अरविंद केजरीवाल की नजर सचिन पायलट पर…!

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एस0 पी0 मित्तल

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पांच राज्यों के चुनाव परिणाम के बाद भी अशोक गहलोत को देश में तनाव और डर का माहौल नजर आता है।राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर अब गांधी परिवार की निर्भरता और बढ़ी।अरविंद केजरीवाल की नजर सचिन पायलट पर। पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू को सीएम पद का ऑफर दिया था।

पांच राज्यों के हाल ही के चुनावों में जिस तरह कांग्रेस का सफाया हुआ है, उसमें कांग्रेस का नेतृत्व करने वाले गांधी परिवार की निर्भरता राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर और बढ़ गई है। गुलाम नबी आजाद, पी चिदंबरम, कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी जैसे वरिष्ठ कांग्रेसी कांग्रेस के नेतृत्व के बारे में चाहे जो कहें, लेकिन गांधी परिवार गहलोत पर निर्भर होता जा रहा है। उत्तर प्रदेश के चुनाव में राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी की मदद के लिए गहलोत ने धीरज गुर्जर, जुबेर खान जैसे दमदार नेताओं को भेजा उसी प्रकार स्वयं के राजस्व मंत्री हरीश चौधरी का इस्तीफा दिलवाकर पंजाब का प्रभारी बना कर भेजा। चुनाव से 5 माह पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटा कर चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब का मुख्यमंत्री बनवाने में भी हरीश चौधरी के माध्यम से अशोक गहलोत की महत्वपूर्ण भूमिका रही। पांच राज्यों के परिणाम के बाद कांग्रेस की स्थिति और कमजोर हो गई है। इसलिए गांधी परिवार के सदस्य श्रीमती सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की निर्भरता गहलोत पर और बढ़ गई है। गहलोत जब तक राजस्थान के मुख्यमंत्री हैं, तब तक गांधी परिवार के प्रति वफादारी दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे, क्योंकि गांधी परिवार की वजह से ही गहलोत तीसरी बार राजस्थान के सीएम बने हुए हैं। गहलोत ने रघु शर्मा से भी चिकित्सा मंत्री का पद लेकर गुजरात भेज दिया है। राजस्थान में गहलोत के समर्थक जिस प्रकार अन्य राज्यों में भूमिका निभा रहे हैं उससे भी गांधी परिवार की निर्भरता का अंदाजा लगाया जा सकता है। यह बात अलग है कि गहलोत के समर्थक नेता अन्य राज्यों में कांग्रेस और गांधी परिवार के लिए मददगार साबित नहीं हो रहे हैं। हरीश चौधरी, धीरज गुर्जर और जुबेर खान की विफलता के बाद गुजरात में रघु शर्मा की परीक्षा होनी है। गहलोत को रघु शर्मा की काबिलियत पर बहुत भरोसा है।

अरविंद केजरीवाल की नजर सचिन पायलट पर:-
पंजाब में जिस तरह कांग्रेस से सत्ता छीनी है, उससे आम आदमी पार्टी के प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बेहद उत्साहित हैं। केजरीवाल को लगता है कि भाजपा से मुकाबला करने में वे कांग्रेस का विकल्प बन सकते हैं। पंजाब की जनता ने सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवारों को चारों खाने चित कर आम को जबरदस्त जीत दिलवाई है। 117 में से आप को 92 सीटें मिली हैं। जबकि कांग्रेस को मात्र 18 सीटें मिली। राजस्थान में अगले वर्ष ही चुनाव होने हैं। राजस्थान की सीमा पंजाब और दिल्ली से लगी है, इसलिए केजरीवाल अब राजस्थान में बड़ी राजनीतिक जमीन तलाश रहे हैं। ऐसे में उनकी नजर कांग्रेस में अशोक गहलोत के प्रतिद्वंदी सचिन पायलट पर है। पायलट 6 वर्ष तक राजस्थान में कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं और आज भी पायलट द्वारा गठित जिला और ब्लॉक कांग्रेस कमेटियां कांग्रेस की गतिविधियां कर रही है। पंजाब में चुनाव से पहले केजरीवाल ने कांग्रेस के अनेक नेताओं को आम में शामिल किया था। राजस्थान में भी यह स्थिति उत्पन्न हो सकती है। पंजाब की जनता ने आम को ही कांग्रेस का विकल्प माना है। ऐसी स्थिति में अरविंद केजरीवाल, सचिन पायलट के समक्ष राजस्थान के मुख्यमंत्री का पद ऑफर कर सकते हैं। पायलट यह पद स्वीकार करते हैं या नहीं, यह आने वाले दिनों में पता चलेगा, लेकिन यह सही है कि यदि नवजोत सिंह सिद्धू केजरीवाल का ऑफर स्वीकार कर लेते तो आज पंजाब के मुख्यमंत्री होते। अशोक गहलोत के रहते राजस्थान में पायलट की जो राजनीतिक स्थिति है, वह जगजाहिर है। गहलोत और पायलट के बीच कोई संवाद नहीं है। गहलोत अपनी मनमर्जी से शासन चला रहे हैं। सरकार और संगठन में पायलट की कोई भूमिका नहीं है। यदि आने वाले दिनों में केजरीवाल की पार्टी ने जोर पकड़ा तो कांग्रेस में भगदड़ भी मच सकती है। गहलोत के साथ वो ही कांग्रेसी है जो सत्ता की मलाई मिल रही है। यह बात सही है कि पंजाब में भाजपा की स्थिति कमजोर है, जबकि राजस्थान में भाजपा मजबूत स्थिति में है। मौजूदा समय में भी भाजपा के 72 विधायक हैं। भाजपा के भैरोंसिंह शेखावत और वसुंधरा राजे दो दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। भाजपा का अपना परंपरागत वोट है, जिसे राजस्थान में तोड़ना आसान नहीं है, लेकिन राजनीति में कभी भी संभव है।

अभी भी डर और तनाव का माहौल:- पांच राज्यों के चुनावों में जनता ने चार राज्यों में भले ही भाजपा की सरकारें बनाई हो, लेकिन राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को केंद्र सरकार और भाजपा की वजह से देश में डर और तनाव का माहौल नजर आता है। 12 मार्च को महात्मा गांधी की दांडी यात्रा की वर्षगांठ के अवसर पर जयपुर में गांधी सर्किल पर हुए समारोह को संबोधित करते हुए गहलोत ने कहा कि देश में हिंसा और भय का माहौल बना हुआ है। केंद्र सरकार की ओर इशारा करते हुए गहलोत ने कहा कि वो महात्मा गांधी के नाम का तो उपयोग करते हैं, लेकिन महात्मा गांधी द्वारा बताए मार्ग पर चलने का प्रयास नहीं करते। देश की नई पीढ़ी को महात्मा गांधी को समझना चाहिए। [/Responsivevoice]