डॉ. वेदप्रकाश

      स्वतंत्रता के सात दशक बाद भारत भाव पुन: विचार बनता जा रहा है। इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को है। नरेंद्र मोदी व्यक्ति से व्यक्तित्व की संघर्षशील यात्रा के पर्याय हैं। आरंभ से ही उनके जीवन की अनेक घटनाएं सामान्य व्यक्ति को प्रेरित करती हैं। उनका सामाजिक जीवन और राजनीतिक जीवन समग्रता में भारत भाव को समर्पित रहा है। वे आरंभ से ही भारत भाव और राष्ट्र निर्माण के जिस महत्वपूर्ण लक्ष्य को समर्पित रहे, वह लक्ष्य आज भी उनके व्यक्तित्व-कृतित्व में लक्षित होता है। नरेंद्र मोदी एकमात्र ऐसे नेता हैं जिनकी लोकप्रियता आज वैश्विक पटल पर सर्वाधिक है। वे विभिन्न संवैधानिक दायित्वों पर रहने वाले विश्व के सर्वाधिक अनुभवी व्यक्तित्व बन चुके हैं। भारत माता की सेवा में समर्पित उनका जीवन आज न केवल भारतवर्ष अपितु वैश्विक पटल पर भी प्रेरक बन चुका है। भारत भाव के उद्घोषक नरेंद्र मोदी

आरंभ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभिन्न संगठनात्मक दायित्वों का निर्वाह करते हुए फिर गुजरात के मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी और तदुपरांत भारतवर्ष के प्रधानमंत्री का दायित्व उनके व्यक्तित्व-कृतित्व के विभिन्न पहलुओं को उजागर करता है। एक राजनेता के रूप में आम व्यक्ति का जीवन कैसे सहज बने यह चिंता उनकी योजनाओं के केंद्र में रहती है। वे जहां जिस मंच पर भी खड़े होते हैं अथवा कोई विचार प्रस्तुत करते हैं तो उस विचार का क्रियान्वयन किस भांति हो, इसकी पूरी रूपरेखा भी स्पष्ट करते हैं। उन्होंने विभिन्न चुनौतियों का सामना करते हुए सांप्रदायिक तनाव कम करने, बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ, जनधन योजना, कौशल विकास, मेड इन इंडिया, मेक इन इंडिया,डिजिटल इंडिया, नारी सशक्तिकरण,किसान सशक्तिकरण, स्वच्छता एवं शौचालय जैसे अनेक संकल्प प्रस्तुत किए हैं। जब वे उज्ज्वल भविष्य का प्रकाश पुंज देखते हैं, तब उसमें दरिद्र नारायणों के कल्याण की कामना करते हैं।

अपने उत्तरदायित्वों का समुचित निर्वाह ईमानदारी से कर सकें इसके लिए वे चिंतित रहते हैं। साक्षी भाव नामक कविता संग्रह में वे लिखते हैं- इस शक्ति की उपासना का केंद्र स्व का सुख नहीं बनाना है। मां… तू ही मुझे शक्ति दे- जिससे मैं किसी के साथ अन्याय न कर बैठूं , परंतु मुझे अन्याय सहन करने की शक्ति प्रदान कर। उनकी जीवन यात्रा में चुनौतियां तो बहुत बड़ी थी, लेकिन उनके संकल्प मजबूत रहे और नियत भी साफ रही। वे सबका साथ- सबका विकास का मंत्र देते हैं तो सबमें विश्वास भी करते हैं। परिणामत: आज अनेक योजनाएं जन-जन तक पहुंच रही हैं। सामान्य व्यक्ति के जीवन की तस्वीर और तकदीर बदल रही है।

     नया भारत, समर्थ भारत,आत्मनिर्भर भारत, स्वच्छ भारत,भ्रष्टाचार मुक्त भारत, आतंकवाद मुक्त भारत, ज्ञान-विज्ञान में तरक्की करता भारत, युवाओं का भारत, महिलाओं का भारत, किसानों का भारत, विकसित भारत और विश्वगुरु भारत आदि संकल्प अथवा विचार नरेंद्र मोदी द्वारा ही दिए गए हैं। जब वे लालकिले की प्राचीर से कहते हैं- अंबर से ऊंचा जाना है, एक भारत नया बनाना है। तो सामान्य व्यक्ति भी उनके इस संकल्प में स्वयं को भागीदार बना लेता है। उनके प्रत्येक कार्य, वक्तव्य और व्यवहार में भारत विद्यमान है।

ध्यातव्य है कि 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद से भारत भाव नए रूप में व्यापक होना आरंभ हुआ। 1884 में बलिया व्याख्यान में भारतेंदु हरिश्चंद्र ने भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है? शीर्षक से नया चिंतन आरंभ किया। वहीं 1893 में अमेरिका के शिकागो अधिवेशन में स्वामी विवेकानंद ने भारतवर्ष की गौरवशाली परंपरा एवं आध्यात्म की पुनर्स्थापना का जो प्रयास किया, राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने भारत भारती में जो  चित्र प्रस्तुत किया, उसके मूल में भारत ही था। वह विचार विभिन्न महापुरुषों के माध्यम से पूरे स्वतंत्रता आंदोलन में गूंजता रहा। स्वतंत्रता के बाद यह भारत भाव हाशिए पर चला गया। मार्च 2021 से आजादी का अमृत महोत्सव का उद्घोष भारत भाव के पुनर्जागरण का उद्घोष ही था। आजादी का अमृतकाल व्यापक रूप में जन-जन के बीच भारत भाव को जागृत करने में महत्वपूर्ण सिद्ध हुआ।

अक्टूबर 2014 से ही प्रधानमंत्री द्वारा संकल्पित मन की बात निरंतर विभिन्न विषयों पर चर्चा के माध्यम से आज जन-जन की और भारतवर्ष की बात बन चुकी है। मन की बात के विभिन्न प्रसारणों में भारत भाव से संबंधित अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर व्यापक चर्चा हो रही है। आज सिंगल यूज प्लास्टिक,जलवायु परिवर्तन से जुड़े हुए विभिन्न मुद्दे, प्रदूषण की समस्या, आतंकवाद की समस्या, वैश्विक फलक पर शांति और सद्भाव के विभिन्न प्रयासों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विचार न केवल भारत अपितु वैश्विक फलक पर स्वीकार किए जा रहे हैं। विश्व के सऊदी अरब, अफगानिस्तान,मिस्र, संयुक्त अरब अमीरात, मालदीव, बहरीन,अमेरिका, पलाऊ गणराज्य, भूटान,पापुआ न्यू गिनी एवं फिजी आदि अनेक देश नरेंद्र मोदी को सर्वोच्च नागरिक सम्मान प्रदान कर चुके हैं। इसके मूल में नरेंद्र मोदी द्वारा मानवता के लिए दिए जा रहे विचार एवं उनकी नीतियां ही हैं। अनेक बार कई विषयों में लगता है कि यह योजना अथवा जो बात कही गई है यह पूरी होने वाली नहीं है लेकिन धीरे-धीरे वह साकार हो जाती है।

नरेंद्र मोदी ने अपनी जापान यात्रा के दौरान भी भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए कहा था- मेरा जो लालन-पालन हुआ, मुझे जो संस्कार मिले, जिन-जिन लोगों ने मुझे गढा है। उसके कारण मेरी भी एक आदत बन गई है, मुझे मक्खन पर लकीर करने में मजा नहीं आता, मैं पत्थर पर लकीर करता हूँ। स्पष्ट है कि नरेंद्र मोदी विकास पुरुष हैं। विचार और भारत भाव उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व में निहित है। जनहित के लिए योजना बनाना, उन्हें क्रियान्वित करना और भारतहित के लिए बड़े-बड़े संकल्प लेकर उन्हें सिद्धि की ओर ले जाना यह उनकी कार्य प्रणाली है। उनके जन्म दिवस पर भारतीय जनता पार्टी एवं अनेक संस्थाओं- संगठनों के द्वारा विभिन्न जन कल्याणकारी कार्य आरंभ किए जा रहे हैं। एक पेड़ मां के नाम प्रधानमंत्री मोदी का यह विचार आज जन आंदोलन बन चुका है। देश नई ऊर्जा से पूरित होकर भारत भाव से जुड़ रहा है, इसका श्रेय नरेंद्र मोदी को ही है। उनके जन्म दिवस पर उनके अच्छे स्वास्थ्य एवं दीर्घायु होने की मंगल कामना। भारत भाव के उद्घोषक नरेंद्र मोदी