राहुल गांधी की यात्रा की कमान भी गहलोत ने खुद संभाली। पायलट तो बैठक को बीच में ही छोड़ कर चले गए। अशोक गहलोत को अब सचिन पायलट की परवाह नहीं।
जयपुर में भारत जोड़ों यात्रा की तैयारियों को लेकर जो बैठक हुई, उसमें राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दर्शा दिया कि उन्हें अब प्रतिद्वंदी नेता सचिन पायलट की कोई परवाह नहीं है। इस बैठक में गहलोत ने जो रुख अख्तियार किया उसे देखते हुए ही सचिन पायलट बैठक को बीच में ही छोड़ कर चले गए। जुलाई 2020 के बाद कांग्रेस की अधिकांश बैठकों में पायलट शामिल नहीं हुए, लेकिन जब कभी शामिल हुए तो उनकी कुर्सी भी गहलोत और प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के साथ ही लगती रही, लेकिन 23 नवंबर को भारत जोड़ों यात्रा की तैयारियों को लेकर जयपुर में हुई बैठक में पायलट को सीएम के बराबर नहीं बैठने दिया गया। सीएम के पास, डोटासरा के साथ साथ भंवर जितेंद्र सिंह, मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास और गोविंद मेघवाल को बैठाया गया, जबकि पायलट की व्यवस्था अन्य पदाधिकारियों के साथ ही गई। कांग्रेस की बैठक में ऐसा तब किया गया, जब सीएम गहलोत के कई मंत्री ही पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहे हैं।
डोटासरा भले ही प्रदेशाध्यक्ष हों, लेकिन कांग्रेस की बैठकों में भी नहीं होता है जो सीएम चाहते हैं। सीएम गहलोत के रुख को देखते हुए सचिन पायलट अपनी बात कहकर बैठक से चले गए। पायलट के जाने के बाद ही डोटासरा और सीएम का संबोधन हुआ। गहलोत और पायलट के बीच तल्खी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बैठक में दोनों के बीच सामान्य शिष्टाचार भी नहीं हुआ। अब राहुल गांधी की भारत जोड़ों यात्रा की कमान पूरी तरह गहलोत ने संभाल ली है। राहुल की यात्रा 3 से 18 दिसंबर के बीच राजस्थान में ही रहेगी। इस यात्रा के बहाने सीएम गहलोत गांधी परिवार के साथ नजदीकियां भी बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। इसलिए राहुल गांधी की बहन और कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी को भी राजस्थान में यात्रा में शामिल करवाया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े भी एक दिन राहुल के साथ नजर आएंगे। इस यात्रा के बहाने सीएम गहलोत यह भी बताना चाहते हैं कि अब 25 सितंबर की घटना कोई महत्व नहीं है। 25 सितंबर को जयपुर में कांग्रेस विधायक दल की बैठक नहीं होने पर सीएम गहलोत ने सोनिया गांधी से माफी भी मांगी थी, लेकिन सचिन पायलट और उनके समर्थकों ने अनुशासनहीनता करने वालों पर कार्यवाही की मांग की। लेकिन यह मांग भी अब ठंडे बस्ते में चली गई है।
यहां तक कि अजय माकन ने भी राजस्थान के प्रभारी पद को छोड़ दिया है। अब सीएम गहलोत चाहेंगे, वही राजस्थान का प्रभारी बनेगा। फिलहाल गहलोत ही प्रभारी की भूमिका निभा रहे हैं। यात्रा के दौरान राहुल गांधी को खुश करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। देखना होगा कि गहलोत की उपस्थिति में राहुल गांधी सचिन पायलट को कितनी तवज्जो देते हैं। मौजूदा समय में तो अशोक गहलोत, पायलट और उनके समर्थकों की कोई परवाह नहीं कर रहे हैं। सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र गुढा, सचिन पायलट के समर्थन और अशोक गहलोत के विरोध में रोजाना बयान दे रहे हैं, लेकिन गहलोत ऐसे बयानों को भी गंभीरता से नहीं ले रहे। भारत जोड़ों यात्रा में राहुल गांधी के लिए गहलोत और पायलट के बीच आपसी तालमेल बैठाना भी चुनौती होगा। सवाल पर भी है कि क्या विधानसभा का चुनाव भी अकेले अशोक गहलोत के भरोसे लड़ा जाएगा? पायलट और उनके समर्थक माने या नहीं लेकिन फिलहाल राजस्थान में अशोक गहलोत की ही चल रही है।