि केजरीवाल अब पंजाब की राजनीति में बड़ी भूमिका निभाएंगे। आप ने ऐसी सभी अफवाहों को खारिज कर दिया है जिसमें यह भी शामिल है कि भगवंत मान को पंजाब के मुख्यमंत्री पद से हटाया जाएगा। पंजाब में अभी आप की सरकार है। केजरीवाल का विपश्यना जाना राजनीति से प्रेरित कैसे हो सकता है!
केजरीवाल के विपश्यना सेंटर जाने की पहली जानकारी 4 दिसंबर, 2013 में मिली थी। वो दिल्ली विधानसभा चुनाव के कुछ दिन बाद गए थे। तब आम आदमी पार्टी (एएपी) ने पहली बार चुनाव लड़ा था। 8 दिसंबर, 2013 को मतगणना से पहले वो लौट आए। आप ने उस चुनाव में 70 में से 28 विधानसभा सीटें जीतीं और केजरीवाल पहली बार मुख्यमंत्री बने। उन्हें कांग्रेस का समर्थन मिला था जो शीला दीक्षित के नेतृत्व में लगातार तीन कार्यकाल के बाद आठ सीटों पर सिमट गई थी हालांकि, केजरीवाल का पहला कार्यकाल दो महीने से भी कम समय तक चला। कांग्रेस द्वारा समर्थन नहीं देने के कारण भ्रष्टाचार विरोधी जन लोकपाल विधेयक पारित नहीं हो सका। इसके बाद फरवरी 2014 में केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया और दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया।
केजरीवाल का दूसरा विपश्यना सत्र हरियाणा में चला। तब 2014 के लोकसभा चुनाव हुए और नतीजे घोषित होने से कुछ दिन पहले केजरीवाल विपश्यना सेंटर पहुंच गए थे। केजरीवाल ने उस चुनाव में वाराणसी से नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ा था। आप ने 432 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन सिर्फ चार सीटें जीत पाई थी। केजरीवाल तीसरी बार अगस्त 2016 में हिमाचल प्रदेश के विपश्यना सेंटर पहुंचे थे। यह 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी की जीत के बाद हुआ जिसमें वह दूसरी बार मुख्यमंत्री बने थे। जब वह विपश्यना पर थे, दिल्ली उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि राजधानी ’’लेफ्टिनेंट गवर्नर के प्रशासनिक नियंत्रण में एक केंद्र शासित प्रदेश बनी रहेगी’’ और इसे राज्य का दर्जा प्राप्त नहीं होगा’’। उस समय तक केंद्र के साथ आप सरकार की तनातनी शुरू हो चुकी थी क्योंकि वह राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासन के नियंत्रण को लेकर एलजी कार्यालय के साथ लगातार तकरार में थी। केजरीवाल ने बार-बार केंद्र पर एलजी के माध्यम से दिल्ली के मामलों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया।
सितंबर 2017 में दिल्ली के बवाना विधानसभा उपचुनाव में पार्टी की जीत के बाद केजरीवाल महाराष्ट्र में 10 दिन के विपश्यना दौरे पर गए। यह उपचुनाव आप विधायक वेद प्रकाश के इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल होने के कारण हुआ था। सितंबर 2021 में आप के पहले चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में भाग लेने से कुछ महीने पहले केजरीवाल फिर से जयपुर में विपश्यना करने गए। केजरीवाल ने 2022 साल का अंत एक विपश्यना सत्र के साथ किया। केजरीवाल ने विपश्यना केंद्र जाने से पहले एक्स पर पोस्ट किया, ’’कई सौ साल पहले भगवान बुद्ध ने यह ज्ञान दिया था। क्या आपने विपश्यना की है? यदि नहीं, तो अवश्य करें। इसके बहुत सारे मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक लाभ हैं।’’ लौटने के बाद उन्होंने कहा, ’’सात दिनों के विपश्यना ध्यान के बाद मैं आज बाहर आया हूं। ध्यान ने मुझे हमेशा आध्यात्मिक शक्ति और मानसिक शांति दी है। इस बार भी मैं और अधिक ऊर्जा और देश की सेवा करने के संकल्प के साथ लौट रहा हूं।’’ भाजपा ने केजरीवाल पर ’’आराम की छुट्टी’’ लेने का आरोप लगाया जबकि दिल्ली के नागरिक ’’कड़ाके की सर्दी में पीड़ित’’ थे।
दिसंबर 2023 के अंत में जब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें दिल्ली आबकारी नीति मामले में पूछताछ के लिए बुलाया तो केजरीवाल 10 दिन के विपश्यना सेशन के लिए पंजाब रवाना हो गए। मुख्यमंत्री पिछले दो ईडी समन में भी शामिल नहीं हुए थे। भाजपा ने यात्रा के समय और पंजाब जाने को लेकर केजरीवाल पर निशाना साधा। जानकारों का यह भी कहना है कि विपश्यना में व्यक्ति पूरी तरह से एकांत में रहकर आत्मनिरीक्षण करता है ताकि वह सत्य के मार्ग पर पूर्ण विश्वास से आगे बढ सके और सब में समभाव रखते हुए सेवा को तत्पर रहे लेकिन केजरीवाल द्वारा की जा रही राजनीति को लेकर विश्लेषक जो परिणाम बता रहे है, उसे लेकर यह किसी भी रूप में नहीं कहा जा सकता कि विपश्यना में रह कर उन्होंने राष्ट्रहित में आत्मनिरीक्षण किया हो। जिस तामझाम से वे पंजाब में विपश्यना के लिए आये है उससे लोगों को लगता है कि केजरीवाल पंजाब में राजनीतिक स्तर पर पैर जमाने के लिए जमीन का खुरदरापन तो नहीं टटोल रहे है। इस बात की आशंका पंजाब के नेताओं ने भी व्यक्त की है। पंजाब के सीएम मान ने भी ऐसी बातों को नकारा है। खैर, एकांत में रहकर आदमी वही तो करेगा जिस प्रकार का उसका बौद्धिक स्तर होगा। अब उसमें निर्माण की बात आती है या बिखेरने की, यह अलग बात है। केजरीवाल का विपश्यना जाना राजनीति से प्रेरित कैसे हो सकता है!