इन्वेस्ट यूपी में भ्रष्टाचार योगी प्रभाव से नहीं बचे IAS अभिषेक प्रकाश

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डिफेंस कारिडोर घोटाला पर योगी की नज़र
डिफेंस कारिडोर घोटाला पर योगी की नज़र

डिफेंस कारिडोर भूमि घोटाले में IAS अभिषेक पर योगी का प्रकाश। डिफेंस कारिडोर भूमि घोटाले में भी अभिषेक प्रकाश पर होगी कार्रवाई। 15 अन्य होंगे निलंबित, तत्कालीन एडीएम-एसडीएम भी शामिल। इन्वेस्ट यूपी में भ्रष्टाचार योगी के प्रभाव से नहीं बचे IAS अभिषेक प्रकाश। उद्योगपति विश्वजीत दत्ता (जो एसएईएल सोलर पी6 प्राइवेट लिमिटेड के प्रतिनिधि हैं) ने इन्वेस्ट यूपी में भ्रष्टाचार की शिकायत की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में सौर ऊर्जा के कलपुर्जे बनाने के लिए संयंत्र स्थापित करने के बदले उनसे रिश्वत मांगी गई।

सौर ऊर्जा के कलपुर्जे बनाने का संयंत्र स्थापित करने वाली निवेशक कंपनी से कमीशन मांगे जाने की शिकायत के बाद निलंबित चल रहे इन्वेस्ट यूपी के सीईओ रहे अभिषेक प्रकाश के विरुद्ध डिफेंस कारिडोर भूमि घोटाले में भी कार्रवाई की जाएगी। इस मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। भूमि घोटाले में तत्कालीन डीएम अभिषेक प्रकाश के अलावा 15 अन्य अधिकारियों को भी दोषी ठहराया गया है। इनमें शामिल तत्कालीन एडीएम, चार एसडीएम, चार तहसीलदार, एक नायब तहसीलदार, तीन कानूनगो व दो लेखपालों के निलंबन के आदेश एक-दो दिन में जारी हो सकते हैं। मुख्यमंत्री ने इस घोटाले में शामिल भूमाफिया पर भी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। इनसे मुआवजे की राशि वसूली जाएगी। सरोजनी नगर सब रजिस्ट्रार कार्यालय में तैनात रहे कर्मचारियों पर भी कार्रवाई की जाएगी।

डिफेंस कारिडोर के लिए लखनऊ की सरोजनी नगर तहसील में भटगांव ग्राम पंचायत की भूमि अधिग्रहण में किए गए घोटाले की जांच मुख्यमंत्री ने राजस्व परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष डा. रजनीश दुबे से कराई थी। अगस्त 2024 में शासन को भेजी गई 83 पन्नों की जांच रिपोर्ट में डीएम अभिषेक प्रकाश सहित 18 अधिकारियों को आरोपित बनाया गया था। डिफेंस कारिडोर में इकाइयों की स्थापना के लिए वर्ष 2020-21 ब्रह्मोस मिसाइल के अलावा रक्षा क्षेत्र से जुड़ी कई कंपनियां भूमि तलाश रही थीं। इसके चलते भटगांव में भू-माफिया ने भूमि की दरें बढ़ा दी थीं।

राजस्व परिषद के अध्यक्ष की रिपोर्ट पर मुख्यमंत्री योगी ने दिए कार्रवाई के निर्देश। भूमाफिया के विरुद्ध भी होगी कड़ी कार्रवाई, वसूली जाएगी मुआवजे की राशि।

इन अधिकारियों को किया जाएगा निलंबित

तत्त्कालीन एडीएम (प्रशासन) अमरपाल सिंह, एसडीएम संतोष कुमार सिंह,शंभू शरण सिंह, आनंद कुमार सिंह, देवेंद्र कुमार। चार तत्कालीन तहसीलदार विजय कुमार सिंह, ज्ञानेंद्र सिंह, उमेश कुमार सिंह तथा मनीष त्रिपाठी। तत्कालीन नायब तहसीलदार कविता ठाकुर, तत्कालीन लेखपाल हरीश्चंद्र व ज्ञान प्रकाश। तत्कालीन कानूनगो राधेश्याम, जितेंद्र सिंह तथा नैसी शुक्ला।

कौन हैं IAS अभिषेक प्रकाश…?

अभिषेक प्रकाश 2006 बैच के IAS अधिकारी हैं और मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं। उनका जन्म 1982 में हुआ था। उन्होंने IIT रुड़की से 2000-2004 के बीच इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, इसके बाद पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन और पब्लिक पॉलिसी में एमए किया। अपने प्रशासनिक करियर में वह लखीमपुर खीरी, लखनऊ, अलीगढ़ और हमीरपुर के जिलाधिकारी रह चुके हैं। निलंबन से पहले वह उत्तर प्रदेश सरकार में औद्योगिक विकास विभाग (IDC) के सचिव और इन्वेस्ट यूपी के सीईओ के रूप में कार्यरत थे।

निकान्त जैन की पत्नी का खाता सीज करने की तैयारी

काम दिलाने के बदले उद्योगपति से रिश्वत मांगने में बिचौलिए की भूमिका निभाने वाले निकान्त जैन के सभी खाते फ्रीज कर दिए गए हैं। अब उसकी पत्नी के खाते को सीज करने की तैयारी की जा रही है।पत्नी के खाते में बड़ी संख्या में लेन-देन की बात भी सामने आ रही है। ऐसे में पत्नी के खाते को फ्रीज कराने के लिए पत्र लिखा गया है। साथ ही लेनदेन की भी जांच की जाएगी और संबंधित से पूछताछ भी होगी। निकान्त के मकान को भी सील किया जाएगा। एसीपी विनय द्विवेदी ने बताया कि निकान्त के विभिन्न बैंकों में कई खाते हैं। उनको सीज अधिकारियों के साथ साठगांठ करके अधिग्रहण प्रक्रिया में दस्तावेजों में हेरफेर कर आवंटियों के नाम जोड़े गए थे। आरोपित अधिकारियों ने पट्टे की असंक्रमणीय श्रेणी की भूमि को संक्रमणीय घोषित कर दिया था। भूखंडों पर जिन लोगों का कब्जा ही नहीं था, उनको भी भूखंडों का मालिक बताया था। अधिकारियों ने मालिकाना हक की जांच के बिना ही मुआवजा वितरित कर दिया था। भटगांव की करीब 35 हेक्टेयर भूमि के लिए 45.18 करोड़ रुपये शासन ने स्वीकृत किए थे। सरोजनी नगर तहसील के तत्कालीन अफसरों ने करवाया गया है।सरोजनी नगर के तत्कालीन अफ़सरों ने अपने रिश्तेदारों तथा नौकरों को भी भूमि दिलाई थी। भूमाफिया और अधिकारियों ने 20 करोड़ रुपये का मुआवजा हड़प लिया। भूमाफिया ने किसानों से आठ लाख रुपये में भूमि खरीद कर 54 लाख रुपये में बेची थी। जांच में 90 पट्टे फर्जी पाए गए थे। इनमें 11 व्यक्तियों के नाम पट्टे में दर्ज ही नहीं थे। भूमाफिया ने 35 वर्ष पुराना पट्टा दिखा संक्रमणीय भूमिधर जमीन घोषित कराया। घोटाले का राजफाश होने के बाद तत्कालीन डीएम अभिषेक प्रकाश ने कानूनगो जितेंद्र सिंह को तत्काला प्रभाव से निलंबित कर दिया था।

ईडी की जांच में कमीशनखोरी के खुल सकते हैं और बड़े मामले। सौर ऊर्जा के कलपुर्जे बनाने वाली कंपनी से कमीशन मांगने का मामला।

सौर ऊर्जा के कलपुर्जे बनाने का संयंत्र स्थापित करने वाली कंपनी से पांच प्रतिशत कमीशन मांगे जाने के मामले की जांच में कई और बड़े खेल भी खुल सकते हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की की कंपनियों व बैंक खातों में हुए लेनदेन को खंगाला जाएगा। पड़ताल में निकान्त जैन के पूर्व में किए गए कमीशनखोरी के खेल भी खुलने की पूरी संभावना है। ईडी खातों से हुए लेनदेन की सिलसिलेवार छानबीन करेगा। सूत्रों का कहना कहना है कि कुछ बिल्डर के भी कमीशनखोरों से करीबी रिश्ते रहे हैं। जांच एजेंसियों की नजर इस पर भी रहेगी।

ईडी ने लखनऊ पुलिस से मामले में गोमतीनगर थाने में आरोपित निकान्त जैन के विरुद्ध दर्ज कराई गई एफआइआर की प्रति व अब तक की गई जांच में सामने आए तथ्यों की जानकारी मांगी है। प्रकरण में निकान्त जैन के साथ ही इन्वेस्ट यूपी के अधिकारियों की भूमिका भी जांच के घेरे में है।

एसएईएल सोलर पी 6 प्राइवेट लिमिटेड कंपनी प्रदेश में सौर ऊर्जा के कलपुर्जे बनाने का संयंत्र लगाने के लिए सात हजार करोड़ रुपये का निवेश कर रही थी। कंपनी के इस निवेश प्रस्ताव पर इन्वेस्ट यूपी के अधिकारियों द्वारा पांच प्रतिशत रकम (साढ़े तीन सौ करोड़ रुपये) बतौर कमीशन मांगी जा रही थी।

इसी मामले में इन्वेस्ट यूपी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अभिषेक प्रकाश को निलंबित कर दिया गया था। पुलिस ने एफआइआर दर्ज कर कमीशन मांग रहे निकान्त जैन को गिरफ्तार कर लिया था।

आरोपित निकान्त जैन की कंपनियों व बैंक खातों में हुए लेनदेन की पड़ताल होगी अहम।सात हजार करोड़ रुपये के निवेश पर मांगी थी साढ़े तीन सौ करोड़ रुपये की रिश्वत।

कोर्ट ने कहा, इन्वेस्ट यूपी के अधिकारी की संलिप्तता स्पष्ट करें विवेचक

भ्रष्टाचार तथा सरकारी कामों में हस्तक्षेप कर कमीशनखोरी के आरोपों में अदालत ने सख्त रुख अपनाया है। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष न्यायाधीश ने जेल भेजे गए आरोपित निकान्त जैन की न्यायिक अभिरक्षा अवधि बढ़ाने के साथ ही कमीशनखोरी में नौकरशाहों की संलिप्तता के साक्ष्य जुटाने का निर्देश विवेचक को दिया है। निकान्त की रिमांड अवधि सात अप्रैल तक बढ़ा दी गई। मामले के विवेचक ने निकान्त के विरुद्ध कुछ धाराएं बढ़ाने का प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया था। न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद आरोपित निकान्त जैन के विरुद्ध बीएनएस 308 (5) तथा धारा आठ बढ़ा दीं। धारा 308(5) के अनुसार किसी को मृत्यु या चोट पहुंचाने का डर दिखाकर वसूली करने पर 10 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 8 के तहत किसी सरकारी अधिकारी को रिश्वत देने का अपराध आता है।

इस धारा के तहत सात साल तक की जेल, जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। न्यायालय ने अपने आदेश में विवेचक को निर्देश देते हुए कहा, विवेचक प्रथम सूचना रिपोर्ट में इन्वेस्ट यूपी के वरिष्ठ अधिकारी की संलिप्तता को स्पष्ट करें। इसके साथ ही इस प्रकरण में संलिप्त लोकसेवकों के नाम, रकम देने या देने प्रयास के संबंध में भी आवश्यक सुबूत एकत्र करें।