स्वच्छ भारत के सपने में उत्तर प्रदेश की दमदार मौजूदगी

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स्वच्छ भारत के सपने में उत्तर प्रदेश की दमदार मौजूदगी
स्वच्छ भारत के सपने में उत्तर प्रदेश की दमदार मौजूदगी
राजू यादव
राजू यादव

स्वच्छ भारत मिशन की परिकल्पना को साकार करने में उत्तर प्रदेश ने एक नई ऊँचाई छू ली है। वर्ष 2024-25 के स्वच्छ सर्वेक्षण पुरस्कारों में प्रदेश ने न केवल अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई, बल्कि कई नगरों और जनपदों ने उत्कृष्ट रैंकिंग हासिल कर स्वच्छता के क्षेत्र में नया मानदंड स्थापित किया। मुख्यमंत्री योगी के नेतृत्व में चला यह अभियान अब सिर्फ एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक बदलाव का प्रतीक बन चुका है। उत्तर प्रदेश की यह प्रगति, ‘स्वच्छ भारत’ के सपने को वास्तविकता में बदलने की दिशा में एक निर्णायक कदम है। यह उत्तर प्रदेश के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है, जो राज्य की शहरी स्वच्छता व्यवस्था की मजबूती और भविष्य की स्थायी नगर-नीति की दिशा में निर्णायक कदम है।अब यूपी केवल गंगा-जमुनी तहज़ीब का प्रतीक नहीं, स्वच्छता की नई राजधानी भी बन चुका है। स्वच्छ भारत के सपने में उत्तर प्रदेश की दमदार मौजूदगी

स्वच्छता में यूपी की ऐतिहासिक छलांग अब न केवल राष्ट्रीय रैंकिंग में दिखाई दे रही है, बल्कि यह बदलाव नगरों की सूरत और लोगों की सोच में भी साफ नज़र आ रहा है। उत्तर प्रदेश ने स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25 में अभूतपूर्व सफलता हासिल की है। राज्य ने शहरी स्वच्छता और सैनिटेशन पहल के लिए शीर्ष रैंक और विभिन्न श्रेणियो में कई प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त किए हैं। स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25 के नौवें संस्करण के पुरस्कार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित एक समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने प्रदान किए। इस अवसर पर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री एके शर्मा ने यूपी को मिले पुरस्कारों को ग्रहण किया। समारोह में लखनऊ ने 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में स्वच्छ शहर पुरस्कार में तीसरा स्थान प्राप्त किया और ऐतिहासिक 7-स्टार कचरा मुक्त शहर (GFC) रेटिंग हासिल की। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के कर-कमलों से लखनऊ को प्रेसिडेंशियल अवार्ड प्राप्त हुआ है। प्रयागराज, आगरा, गोरखपुर और महाकुंभ 2025 को उत्कृष्टता का पुरस्कार मिला। इसके साथ ही अब 5 स्टार रेटिंग से ऊपर वाले देश के 20 स्वच्छतम बड़े शहरों में से 6 शहर यूपी के हो गए हैं। राजधानी लखनऊ को 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में स्वच्छ शहर पुरस्कार में तीसरा स्थान प्राप्त करने के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार (प्रेसिडेंशियल अवार्ड)प्राप्त हुआ। लखनऊ शहर ने उत्तर प्रदेश में पहली बार 7-स्टार GFC रेटिंग हासिल कर कचरा प्रबंधन में उत्कृष्टता का परिचय दिया है। यह उपलब्धि लखनऊ के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है, जो शहर की स्वच्छता और कचरा प्रबंधन प्रणाली में निरंतर सुधार को दर्शाता है।

भारत सरकार के स्वच्छ सर्वेक्षण पुरस्कार 2024-25 में दिखी नए भारत के नए उत्तर प्रदेश की झलक। स्वच्छ भारत मिशन के इतिहास में उत्तर प्रदेश ने एक नया अध्याय रच दिया है। लखनऊ, देश का तीसरा सबसे स्वच्छ बड़ा शहर बनकर उभरा है।देश के प्रथम तीन स्वच्छतम बड़े नगरों में पहले एक भी नगर नहीं, लखनऊ पहली बार हुआ शामिल। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के कर-कमलों से तीसरे स्थान के लिए लखनऊ को मिला ‘प्रेसीडेंशियल एवार्ड’। प्रथम दस स्वच्छतम नगरों में पहले एक भी नगर नहीं था, अब दो हैं लखनऊ और आगरा।, प्रथम 25 स्वच्छतम नगरों में पहले एक नगर था, अब हैं सात-लखनऊ, आगरा, गाजियाबाद, प्रयाग, कानपुर, वाराणसी, मेरठ। कम जनसंख्या वाले स्वच्छतम नगरों में यूपी के अनेक नगरों ने बनाया स्थान। कूड़ा मुक्त शहर (जीएफसी) की संख्या बढ़कर 43 हुई। पहले एक भी नगर 7 स्टार नहीं था अब लखनऊ हुआ शामिल, 5 स्टार शहरों में 5 गुना वृद्धि। खुले में शौच से मुक्ति का काम हुआ पूरा, साथ ही ओडीएफ++ एवं वाटर+ नगरों की संख्या में लगभग 3 गुना हुई वृद्धि।

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ ने स्वच्छता के क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान स्थापित करते हुए देश के तीसरे सबसे स्वच्छ शहर का गौरव प्राप्त किया है। स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 के अंतर्गत विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित भव्य समारोह में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने लखनऊ नगर निगम को राष्ट्रीय ‘प्रेसीडेंशियल अवार्ड’ से सम्मानित किया। भारत सरकार के स्वच्छ सर्वेक्षण पुरस्कार 2024-25 में नए भारत के नए उ0प्र0 की झलक दिखाई दी। इस वर्ष उ0प्र0 कई श्रेणियों में पुरस्कृत हुआ। देश के प्रथम तीन स्वच्छतम नगरों में पहले एक भी नगर नहीं था, लखनऊ पहली बार शामिल हुआ। प्रथम 10 स्वच्छतम नगरों में भी पहले एक भी नगर नहीं था, अब इसमें लखनऊ और आगरा भी शामिल हैं। प्रथम 25 स्वच्छतम नगरों में पहले उ0प्र0 का मात्र एक नगर शामिल था, अब इसकी संख्या 07 है-लखनऊ, आगरा, गाजियाबाद, प्रयाग, कानपुर, वाराणसी व मेरठ है। स्वच्छ भारत मिशन के दूरदर्शी दृष्टिकोण और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रतिबद्धता व कार्य संस्कृति का प्रतिफल है। उत्तर प्रदेश में नगरीय स्वच्छता को एक जन आंदोलन के रूप में परिवर्तित करने में मुख्यमंत्री जी का अहम योगदान रहा है जिन्होंने प्रत्येक शहर को साफ सुथरा और सुंदर बनाने की दिशा में स्पष्ट लक्ष्य और संसाधन प्रदान किए।

लखनऊ ने इस वर्ष लंबी छलांग लगाते हुए पूरे देश में तीसरा स्थान प्राप्त किया। यह उपलब्धि विशेष रूप से नगर विकास मंत्री ए.के. शर्मा के कुशल नेतृत्व, सशक्त निर्णयों तथा सतत निरीक्षण एवं मार्गदर्शन का प्रत्यक्ष परिणाम है। श्री शर्मा के कुशल पर्यवेक्षण, सरलता, त्वरित निर्णय शक्ति व दूरदर्शिता के चलते लखनऊ ने विगत वर्ष की रैंकिंग (44 वाँ स्थान) से सीधा शीर्ष तीन में स्थान बनाया। उनके त्वरित निर्णय लेने की शक्ति से लखनऊ ने स्वच्छता के क्षेत्र में न केवल राज्य में बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर एक अनुकरणीय मॉडल प्रस्तुत किया है। पिछले वर्ष की रैंकिंग में 44वें स्थान पर रहा लखनऊ इस बार चरणबद्ध योजना, तकनीकी नवाचार और जनसहभागिता के माध्यम से सीधे शीर्ष तीन में पहुंचा है। नगर निगम द्वारा कूड़ा प्रबंधन को लेकर अपनाई गई डिजिटल निगरानी प्रणाली, कचरा पृथक्करण एवं शिवरी वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट पर किए जा रहे प्रभावी निस्तारण कार्यों को देश-विदेश में सराहा गया है।

ए. के. शर्मा ने इस ऐतिहासिक सफलता पर लखनऊ की जनता, निगम प्रशासन, सफाई कर्मियों एवं स्वच्छता योद्धाओं को बधाई देते हुए कहा-“यह सम्मान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की ‘स्वच्छ भारत’ संकल्पना और मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी के मार्गदर्शन में संचालित उत्तर प्रदेश की स्वच्छता नीति की बड़ी सफलता है। लखनऊ ने यह सिद्ध कर दिया है कि इच्छाशक्ति, पारदर्शिता और जनसहभागिता से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।’’ यह पुरस्कार कूड़ा प्रबंधन की दिशा में की गई व्यवहारिक पहल, वैज्ञानिक कूड़ा प्रबंधन और डिजिटल मॉनिटरिंग सिस्टम जैसे अभिनव उपाय के सफल क्रियान्वयन के लिए प्रदान किया गया। लखनऊ नगर निगम द्वारा कचरे की विभिन्न श्रेणियां का वैज्ञानिक ढंग से छटाई एवं पृथक्करण तथा शिवरी प्लांट पर जमा २० लाख टन कूड़े का निस्तारण एक अभूतपूर्व कार्य हुआ है। कूड़े से कंचन की बात को चरितार्थ करते हुए यूपी दर्शन नाम का अद्वितीय पार्क बनाया गया है। यूपी में हुए इन कार्यों की चर्चा अन्तर्राष्ट्रीय फलक पर भी हुई है। यह पुरस्कार केवल नगर निगम की नहीं, बल्कि लखनऊ के प्रत्येक नागरिक की मेहनत, जागरूकता और प्रतिबद्धता तथा सफ़ाई मित्रों सहित इस कार्य से जुड़े सभी के परिश्रम का परिणाम है। सभी नागरिकों से आह्वान किया है कि वे इस उपलब्धि को बनाए रखने और अन्य शहरों को भी प्रेरणा देने के लिए इसी उत्साह से सहभागी बनें।

लखनऊ नगर निगम द्वारा लखनऊ को स्वच्छ और हरित बनाए जाने के लिए किए गए विशेष प्रयास

लखनऊ नगर निगम द्वारा नगर को स्वच्छ एवं हरित बनाए जाने हेतु किए जा रहे कार्यों एवं शहरी कचरा प्रबंधन व पर्यावरणीय स्थिरता से संबंधित अपने विस्तृत प्रयासों में उल्लेखनीय योगदान दिया जा रहा है। शहरी कचरे को मूल्यवान संसाधनों में परिवर्तित करके, नगर निगम न केवल सार्वजनिक स्वास्थ्य को बेहतर बना रहा है बल्कि लखनऊ की पर्यावरणीय गुणवत्ता में भी व्यापक सुधार कर रहा है। यह तेजी से विकसित हो रहे शहरों के लिए एक अनुकरणीय मानक स्थापित कर रहा है, जो स्वच्छ, सुन्दर व हरित भविष्य के प्रति प्रतिबद्ध हैं।

लखनऊ नगर की लगभग 40 लाख आबादी एवं लगभग 7.50 लाख आवासीय व व्यावसायिक प्रतिष्ठानों वाले शहरी प्रबंधन में स्वच्छता सम्बन्धी कई बड़ी चुनौतियों है, जिसका सामना नगर निगम लखनऊ द्वारा दृढ़ता से किया जा रहा है। लखनऊ नगर निगम का मानना है कि वास्तव में स्वच्छ लखनऊ तभी संभव है जब इसमें नागरिकों की सक्रिय भागीदारी हो, और इसी को ध्यान में रखते हुए नगर निगम द्वारा नागरिकों को जागरूक किए जाने एवं सशक्त बनाए जाने हेतु निरन्तर विशेष प्रयास किया जा रहा है।

नागरिकों में जागरूकता बढ़ाने और जिम्मेदारी की भावना पैदा करने के लिए नगर निगम बहुआयामी आईईसी (सूचना, शिक्षा और संप्रेषण) अभियान चला रहा है। इस दिशा में विद्यालयों व शैक्षणिक संस्थानों को विशेष रूप से शामिल किया गया है। साथ ही बस स्टॉप, रेलवे स्टेशन जैसे प्रमुख सार्वजनिक स्थलों पर भी जनजागरूकता फैलाई जा रही है। सोशल मीडिया, वार्ड स्तरीय कार्यक्रमों एवं जन रैलियों के माध्यमों से यह अभियान जन-जन तक पहुंचाया जा रहा है। नगर निगम द्वारा किए जा रहे इन प्रयासों के परिणामस्वरूप नागरिकों में स्वच्छता के प्रति जिम्मेदारी और भागीदारी की भावना तेजी से बढ़ रही है। नगर निगम की रणनीति स्रोत स्तर पर कचरे को कम करने, पृथक्कीकरण एवं पुनर्चक्रण कर उपयोग करने को बढ़ावा देती है और साथ ही लगातार नागरिक प्रतिक्रिया पर आधारित व्यवस्था को भी सुदृढ़ करती है।

प्रमुख उपलब्धियां एवं पहल

कचरा प्रबंधन में क्रांतिकारी बदलाव

नगर निगम ने लिगेसी वेस्ट के निस्तारण में उल्लेखनीय प्रगति की है। घैला डंप साइट पर 6.5 लाख टन से अधिक कचरे का वैज्ञानिक प्रसंस्करण कर लिया गया है और रिक्लेम की गई भूमि को लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) को हस्तांतरित कर दिया गया है। उक्त रिक्त किए गए स्थल पर 65 एकड़ क्षेत्र में राष्ट्रीय प्रेरणा स्थल विकसित किया जा रहा है जिसने संग्रहालय, विशाल रैली ग्राउंड आदि सुविधाएं होंगी।

शिवरी प्लान्ट पर दशकों से जमा लाखों मीट्रिक टन कचरे का वैज्ञानिक रूप से निस्तारण किया गया है। इसके उत्पादों का सी0पी0सी0बी0 मानकों के अनुसार निस्तारण किया गया है। इस प्रयास से जो भूमि रिक्त हुई है, वहां 2100 मी०टन क्षमता का फ्रेश वेस्ट प्रोसेसिंग प्लान्ट एवं हरित पट्टियां विकसित की जा रही है। लखनऊ उत्तर प्रदेश का पहला ऐसा शहर बन गया है जो प्रतिदिन के फ्रेश वेस्ट का 100% वैज्ञानिक निस्तारण सुनिश्चित कर रहा है। उक्त परियोजना की निगरानी सतत् रूप से 24X7 संचालित सी०सी०टी०वी० कैमरों के माध्यम से की जा रही हैं। उक्त स्थल पर लीचेट ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना भी की गई है।

शिवरी प्लान्ट में संपूर्ण ढांचागत सुविधाएं जैसे सैनिटरी लैंडफिल साइट (एस०एल०एफ०) आदि को स्थापित करते हुए फ्रेश वेस्ट से निकलने वाले बाँय प्रोडक्ट का शतप्रतिशत वैज्ञानिक निस्तारण किया जा रहा है। साथ ही प्रतिदिन लगभग 1200 मीट्रिक टन गीले कचरे से 150 टन उच्च गुणवत्ता वाली खाद तैयार की जा रही है। नगर निगम लखनऊ द्वारा 300 मी०टन क्षमता के बायो-सी०एन०जी० एवं 150 मी०टन क्षमता के बॉयो-सी०बी०जी० परियोजनाएँ भी विकसित की जा रही हैं, जिससे प्रतिवर्ष लगभग ₹85 लाख का राजस्व मिलने की संभावना है।

विशेष पहल

नारियल के खोल से कोयर व कोकोपीट बनाने का संयंत्र स्थापित किया गया है। ब्लैकहोल इनसिनरेटर मशीन के माध्यम से अनुपयोगी कचरे का निस्तारण किया जा रहा है। प्लास्टिक पैलेट मशीन द्वारा निकलने वाले प्लास्टिक वेस्ट से हाई डेन्सिटी प्लास्टिक पैलेट्स बनायी जा रही है। हॉस्पिटल व नर्सिंग होम से निकलने वाले बायो-मेडिकल वेस्ट व निकलने वाले ई-वेस्ट के निस्तारण प्लान्ट की स्थापना की गई है। मृत पशुओं के निस्तारण हेतु कारकस प्लांट की स्थापना शिवरी प्लान्ट में की गई है।

निर्माण एवं विध्वंस (सी०एण्डडी०) कचरा प्रबंधन

ग्राम हरिकंश गढ़ी, तहसील मोहनलाल गंज में स्थापित 300 मी०टन वेट प्रोसेस सी० एंड डी० वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट की स्थापना नगर से उत्पन्न मलबे के निस्तारण हेतु की गई है। जिससे मलबे को पुनर्चक्रित करते हुए इंटरलॉकिंग पेवर ब्लॉक्स, बाउण्ड्री बॉल पैनल, गमले, सॉलिड ब्लॉक, ईंटे, कर्ब स्टोन आदि उपयोगी उत्पादों को बनाने में किया जा रहा है। साथ ही नगर निगम सीमान्तर्गत प्रत्येक जोन में सी0एण्डडी0 वेस्ट हेतु 8 जोनल संग्रह केंद्र स्थापित किए गए है।

घर-घर से कूड़ा संग्रहण एवं परिवहन

नगर निगम द्वारा शहर के 100% घरों एवं व्यवसायिक इकाइ‌यों को कवर करते हुए डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण को और प्रभावी बनाया गया है। तद्हेतु लगभग 1250 से अधिक ई-वाहन तैनात किए गए हैं, जिससे ईंधन की बचत और लागत में कमी हो रही है। इससे मासिक ₹3.50 करोड़ तक का यूजर चार्ज संग्रहित हो रहा है। जिसके अन्तर्गत नागरिक टोल फ्री नंबर एवं लखनऊ वन (311 ऐप) के माध्यम से शिकायत दर्ज कर सकते हैं। जिसकी सतत् मॉनीटरिंग किए जाने हेतु डेडिकेटेड कमांड एवं कन्ट्रोल सेंटर (डी०सी०सी०सी०) द्वारा किए जा रहे कार्यों की निगरानी की जा रही है।

वेस्ट टू वेल्थ एवं पर्यावरण सुधार हेतु पहल

यू०पी० दर्शन पार्क के अन्तर्गत निष्प्रयोज्य सामग्री से 16 राज्यों के स्मारकों की प्रतिकृतियां बनाई गई हैं।

निष्प्रयोज्य सामग्री को पुनर्चक्रित करते हुए हैपिनेस पार्क की स्थापना की गई है। जिससे जनमानस के मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ राजस्व की भी प्राप्ति हो रही है। औद्योगिक स्क्रैप से बने 80 अनोखे संगीत वाद्ययंत्र की स्थापना हॉर्मोनी पार्क के रूप में की गई है। राजभवन के पास कचरा स्थल को अत्याधुनिक स्केटिंग रिंग ग्राउण्ड में बदला गया है तथा ऐसे 10 और स्थानों पर बनाए जाने की योजना है।बैकलैन डंप प्वाइंट्स को सुंदर सेल्फी पॉइंट्स में परिवर्तित किया गया है। 250 ओपन एयर जिम्स को स्वास्थ्य संवर्धन हेतु स्थापित किया गया है। नगर निगम लखनऊ द्वारा वायु गुणवत्ता सुधार के अन्तर्गत 96 इलेक्ट्रिक रोड स्वीपर्स संचालित किए जा रहे हैं। जिससे वायु गुणवत्ता में बेस वर्ष 2017-18 की अपेक्षा पी०एम०-10 में लगभग 41% का उल्लेखनीय सुधार परिलक्षित हुआ है।

पर्यावरण सुधार हेतु प्रभावी पहल

नगर के प्रमुख सड़कों एवं खाली पड़े स्थलों पर लगभग 3.5 लाख पौधारोपण कर हरित क्षेत्र विकसित किया गया है। जिससे सड़क चौड़ीकरण और फुटपाथ निर्माण से धूल प्रदूषण में कमी के साथ वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ है। शहर के प्रमुख चौराहों पर वाटर फाउंटेन्स स्थापित किए गए हैं, जिससे चौराहों की सुन्दरता के साथ चौराहों पर व्याप्त प्रदूषण स्तर में भी कमी आई है। नगर निगम द्वारा लगभग 9.6 टन जब्त की गई सिंगल यूज प्लास्टिक का पुनर्चक्रण करते 2 किमी सड़क का निर्माण किया गया है। साथ ही जब्त की गई सिंगल यूज प्लास्टिक को आर०आ०आर० मॉडल के तहत कुर्सियां, टेबल, गमले आदि उपयोगी उत्पाद तैयार कराए जा रहे हैं। शिवरी स्थित ठोस अपशिष्ट प्रोसेसिंग प्लांट पर 2 मेगावॉट क्षमता का सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया जा रहा है। जिससे प्लान्ट के विद्युत व्यय में प्रतिमाह लगभग ₹20.00 लाख बचत की संभावना है। साथ ही नगर निगम द्वारा कार्बन उत्सर्जन में कमी लाए जाने हेतु कार्बन क्रेडिट के अवसर प्राप्त किए जाने हेतु नगर निगम प्रयासरत है। नगर निगम लखनऊ द्वारा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के क्षेत्र में किए जा रहे सार्थक एवं सतत् प्रयासों व नवाचारी दृष्टिकोण से न केवल शहरी कूड़े का वैज्ञानिक निस्तारण हो पा रहा है, बल्कि इसे मूल्यवान संसाधनों में भी परिवर्तित किया जा रहा है। जिससे पर्यावरण संरक्षण के साथ आर्थिक विकास में नी महत्वपूर्ण योगदान प्राप्त हो रहा है।

स्वच्छता सर्वेक्षण 2024 में उत्तर प्रदेश को ऐतिहासिक उपलब्धि

लखनऊ को देश में तीसरा स्थान, प्रयागराज को महाकुंभ के लिए विशेष सम्मान। नगर विकास मंत्री श्री ए.के. शर्मा ने प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन के प्रति जताया आभार। यह सफलता सरकार,स्थानीय निकायों के नेतृत्व, सफाई कर्मियों, स्वयं सेवकों और नागरिकों की सामूहिक भागीदारी से संभव हुआ । मानवीय पुरुषार्थ, मशीन के सदुपयोग और आधुनिक तकनीक से हम बना रहे वैश्विक नगर।

केंद्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय द्वारा जारी स्वच्छता सर्वेक्षण 2024 के परिणामों में उत्तर प्रदेश को बड़ी उपलब्धि प्राप्त हुई है। प्रदेश की राजधानी लखनऊ को देशभर में तीसरा स्थान प्राप्त हुआ है। यह पहले बार है की यूपी के किसी नगर को देश में स्वच्छता में इतना ऊँचा स्थान मिला है। साथ ही प्रयागराज को महाकुंभ 2025 के दौरान स्वच्छता प्रबंधन के लिए विशेष श्रेणी में राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।प्रयागराज को यह पुरस्कार दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन- महाकुंभ 2025- में अनुमानित 66 करोड़ श्रद्धालुओं की उपस्थिति के बावजूद शहर और मेला क्षेत्र में सतत, समावेशी और स्वच्छ व्यवस्था को प्रभावी ढंग से लागू करने हेतु दिया गया है।

“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा दिए गए ‘स्वच्छता ही सेवा’ मंत्र और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में प्रदेश में शहरी विकास और सफाई व्यवस्था में अभूतपूर्व सुधार हुआ है। सुबह पाँच बजे से सफ़ाई कर्मी अपने कार्य में लग जाते हैं। साथ ही डेडिकेटेड कमांड और कंट्रोल सेंटर से उसकी तकनीक आधारित मॉनिटरिंग भी होती है। महाकुंभ जैसे विराट आयोजन में स्वच्छता के क्षेत्र में यह राष्ट्रीय सम्मान न केवल प्रदेश के लिए गौरव की बात है, बल्कि भारत के स्वच्छता अभियान की वैश्विक मान्यता का प्रतीक है।”

महाकुंभ में स्वच्छता के लिए किए गए महत्वपूर्ण प्रयास

100 प्रतिशत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सुनिश्चित किया गया, जिससे महाकुंभ नगर को कचरा मुक्त और प्लास्टिक मुक्त घोषित किया गया।तकनीकी नवाचारों के माध्यम से स्वच्छता कार्यों की निगरानी-जैसे रिवर स्क्रीमर, तैरते अवरोध, आदि के माध्यम से गंगा नदी की सफाई।पीपीपी मॉडल पर आधारित जैव सीएनजी संयंत्रों की स्थापना कर जैविक कचरे से स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन।15,000 स्वयंसेवकों द्वारा सामूहिक घाट सफाई अभियान, जिससे बना गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड।30,000 मियावाकी वृक्षों का रोपण, जिससे हरित और सतत महाकुंभ की अवधारणा को बल मिला।शहर में विभिन्न स्थानों पर स्वच्छता संदेश वाले भित्ति चित्र और कला प्रदर्शनियों द्वारा जन जागरूकता।सार्वजनिक स्थानों के सौंदर्यीकरण और स्वच्छता पर विशेष बल।
एकल उपयोग वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध लागू कर स्थाई विकल्प विकसित किए गए।अभियानों में नागरिकों की भागीदारी बढ़ाई गई।स्वच्छता ही सेवा अभियान और स्वच्छ सर्वेक्षण जागरूकता रैलियों का आयोजन।

महाकुंभ नगर में स्वच्छता के उच्चतम मानकों को सुनिश्चित करने के लिए मंत्री ए. के. शर्मा स्वयं मेला क्षेत्र में कैंप करते रहे और लगातार निरीक्षण कर स्वच्छता कार्यों की निगरानी की उन्होंने विभिन्न सेक्टरों में पैदल भ्रमण कर व्यवस्थाओं का आकलन किया और समुचित दिशा निर्देश दिए, उनकी रणनीतिक दक्षता और सक्रिय सहभागिता के परिणाम स्वरुप मेले में स्वच्छता का ऐसा मॉडल प्रस्तुत हुआ जिसकी विदेशी पर्यटकों, यात्रा लेखकों तथा श्रद्धालुओं ने मुक्त कंठ से सराहना की। नगर विकास मंत्री श्री शर्मा ने कहा कि यह सफलता सरकार, स्थानीय निकायों, सफाईकर्मियों, स्वयंसेवकों और नागरिकों की सामूहिक भागीदारी से संभव हुई है। उन्होंने स्वच्छता अभियान से जुड़े हर कर्मवीर को बधाई देते हुए यह विश्वास जताया कि उत्तर प्रदेश आने वाले वर्षों में स्वच्छता के हर क्षेत्र में अग्रणी रहेगा। स्वच्छ भारत के सपने में उत्तर प्रदेश की दमदार मौजूदगी