रेप की सजा फांसी या एनकाउंटर..!

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रेप की सजा फांसी या एनकाउंटर..!
रेप की सजा फांसी या एनकाउंटर..!

देश की बेटियों की मांग- रेप की सजा फांसी या एनकाउंटर। नो एफआईआर,नो अरेस्ट,फैसला ऑन दा स्पॉट।2012 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 2.44 लाख मामले दर्ज किए गए थे जबकि 2022 में 4.45 लाख से ज्यादा मामले दर्ज हुए यानी, हर दिन 1200 से ज्यादा मामले। 

अशोक भाटिया

ये भले ही सन्नी देओल का  फ़िल्मी  डायलॉग है ‘तारीख पे तारीख… मिलती रही है… इंसाफ नहीं मिला माई लॉर्ड… ‘ लेकिन इसी वजह से वास्तविक दुनिया में जुल्म और दरिंदगी के शिकार लोग सालों साल कोर्ट के चक्कर काटते हैं। शायद यही वजह है कि दरिंदों की केवल एक ही सजा की मांग होती है और वह है फास्ट ट्रैक कोर्ट से फांसी। कई बार तो लोगों ने रेपिस्ट के एनकाउंटर पर भी प्रसन्नता जाहिर की है । आज फिर देश की बेटियां सन्नी देओल के भाई बॉबी देओल की  फिल्म ‘क्रांति ‘ का संवाद याद दिला रही है  ‘नो एफआईआर, नो अरेस्ट, फैसला ऑन दा स्पॉट ‘। बेटियों की मांग है कि  रेप की सजा फांसी या एनकाउंटर होनी चाहिए।

इस सन्दर्भ में अपने पाठकों को 1990 से 1992 की बात बताना चाहेंगे । अजमेर के रसूखदार रईसजादों ने अलग-अलग स्कूल कॉलेजों में पढ़ने वाली 17 से 20 साल की  100 अधिक छात्राओं को तरह-तरह से जाल में फंसाया। उनकी न्‍यूड फोटो खींची। फिर ब्लैकमेल कर कई-कई बार उनका गैंगरेप किया गया था। आज से 32 साल पहले हुए देश के सबसे बड़े सेक्स स्कैंडल कांड के छह दोषियों को जिला अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है।

अब तो हद हो गई है । केंद्र सरकार की एजेंसी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े बताते हैं कि भारत में साल भर में महिलाओं के खिलाफ अपराध के चार लाख से ज्यादा अपराध दर्ज किए जाते हैं। इन अपराधों में सिर्फ रेप ही नहीं बल्कि छेड़छाड़, दहेज हत्या, किडनैपिंग, ट्रैफिकिंग, एसिड अटैक जैसे अपराध भी शामिल हैं। महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों का जिक्र इसलिए क्योंकि हाल-फिलहाल में रेप के कुछ मामलों ने देश को हिलाकर रख दिया है। कोलकाता में रेजिडेंट डॉक्टर के रेप और उसके बाद हत्या का मामला चर्चा में बना है। कोलकाता के इस रेप कांड ने 2012 के निर्भया कांड की यादें ताजा कर दी। इसके खिलाफ सिर्फ कोलकाता ही नहीं, बल्कि देशभर के कई शहरों में प्रदर्शन हो रहे हैं। आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है लेकिन उसे सख्त से सख्त सजा देने की मांग हो रही है।

 महिलाओं के खिलाफ अपराध के आंकड़े डराने वाले हैं। 2012 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 2.44 लाख मामले दर्ज किए गए थे जबकि 2022 में 4.45 लाख से ज्यादा मामले दर्ज हुए यानी, हर दिन 1200 से ज्यादा मामले। इतना ही नहीं, रेप के मामलों में फांसी की सजा का प्रावधान होने के बावजूद 24 साल में पांच दुष्कर्मियों को ही फांसी की सजा मिली है। 2004 में धनंजय चटर्जी को 1990 के बलात्कार के मामले में फांसी दी गई थी जबकि मार्च 2020 में निर्भया के चार दोषियों- मुकेश, विनय, पवन और अक्षय को तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी।

वहीं, रेप के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई है। एनसीआरपी की रिपोर्ट के मुताबिक, 2012 में रेप के 24 हजार 923 मामले दर्ज हुए थे यानी, हर दिन औसतन 68 मामले जबकि, 2022 में 31 हजार 516 मामले दर्ज किए गए थे। इस हिसाब से हर दिन औसतन 86 मामले दर्ज किए गए यानी, हर घंटे 3 और हर 20 मिनट में 1 महिला रेप की शिकार हुई। 

इस समय कोलकाता गैंगरेप और मर्डर के अलावा बदलापुर मासूम दुष्कर्म कांड के खिलाफ हर तरफ उबाल है, उसे फांसी की सजा देने की मांग हो रही है। इस बीच असम में गैंगरेप के आरोपी ने तालाब में डूबकर जान दे दी। काश कि उसने दरिंगदी से पहले भी शर्म के दरिया में गोता लगाया होता लेकिन नहीं। हैरत तो ये है कि जो शख्स जुर्म करते वक्त नहीं घबराया, वह क्राइम सीन रीक्रिएशन के दौरान डर गया। हैरत तो ये भी कि वह पुलिस कस्टडी से फरार हो गया और भागा ही नहीं बल्कि पुलिस पर हमले करने का भी प्रयास किया। पुलिस से बचने के लिए उसने तालाब में छलांग लगा दी और मौत के मुंह में समा गया। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस वारदात को लेकर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी थी। सीएम ने कहा था कि महिलाओं के खिलाफ अत्याचार करने वालों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने ये भी कहा था कि पश्चिम बंगाल में सरकार ने तुरंत कार्रवाई नहीं की, इसलिए हालात बेकाबू हो गए।

 हालांकि गैंगरेप के आरोपी की मौत के बाद असम में गुस्साए लोगों का रोष कम होने लगा क्योंकि ऐसे मामले में ज्यादातर लोग इसी तरह के त्वरित न्याय की अपेक्षा रखते हैं लेकिन आश्चर्य कि जांच के दौरान पुलिस कस्टडी से भागने वाला अपराधी आखिर अचानक इतना ताकतवर कैसे हो जाता है. पुलिस बल की संख्या, पुलिस बल के पास मौजूद संसाधन के बीच अपराधी आखिर इतना कैसे हावी हो जाता है कि वह फरार होने की चेष्टा करे या कि पुलिस हथियार छीन कर उसके ऊपर ही तान दे लेकिन यह भी सच है कि अपराधी भले ही दुस्साहस दिखाए लेकिन वह कामयाब नहीं होता और हमेशा एनकाउंटर का शिकार बनता है। अतीत में इसके कई उदाहरण मौजूद हैं। खासतौर पर गैंगरेप के आरोपियों के एनकाउंटर ने अक्सर सुर्खियां भी बटोरी हैं। आम लोगों से पुलिस को वाहवाहियां भी मिली हैं।

गौर करने वाली बात ये है कि असम गैंगरेप के आरोपी की मौत को एनकाउंटर नाम नहीं दिया गया है बल्कि पुलिस के मुताबिक उसने तालाब में कूदकर खुदकुशी की है लेकिन अपराध की दुनिया के पन्ने पलटें तो कई ऐसे वाकये सामने आते हैं जब गैंगरेप के आरोपियों को कोर्ट में सजा मिलने से पहले ही एनकाउंटर में ढेर कर दिया। उत्तर प्रदेश के मथुरा में भी एक ऐसा ही वाकया इसी साल 2 जून को हुआ था। रेप की सजा फांसी या एनकाउंटर..!

पुलिस ने 65 साल की महिला के साथ रेप के आरोपी के पैरों में गोली मार कर गिरफ्तार किया था। पुलिस ने उसका इलाज भी करवाया लेकिन ताज्जुब कि जब वह पुलिस कस्टडी से भाग निकला और पुलिस के ऊपर फायरिंग करने लगा जिसके बाद पुलिस की जवाबी फायरिंग में उसे ढेर कर दिया गया। पुलिस अधिकारी ने बताया कि आत्मरक्षा में उसे गोली मारी गई, वह खूंखार हो चुका था। गौरतलब है कि 29 साल के उस आरोपी को 2015 में बंदूक का भय दिखाकर अपने ही गांव की बुजुर्ग महिला के साथ रेप और लूटपाट करने के जुर्म में गिरफ्तार किया गया था।

इसी कड़ी में हैदराबाद गैंगरेप के आरोपियों का बहुचर्चित एनकाउंटर की चर्चा जरुरी है । यह बहुचर्चित पुलिस एनकाउंटर साल 2019 का है। सोशल मीडिया पर तेलंगाना पुलिस की तारीफ के कसीदे आज भी चस्पां हैं। वारदात 6 दिसंबर 2019 की है। चटनपल्ली इलाके के हाइवे के पास एक वेटनरी डॉक्टर युवती की लाश मिली थी। उससे पहले 27 नवंबर को उसका किडनैप कर लिया गया था जिसके बाद उसका गैंगरेप किया गया था और दरिंदों ने उसकी हत्या करके उसका शव जलाकर फेंक दिया था। इस घटना के सामने आने के बाद प्रदेश और देश में जनाक्रोश फैल गया। आरोपियों को गिरफ्तार करने और फांसी की सजा देने की मांग होने लगी।

इसके बाद पुलिस सक्रिय हुई। जांच का जिम्मा आईपीएस वीसी सज्जनार के पास था। फुल एक्शन आकर उन्होंने चारों आरोपियों को गिरफ्तार किया और इसके बाद उनकी टीम चारों आरोपियों को वारदात स्थल पर लेकर पहुंची लेकिन यहां भी क्राइम सीन के रिक्रिएशन के दौरान आरोपियों ने फरार होने की कोशिश करके बड़ी गलती कर दी। हैदराबाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए एनकाउंटर में चारों को वहीं ढेर कर दिया। सुबह होकर पूरे देश में इस एनकाउंटर पर खुशियां प्रकट की गईं। हैदराबाद पुलिस को शाबाशी दी गई।

रेपिस्ट हो या दुर्दांत अपराधी, इनमें कानपुर के विकास दुबे के एनकाउंटर को कोई कभी भूल नहीं सकता। विकास दुबे कानपुर देहात का गैंगस्टर और नेता था। सन् 1990 के दौर से ही वह अपराध की दुनिया में शामिल हो गया था। बिकरू गांव में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या के अलावा मंत्री का मर्डर समेत 60 से अधिक क्राइम उसके नाम दर्ज था।उसे 9 जुलाई 2020 को मध्य प्रदेश के उज्जैन से धर दबोचा गया था। विकास दुबे को सड़क के रास्ते यूपी लाया जा रहा था। पुलिस के मुताबिक बारिश की वजह से उसकी गाड़ी सड़क पर पलट गई और वह फरार होने लगा तभी पुलिस को एनकाउंटर करना पड़ा और विकास दुबे ढेर हो गया। हालांकि इस पुलिस एनकाउंटर पर कई सवाल भी उठाए गए थे। लेकिन पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक वह ना केवल भागा बल्कि पुलिस पर हमले करने के लिए उसकी पिस्तौल भी छीनने की कोशिश की थी।ऐसे कई मामले होंगे जिन्हें बताते – बताते  लेख लम्बा हो जाएगा । सारांश यह कि पीड़ित अब तुरंत न्याय की अपेक्षा रखता है । रेप की सजा फांसी या एनकाउंटर..!