मां कामाख्या देवी मंदिर में दुकानदारों की लूट

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मां कामाख्या देवी मंदिर में दुकानदारों की लूट
मां कामाख्या देवी मंदिर में दुकानदारों की लूट

कामाख्या देवी मंदिर परिसर में मिठाई में एक तरफ लूट तो दूसरी तरफ बिकती हैं घटिया मिठाइयां। चेहरे देख कर लूटते हैं दुकानदार,खाद्य सुरक्षा विभाग लापता, आने को आते रहते हैं अक्सर आलाधिकारी। लेकिन अधिकारियों का क्या आए और चले गए किसी कोई मतलब नहीं, मेलों के दिन बेतरतीब मार्गों पर भी सजती हैं अन्य दुकानें। मेला प्रबंध कमेटी की जिम्मेदारी है दुकानों को सही ढंग से लगवाना लेकिन तहबाजारी वसूली तक सीमित है प्रबंध कमेटी। मां कामाख्या देवी मंदिर में दुकानदारों की लूट

पंकज यादव

मां कामाख्याधाम-अयोध्या। स्थानीय मां कामाख्या देवी मंदिर परिसर में मिठाई दुकानदारों द्वारा यहां आए देवी भक्तों को जमकर लूटा जाता है और लूट भी चेहरे देख कर किया जाता है,दूर दराज से आए भक्तों को देखकर यहां के दुकानदार मिठाई का मूल्य बताते हैं और एक ही मिठाई को अलग अलग मूल्यों में बेचते हैं।बताते चलें कि मां कामाख्या देवी का उक्त स्थान अयोध्या जिले की रुदौली तहसील के सुनबा गांव के निकट आदि गंगा गोमती के तट पर स्थित है जो अब नगर पंचायत कामाख्या देवी के नाम से नगर पंचायत गठित कर इस बार चुनाव भी हो चुके हैं।


यूं तो यहां सोमवार व शुक्रवार को मेला लगता है लेकिन प्रति दिन भी यहां हजारों की संख्या में दर्शानार्थी आते हैं और दर्जनों दुकानें यहां बगैर मेले के अन्य दिनों को सजी रहती हैं।
गत मंगलवार को को यहां देखने को मिला कि तरुण पुत्र अमरनाथ जलेबी की दुकान सजाए बैठे था। कुछ ग्राहक भी थे जिससे जलेबी का भाव पूछा गया तो 80 रुपए प्रति किलो बताया।किंतु जब आधा किलो जलेबी तौल कराया गया तो तुरन्त कीमत बढ़ एक सौ रुपए प्रति किलो हो गई। यही नहीं उक्त तरुण की भाषा शैली के कारण क्रेता और विक्रेता में काफी तू-तू मैं-मैं भी हुई। शुक्रवार पुनः इसी मेले में जलेबी की कीमत पता किया गया तो जलेबी प्रति किलो 80 रुपए ही थी। मतलब जब दुकानदारों की संख्या कम होती है तो दर्शानार्थियों को लूटा जाता है।

नगर पंचायत गठित होने के कारण नगर पंचायत मुख्यालय यहीं पर है। जिससे आला अधिकारियों का भी आवागमन होता रहता है। किंतु खाद्य सुरक्षा विभाग कभी भूलकर भी यहां नहीं आता। जिससे जलेबी ही अन्य मिठाइयों में भी जहां देवी भक्तों को मौका पाकर दुकानदारों द्वारा लूटा जाता है। वहीं मिठाइयां भी बेहद घटिया होती हैं। जिम्मेदारी मेला मंदिर प्रबंध कमेटी की भी कुछ बनती है। लेकिन कमेटी को तो केवल तहबाजारी वसूली से मतलब रहता है। दुकानदार क्या कर रहे हैं या देवी भक्तों के साथ क्या होता है इससे इस कमेटी को कोई सरोकार नहीं है। मंगलवार वाले जलेबी विक्रेता तरुण के बारे में पता किया गया तो पता चला वह इसी नगर पंचायत के गांव सैमसी का निवासी है और उसका पिता किसी किसान यूनियन का नेता है। इसलिए दबंगई के बल पर दुकान चलती है। ये खबर पढ़ते ही बहुत से लोगों को लेखक से जलन होगी। गरीब के पेट पर लात मारा जाता है लेकिन क्या उक्त तरीके से ग्राहकों के साथ बर्ताव क्या ये ग़लत नहीं है।

सच तो यह है कि ये गरीब हैं नहीं बल्कि गरीब होने का बहाना रहता है। जिसका बाप किसान यूनियन की नेतागिरी करे वह गरीब नहीं हो सकता। क्यों कि नेतागिरी बगैर धन के असंभव है। यहां तक कि यदि बांट माप विभाग आ जाए तो कांटा-बांट की सच्चाई भी सामने आ जाएगी। लेकिन जब पीसीएस और आईएएस अधिकारी आकर चले जाते हैं तो बांट माप विभाग या खाद्य सुरक्षा विभाग के लोग भी आकर चलता ही बनेंगे। फिलहाल यहां आने वाले धन व दुकानदारों के करतूतों की जांच आवश्यक है लेकिन घंटी कौन गले में बिल्ली के बांधे। मां कामाख्या देवी मंदिर में दुकानदारों की लूट