आर्थिक तंगी ने हौसले पर लगाया प्रश्नचिन्ह

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आर्थिक तंगी ने हौसले पर लगाया प्रश्नचिन्ह
आर्थिक तंगी ने हौसले पर लगाया प्रश्नचिन्ह

परिस्थितियों को अपनी पेंटिंग से उकेरने वाली आरती को खुद की परिस्थिति से उबरने का इंतज़ार। आर्थिक तंगी ने एक कलाकार के हौसले पर लगाया प्रश्नचिन्ह।आरती एक छोटे से मकान में अपने बूढ़े माँ और पिता का सहारा बनी है। किसी प्रकार से कुछ बच्चों को घर में पढ़ा कर जो पैसे इकट्ठा होते हैं उसी से परिवार को चलाने पर मजबूर है। आर्थिक तंगी ने हौसले पर लगाया प्रश्नचिन्ह

अजय सिंह

कानपुर। प्रतिभा की धनी युवती जो आजकल आर्थिक तंगी से बुरी तरह जूझ रही है। कभी उसकी प्रतिभा के दीवाने रहे लोग आजकल खराब दशा के चलते उसे देखना भी नहीं पसंद करते। सभी रिश्तेदार जो उसकी हुनरमंदी के किस्से लोगों को सुनाने से कभी चूकते नहीं थे वह सभी लोग जब उसको आवश्यकता है मदद की झांकने का भी नाम नहीं लेते।

ऐसा ही जीवंत मामला कानपुर के शिवराजपुर स्थित जवाहर नगर की रहने वाली आरती गौंड से जुड़ा हुआ प्रकाश में आया। आरती के पिता काफी बुजुर्ग हैं और बीमार भी रहते हैं। दो भाई जिनकी शादी हो गई वह सब घर छोड़ कर कही और रहने लगे। अब हाल कुछ इस तरह से है कि पूरे परिवार जी जिम्मेदारी आरती के कंधो पर है।

आरती एक छोटे से मकान में अपने बूढ़े माँ और पिता का सहारा बनी है। किसी प्रकार से कुछ बच्चों को घर में पढ़ा कर जो पैसे इकट्ठा होते हैं उसी से परिवार को चलाने पर मजबूर है।आरती पढ़ीलिखी ग्रेजुएट और आईजी बॉम्बे से डिग्री धरी युवती है। लेकिन अभी तक कही भी कोई ठोस जॉब नहीं मिल पाई है।पेंटिंग बनाने का हुनर इस कदर निराला है कि उसकी पेंटिंग के चर्चे आम हैं। उसे अपनी पेंटिंग के माध्यम से जीवन की सच्चाई को निखारने का बाखूबी हुनर ऊपरवाले ने दे रखा हैं। जिसने भी उसकी पेंटिंग को देखा तो बस देखते ही रह गया।

कला के प्रतिभा की धनी आरती गौड़ इस वक्त आर्थिक समस्या से जूझ रही है। वैसे तो कला प्रेमियों को सम्मान देनें का ढिढ़ोरा सरकारें भी पीटती रहती हैं लेकिन असल में कोई भी उसकी सुध लेने वाला नहीं है।आरती के हुनर के कायल लोगों का ये मानना है कि यदि सरकार इस ओर थोड़ा भी ध्यान दे दे तो उसकी प्रतिभा का भी सम्मान हो सकेगा और एक कला प्रेमी को उसका हौसला भी प्राप्त हो सकेगा।

पहले उसकी पेंटिंग की तारीफ करने वाले उसका हौसला बढ़ाते नहीं थकते थे लेकिन समय का चक्र ऐसा बदला कि कोरोना के बाद उसका सारा तानाबाना जैसे ठप्प हो गया है। पिता जो खेती का काम करते रहे थे तो उसी से परिवार का पालनपोषण हो जाता था लेकिन अब अवस्था के साथ साथ वह बीमार भी हो गये जिससे उनसे कुछ नहीं हो पता उल्टा बोझ आरती के कंधो पर आ पड़ा। अब लोग भी उसकी तरफ नहीं देखते शायद इस महंगाई के डर से उन सभी को कही अपने व्यवहार में बदलाव करना पड़ रहा है। बहरहाल ईश्वर से हुनर का जज़्बा लेकर आर्थिक तंगी से बुरी तरह जूझ रही आरती को शायद एक नये सवेरे का इंतजार अवश्य है। आर्थिक तंगी ने हौसले पर लगाया प्रश्नचिन्ह