भाजपा और INDIA गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला

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भाजपा और INDIA गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला
भाजपा और INDIA गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला

—– मोहनलालगंज लोकसभा सीट —–

इंडिया गठबंधन प्रत्याशी के लिए चुनौती बना निष्क्रिय संगठन….! भाजपा और गठबंधन प्रत्याशी के बीच सीधा मुकाबला। शहरी क्षेत्र की उपेक्षा से कार्यकर्ताओं में खासा आक्रोश। विधानसभा क्षेत्रों में प्रभारी छोड़िए,चुनाव कमेटियों का नहीं किया गठन। भाजपा और INDIA गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला

आर.के.यादव
आर.के.यादव

लखनऊ। जिला सपा संगठन की निष्क्रियता और लोकसभा क्षेत्र के शहरी इलाकों की उपेक्षा इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी को भारी पड़ सकती है। जिला संगठन की निष्क्रियता का यह आलम है कि कमेटी की ओर से न विधानसभा प्रभारी बनाए गए हैं और न ही संगठन की ओर से विधानसभावार चुनाव कमेटियों का गठन किया गया है। आलम यह है संगठन के पदाधिकारी प्रत्याशी की स्थिति मजबूत करने के बजाए खुद की जेब भरने में जुटे हुए है। यही नहीं संगठन के लोगों ने लोकसभा क्षेत्र के शहरी इलाकों के पूर्व पदाधिकारियों से संपर्क तक करना मुनासिब नहीं समझा है। गठबंधन के सहयोगी कांग्रेस पदाधिकारियों से इनका अभी तक कोई तालमेल ही नहीं बना है। इससे गठबंधन प्रत्याशी के सामने संकट की स्थिति पैदा होती जा रही है।

मोहनलालगंज सीट पर मतदान के लिए अब सिर्फ चार दिन का समय शेष बचा है। वर्तमान समय में इस सीट पर प्रत्याशियों का प्रचार और जनसंपर्क अभियान जोरशोर से चल रहा है। इस आरक्षित सीट पर मुख्य मुकाबला भाजपा और इंडिया गठबधन के बीच दिखाई पड़ रहा है। इस लोकसभा सीट में पांच विधानसभाएं आती है। जिले की मलिहाबाद, सरोजनीनगर, मोहनलालगंज, बख्शी का तालाब (बीकेटी) के अलावा सीतापुर की सिधौली विधानसभा सीट आती है। राजनीति के जानकारों का कहना है इस लोकसभा सीट की सरोजनीनगर और बख्शी का तालाब विधानसभा का एक बड़ा शहरी हिस्सा इस सीट से जुड़ा हुआ है। सपा जिला संगठन की इकाई ने इन विधानसभा क्षेत्रों में न तो किसी को प्रभारी नियुक्त किया है और न ही शहरी क्षेत्र में रहने वाले पूर्व पदाधिकारियों से संपर्क किया है। चुनाव के लिए न ही कांग्रेस और सपा की कोई संयुक्त चुनाव कमेटी गठित की गई है।

संतोषजनक जवाब नही दे पाए गठबंधन के संयुक्त प्रभारी

मोहनलालगंज लोकसभा सीट पर जिला सपा संगठन की निष्क्रियता और शहरी इलाकों की उपेक्षा के संबंध में जब सपा जिलाध्यक्ष जय सिंह जयंत से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो कई प्रयासों के बाद भी उनका फोन नहीं उठा। गठबंधन के संयुक्त प्रभारी सपा नेता टीबी सिंह से जब इस संबंध में बातचीत की गई तो उन्होंने आरोपों को सिरे से नकारते हुए कहा कि संगठन जोरशोर से काम कर रहा है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि सरोजनीनगर का प्रभारी अभिषेक मिश्रा को और मोहनलालगंज का प्रभारी पूर्व सांसद सुशीला सरोज और मलिहाबाद का प्रभारी सोनू कनौजिया को बनाया गया है। विधानसभा क्षेत्र की चुनाव कमेटियों के सवाल पर वह कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। उन्होंने कहा जो लोग यह बात कह रहे है वह हमसे नाराज हैं। बताया गया है जिन्हे प्रभारी बताया गया है वह मीटिंगों के अलावा प्रचार करते कभी दिखे ही नहीं। पूर्व सांसद को तो मीटिंग तक में नहीं बुलाया जा रहा है। शहरी क्षेत्रों की उपेक्षा के संबंध आरके चौधरी का कहना है जो लोग यह बात कह रहे हैं वह अपने ही है। कोई नंबर हो तो बताइए उनसे मिल लिया जायेगा।

सरोजनीनगर विधानसभा के पूर्व विधानसभा प्रभारी की माने तो मतदान को अब चंद दिन ही बचे है, अभी तक जिला संगठन के किसी भी पदाधिकारी ने उनसे संपर्क तक नही किया है। इनका आरोप है कि संगठन में चुनिंदा लोगों ने ही चुनाव की कमान अपने हाथों में ले रखी है। उन्होंने बताया कि उपेक्षा से अजीज आकर कई पदाधिकारियों ने दूसरे दलों का दामन तक थाम लिया है। हकीकत यह है कि संगठन के पदाधिकारी इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी की स्थिति मजबूत करने के बजाए सिर्फ कमाई करने में जुटे हुए है। मोहनलालगंज (आरक्षित) लोकसभा सीट पर 20 मई को मतदान होना है। इस सीट पर 2014 और 2019 के चुनाव में जीत हासिल करने वाले कौशल किशोर को मैदान में उतारा है। दो बार हार का मुंह देख चुके आरके चौधरी को इस बार इंडिया गठबंधन से सपा के टिकट पर प्रत्याशी बनाया है। बसपा ने दोनों दलों का गणित गड़बड़ाने के लिए नए चेहरे राजेश कुमार प्रधान को मैदान में उतारा है। इस सीट पर मुख्य मुकाबला तो भाजपा और इंडिया गठबंधन के बीच दिखाई पड़ रहा है। किंतु बसपा प्रत्याशी दोनों ही दलों के प्रत्याशियों का गणित बिगाड़ सकता है। दलित बाहुल्य सीट पर दलित मतों का विभाजन हुआ तो इस सीट पर चौकाने वाला परिणाम भी आ सकता है। राजनीति के जानकारों और स्थानीय लोगों की माने इस बार इस सीट पर चुनाव दिलचस्प हो गया है।

भाजपा प्रत्याशी ने जीत दर्ज करने के बाद क्षेत्र में विकास के नाम पर कोई ऐसा काम नहीं किया जिससे जनता का उन्हे समर्थन मिल रहा हो। स्थानीय लोगों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़ी इस सीट का एक बड़ा हिस्सा शहरी क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। इस क्षेत्र में करीब चार लाख से अधिक मतदाता है। शहरी क्षेत्र की उपेक्षा का खामियाजा गठबंधन प्रत्याशी को भुगतना पड़ सकता है। वहीं चुनाव जीतने के बाद केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा प्रत्याशी कौशल किशोर क्षेत्र में दिखाई ही नहीं पड़े। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर चुनावी वैतरणी पार करने की फिराक में लगे है। भाजपा प्रत्याशी को इसके लिए खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। कई इलाकों में उन्हें जनता के विरोध का सामना भी करना पड़ रहा है। इस विरोध के चलते उनके जीत की डगर आसान नजर नहीं आ रही है। यह अलग बात है कि वह मोदी के नाम पर जीत का सपना संजोए हुए हैं। क्षेत्र में जनता के बीच रहने वाले आरके चौधरी को जिला संगठन की निष्क्रियता और शहरी इलाकों की उपेक्षा से चुनाव जीतने के लिए खासी जद्दोजहद करनी पड़ रही है। इस सीट पर मुख्य मुकाबला भाजपा और सपा के बीच होता दिखाई पड़ रहा है। बसपा ने इस सीट पर राजेश कुमार प्रधान को मैदान में उतारा है। दलित बाहुल्य इस सीट पर बसपा प्रत्याशी दोनों दलों के प्रत्याशियों में किसी का भी गणित बिगाड़ सकते है। भाजपा और INDIA गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला