
2027 में करोड़ों नए मतदाता पहली बार वोट करेंगे। ये युवा मतदाता न तो सिर्फ जातीय समीकरण देखते हैं, न ही परंपरागत वादों से प्रभावित होते हैं। उनके मुद्दे होंगे-रोज़गार, शिक्षा, तकनीकी अवसर और ग्लोबल प्रतिस्पर्धा। 2014 से शुरू हुई एकदलीय वर्चस्व की लहर क्या 2027 तक कायम रह पाएगी या विपक्ष किसी वैकल्पिक मॉडल के साथ उभरेगा-यह तय करेगा कि देश किस दिशा में आगे बढ़ेगा। 2027 का चुनाव: क्यों होगा ऐतिहासिक..?
भारतीय लोकतंत्र एक ऐसे दौर में प्रवेश कर रहा है जहाँ हर चुनाव सिर्फ सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि सोच, संरचना और समाज के नए आयामों को जन्म देता है। वर्ष 2027 का आम चुनाव भी ऐसा ही एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है, जो आने वाले वर्षों की राजनीतिक दिशा और दशा को पुनर्परिभाषित करेगा।2027 में भारत की आबादी का बड़ा हिस्सा युवा होगा। यह युवा वर्ग पारंपरिक जातीय-धार्मिक नारों से अधिक, शिक्षा, रोजगार, तकनीक और जीवन-स्तर की अपेक्षाओं से प्रभावित होगा। यदि राजनीतिक दल उनकी आशाओं को समझने में विफल रहते हैं, तो नये आंदोलन और राजनीतिक विचारधाराएं जन्म ले सकती हैं।
समाजवादी पार्टी के सभी कार्यकर्ता एकजुट होकर बूथ स्तर तक पार्टी संगठन को मजबूत बनाकर भाजपा का सफाया करना होगा।2027 का विधानसभा चुनाव देश की राजनीति को बदलने वाला साबित होगा। चुनावों में भाजपा की धांधली रोकना होगा। भाजपा की साजिशों से सावधान रहना होगा। अखिलेश यादव आज समाजवादी पार्टी के प्रदेश मुख्यालय, लखनऊ में डॉ. राममनोहर लोहिया सभागार में बड़ी संख्या में एकत्र पार्टी कार्यकर्ताओं को सम्बोधित कर रहे थे। उनके सम्बोधन के पूर्व स्टैण्डअप कॉमेडियन राजीव निगम की ‘‘बहुत हुआ सम्मान‘‘ कमेडी को को सराहा।
अखिलेश यादव ने कहा कि समाजवादी पार्टी पीडीए की रणनीति से भाजपा को हराने का काम करेगी। भाजपा सरकार पीडीए के साथ अन्याय, अत्याचार कर रही है। भाजपा पीडीए विरोधी है। पीडीए का आरक्षण और हक छीन रही है। पीडीए एक भावनात्मक गठबंधन है। अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा षडयंत्रकारी पार्टी है। समाजवादी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता सावधानी के साथ बूथ को मजबूत करने और वोटर लिस्ट को ठीक कराने का काम करें। वोटर लिस्ट में नये वोटरों और छूटे वोटरों का नाम जुड़वाना है। जनता के बीच पहुंचकर भाजपा के साजिश और षडयंत्र का पर्दाफाश करना है।
2024 के चुनावों में ही सोशल मीडिया, डेटा ऐनालिटिक्स और डिजिटल प्रचार का अभूतपूर्व प्रभाव देखा गया। 2027 तक यह तकनीकी परिदृश्य और भी विकसित होगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, माइक्रो-टार्गेटिंग और वर्चुअल जनसंपर्क भारतीय चुनावों के स्वरूप को पूरी तरह बदल देंगे। यह बदलाव सिर्फ प्रचार तक सीमित नहीं होगा, बल्कि यह मतदाता की सोच और चुनावी विमर्श को भी प्रभावित करेगा। 2027 में यह स्पष्ट रूप से देखा जाएगा कि जनता अब विचारधारा की राजनीति में विश्वास करती है या विकास और शासन-प्रणाली को प्राथमिकता देती है। किसान, मजदूर, मध्यम वर्ग, छात्र और महिलाएं — इन सभी वर्गों की आकांक्षाएं चुनाव परिणामों को प्रभावित करेंगी।
भाजपा सरकार में भ्रष्टाचार, लूट, अराजकता चरम पर है। इस सरकार में हर विभाग और हर कार्य में भ्रष्टाचार है। प्रदेश में ऐसा भ्रष्टाचार और लूट कभी किसी सरकार में नहीं हुई। ट्रांसफर पोस्टिंग में जमकर उगाही चल रही है। भ्रष्टाचार के पैसे के बंटवारे के लिए मंत्री-अधिकारी से लेकर हर स्तर पर लड़ाई चल रही है। जनता ने लोकसभा चुनाव में भाजपा को सबक सिखाया है। अयोध्या में जनता ने भाजपा को हराकर उसकी साम्प्रदायिक राजनीति का अंत कर दिया है। 2027 के विधानसभा चुनाव में जनता भाजपा का सफाया करने जा रही है। इस अवसर पर पार्टी के वरिष्ठ नेता, पूर्व सांसद उदय प्रताप सिंह, राष्ट्रीय महासचिव, शिव पाल सिंह यादव, सांसद धर्मेन्द्र यादव, सांसद जावेद अली, पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेन्द्र चौधरी, प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल, विधायक नबाव इकबाल महमूद, रविदास मेहरोत्रा, संग्राम सिंह, आशु मलिक, पूर्व मंत्री अम्बिका चौधरी, योगेश प्रताप सिंह, डॉ. राजपाल कश्यप, रीबू श्रीवास्तव, फाखिर सिद्दीकी समेत बड़ी संख्या में नेता कार्यकर्ता शामिल रहे। 2027 का चुनाव: क्यों होगा ऐतिहासिक..?