फतेहगढ़ जेल में कैदियों से हो रही अवैध वसूली। बैठकी के नाम पर वसूले जा रहे प्रति कैदी छह हजार। जेेल काटकर आए कैदी ने किया जेल अफसरों का खुलासा।
आर.के.यादव
लखनऊ। फतेहगढ़ सेंट्रल जेल में अराजकता का माहौल बना हुआ है। इस जेल में कैदियों से जमकर कर वसूली की जा रही है। हकीकत यह है कि अधिकारियों ने जेल में खुलेआम लूट मचा रखी है। नियमों को ताक पर रखकर की जा रही इस अवैध वसूली से पूरी जेल के कैदी परेशान है। कैदियों से बैठकी के नाम पर मनमानी रकम वसूल की जा रही है। यही नहीं परिवार की ओर से दिए गए पैसे को भी जेल प्रशासन के अधिकारी कैदियों को नहीं देते हैं। यह दर्द फतेहगढ़ सेंट्रल जेल में छह माह की सजा काटकर रिहाई हुए कैदी देवेंद्र सिंह ने व्यक्त किया। रिहा हुए कैदी देवेंद्र सिंह ने बताया कि एक मामले में उसे और उसके परिवार के चार अन्य सदस्यों को गिरफ्तार करके पुलिस ने हरदोई जेल भेजा। जेल में रहने के दौरान उन्हें सजा सुना दी गई। बीते दिसम्बर माह में हरदोई जेल प्रशासन के अधिकारियों ने मामले में गिरफ्तार हुए परिवार के चार सदस्यों समेत सात लोगों को सेंट्रल जेल फतेहगढ़ स्थानांतरित कर दिया। भुक्तभोगी कैदी ने बताया कि फतेहगढ़ जेल पहुंचने के साथ ही जेल प्रशासन के अधिकारियों ने उत्पीडऩ शुरू कर दिया। जेल अधिकारियों ने जेल में काम नहीं करने के लिए बैठकी के नाम पर परिवार के चार सदस्यों से प्रति व्यक्ति छह हजार रुपए वसूल किए। 24 हजार रुपये देने के बाद भी उन्हें कोई राहत नहीं दी गई।
वरिष्ठ अधीक्षक ने लगाए गए आरोपों से किया इनकार– फतेहगढ़ सेंट्रल जेल में कैदियों के उत्पीडऩ और अवैध वसूली के संबंध में जब जेल के वरिष्ठ अधीक्षक प्रेमनाथ पाण्डेय से बातचीत की गई तो उन्होंने लगाए आरोपों को सिरे से नकारते हुए कहा कि यदि किसी कैदी से पैसे की मांग की गई तो उसने इसकी शिकायत क्यों नहीं की। इसके साथ ही उनका कहना है कि सेंट्रल जेल में बैठकी के नाम पर कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। जेल में मनमानें दामों पर खानपान की वस्तुओं की बिक्री के बारे में उनका कहना है कि यह आरोप भी निराधार है।
कैदी का आरोप है कि जेल प्रशासन के अधिकारी परिवार की ओर से जेल में खर्च के लिए दिए गए पैसा भी नहीं देते है। परिवार की ओर से यदि पांच हजार रुपए जमा कराया जाता है तो जेल प्रशासन के अधिकारी सिर्फ छह सौ रुपया प्रतिमाह ही कैदियों को देते है। बाकि पैसा अपने पास ही रखते है। इससे कैदियों को खानपान की वस्तुएं लेने में तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। देवेंद्र का कहना है कि जेल प्रशासन के अधिकारी जेल के अंदर खुलेआम मनमाने दामों पर प्याज, टमाटर, आलू, खीरा, ककड़ी हरी मिर्च की बिक्री करवाते है। अधिकारियों ने यह काम प्रशासनिक आधार पर स्थानांतरित होकर आए तीन कैदियों के सुपुर्द कर रखा है। इन कैदियों की मनमानी से जेल के सभी कैदी त्रस्त हैं।
रिहा हुए कैदी के परिवार की माने तो जेल अधिकारी कैंटीन की बिक्री बढ़ाने के लिए बंदियों के राशन में कटौती कर प्रतिमाह लाखों रुपये का वारा न्यारा कर रहे है। यही नहीं जेल अधिकारी राशन कटौती, मशक्कत, कैंटीन व पीसीओ मद से जेल में प्रतिमाह लाखों रुपये की कमाई कर जेब भरने में जुटे हुए है। पिछले दिनों कैदी सुरेश सिंह चौहान जो कि पहले कैंटीन में बिक्री का काम करता था। अफसरों के मनमाफिक काम नहीं करने पर उसकी जमकर पिटाई की गई। उसके पास रखे हजारों रुपए भी छीन लिए गए। सूत्रों का कहना है कि इस मोटी कमाई का एक हिस्सा शासन में बैठे आला अफसरों के पास पहुंचाया जाता है। इसलिए आला अफसर कैदियों के उत्पीडऩ से बेखबर हैं।