यूपी में अब गोकशी नहीं…

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यूपी में अब गोकशी नहीं...
यूपी में अब गोकशी नहीं...

यूपी में अब गोकशी नहीं होती, गऊ माता अर्थव्यवस्था को कर रहीं मजबूत, दे रहीं रोजगार। योगी सरकार में गोवंश संरक्षण से अर्थव्यवस्था को मिली नई दिशा। 2017 से पहले अखिलेश सरकार में गोवंश की उपेक्षा और गोकशी का था बोलबाला। योगी आदित्यनाथ ने गोवंश को अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा से जोड़ा। राष्ट्रीय जीडीपी में पशुपालन का योगदान जहां 4.11% तो वहीं उत्तर प्रदेश में यह 7.1% है। गो आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था उत्तर प्रदेश मॉडल सफलता का प्रमाण है। गोबर और गोमूत्र से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिला नया आधार। गो-आश्रय स्थलों में महिला समूहों की भागीदारी से सशक्त हो रही प्रदेश की नारी। युवाओं के लिए पशुपालन और डेयरी सेक्टर में खुले नये अवसरों के द्वार। स्वदेशी गौ संवर्धन, नस्ल सुधार और कृत्रिम गर्भाधान पर सरकार का विशेष फोकस। टीकाकरण और मोबाइल वेटरनरी यूनिट्स से पशु स्वास्थ्य सेवाओं में हुआ व्यापक सुधार। गोचर भूमि का योगी सरकार ने किया संरक्षण और चारा उत्पादन में हुई बढ़ोतरी। प्रदेश में पशुपालन इन्फ्रास्ट्रक्चर हुआ मजबूत, यूपीजीआईएस से हुआ बड़ा निवेश, खुले आर्थिक उन्नति के द्वार। यूपी में अब गोकशी नहीं

लखनऊ। उत्तर प्रदेश, जो देश के 16 प्रतिशत पशुधन का घर है, गोवंश संरक्षण के माध्यम से अपनी अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहा है। योगी आदित्यनाथ सरकार ने गोवंश को न केवल संरक्षित किया है, बल्कि इसे ग्रामीण अर्थव्यवस्था का आधार बनाकर युवाओं और महिलाओं के लिए रोजगार के अनगिनत अवसर सृजित किए हैं। गोबर और गोमूत्र से बने उत्पादों ने इस क्रांति को और गति दी है। यह स्थिति 2017 से पहले की अखिलेश यादव सरकार के दौर से बिल्कुल उलट है, जब निराश्रित गोवंश को सड़कों पर भटकने या कत्लखानों में बिकने के लिए छोड़ दिया जाता था और गोकशी की घटनाओं पर कोई अंकुश नहीं था।

2017 से पहले थी दयनीय स्थिति

20वीं पशुगणना (2019) के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 1.90 करोड़ गोवंश हैं, जिनमें 11.84 लाख निराश्रित गोवंश शामिल हैं। व्यवहारिक रूप से 2017 में यह संख्या 12 लाख से अधिक थी। उस समय गोवंश संरक्षण के लिए कोई नीति नहीं थी। केवल 100 गो-आश्रय स्थल थे, टीकाकरण सीमित था और पशुपालकों के लिए कोई ठोस योजना नहीं थी। डेयरी मिशन जैसा कोई कार्यक्रम अस्तित्व में नहीं था। निराश्रित गोवंश या तो सड़कों पर भटकते थे या कत्लखानों में बेचे जाते थे, जिससे सामाजिक तनाव बढ़ता था।

योगी सरकार ने की क्रांतिकारी पहल

2017 में योगी आदित्यनाथ, जो स्वयं गोरक्ष पीठ के पीठाधीश्वर भी हैं और गायों के प्रति गहरा स्नेह रखते हैं, उनके नेतृत्व में सरकार बनने के बाद गोवंश संरक्षण को अत्यधिक प्राथमिकता मिली। 2 जनवरी 2019 को देश में पहली बार निराश्रित गोवंश संरक्षण नीति उत्तर प्रदेश में लागू की गई। आज प्रदेश में 7,717 गो-आश्रय स्थल हैं, जिनमें 12.52 लाख गोवंश संरक्षित हैं। इनके भरण-पोषण के लिए सरकार प्रतिदिन 50 रुपये प्रति गोवंश के हिसाब से 7.5 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। प्रत्येक वृहद गो-संरक्षण केंद्र के निर्माण पर 1.60 करोड़ रुपये निवेश किए जा रहे हैं।

गोबर और गोमूत्र से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिला नया आधार

प्रदेश में प्रतिदिन 5,500 टन गोबर उत्पादित हो रहा है, जिसे वर्मी कम्पोस्ट, गमले, गोदीप, गोकाष्ठ, धूपबत्ती, पंचगव्य, जीवामृत और घनामृत जैसे उत्पादों में बदला जा रहा है। इन उत्पादों ने गोवंश को बेसहारा छोड़ने की प्रवृत्ति को कम किया है और पशुपालकों के लिए गोबर व गोमूत्र को आय का साधन बनाया है। विभिन्न गो-आश्रय स्थलों में इन उत्पादों की इकाइयां स्थापित की जा रही हैं, जिनमें महिला समूहों को विशेष रूप से जोड़ा गया है। यह न केवल ग्रामीण महिलाओं को सशक्त कर रहा है, बल्कि जैविक खेती को भी बढ़ावा दे रहा है।

अर्थव्यवस्था में क्या है गोवंश की भूमिका

उत्तर प्रदेश की जीएसडीपी 25.63 लाख करोड़ रुपये है, जिसमें पशुपालन क्षेत्र की हिस्सेदारी 1.67 लाख करोड़ रुपये है। राष्ट्रीय जीडीपी में पशुपालन का योगदान 4.11 प्रतिशत है, जबकि यूपी इस मामले 7.1 प्रतिशत के साथ काफी आगे है। यही नहीं प्रदेश में 390 लाख मीट्रिक टन दुग्ध उत्पादन हो रहा है, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रहा है। मुख्यमंत्री स्वदेशी गौ संवर्धन योजना और नंदिनी कृषक समृद्धि योजना के तहत स्वदेशी नस्लों जैसे साहीवाल, गीर और थारपारकर के पालन को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इन योजनाओं में 40 से 50 प्रतिशत अनुदान और 10 से 15 हजार रुपये का पुरस्कार डीबीटी के माध्यम से 6,500 से अधिक गौपालकों को दिया गया है।

बड़े पैमाने पर हो रहा निवेश

गोवंश के कृत्रिम गर्भाधान को बढ़ावा देने के लिए 2024-25 में 3.08 लाख गर्भाधान नि:शुल्क किए गए हैं। पशुपालन अवसंरचना विकास निधि और नेशनल लाइवस्टॉक मिशन के तहत 44 और 292 परियोजनाओं से क्रमशः 1,094.38 करोड़ और 144.29 करोड़ रुपये का निवेश हो रहा है। वहीं यूपीजीआईएस 2023 के तहत 578 डेयरी और पशुपालन इकाइयों से 2,221.99 करोड़ रुपये का निवेश और 1.23 लाख रोजगार सृजित हो रहे हैं।

युवाओं और महिलाओं के लिए खुले रोजगार के द्वार

योगी सरकार की योजनाएं ग्रामीण युवाओं और महिलाओं को पशुपालन में उद्यमिता के अवसर प्रदान कर रही हैं। नंदिनी कृषक समृद्धि योजना के तहत 25 दुधारू गोवंश की इकाइयां स्थापित की जा रही हैं, जिसमें 50 प्रतिशत महिलाओं को लाभ मिल रहा है। चारा नीति 2024 के तहत 230 हेक्टेयर भूमि पर नेपियर ग्रास का उत्पादन शुरू हुआ है, जिससे 1.73 लाख क्विंटल चारा उत्पादन का लक्ष्य है। 9,449.82 हेक्टेयर गोचर भूमि कब्जामुक्त कराई गई और 5,458.93 हेक्टेयर पर हरा चारा रोपा गया। गोबर और गोमूत्र आधारित इकाइयों में महिला समूहों की भागीदारी ने ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया है।

सरकार चला रही व्यापक टीकाकरण अभियान

पशु स्वास्थ्य सेवाओं में 2017 के बाद अभूतपूर्व सुधार हुआ है। बीते आठ वर्षों में 2,202 पशु चिकित्सालयों के अतिरिक्त 39 नए चिकित्सालय और 2,575 पशु सेवा केंद्र स्थापित किए गए। 2024-25 में 520 मोबाइल वेटरनरी यूनिट्स ने 15.93 लाख पशुपालकों के 32.34 लाख पशुओं को चिकित्सा सुविधा दी। लम्पी स्किन डिजीज पर नियंत्रण के लिए 1.52 करोड़ टीकाकरण किए गए, जिससे गोवंश की मृत्यु दर देश में सबसे कम रही। 2024-25 में 1,648 लाख टीकाकरण का कार्य पूरा किया गया।

2017 से पहले कत्लखानों में बिकने को मजबूर था गोवंश


आपको जानकर ताज्जुब होगा कि 2017 से पहले गोवंश संरक्षण की कोई नीति नहीं थी। निराश्रित गोवंश को सड़कों पर भटकने या कत्लखानों में बेचने के लिए छोड़ दिया जाता था। 2017 में महज 100 गो आश्रय स्थल थे, वहीं योगी सरकार ने गो-आश्रय स्थलों की संख्या को बढ़ाकर 7,717 पहुंचा दियाा है। यही नहीं 1.12 लाख पशुपालकों को 1.73 लाख गोवंश सौंपे गये हैं। पशुधन बीमा योजना में 2024-25 में 1.60 लाख पशुओं का बीमा हुआ है। 1,372.35 क्विंटल उन्नत चारा बीज नि:शुल्क वितरित किए गए। गोबर और गोमूत्र से उत्पादों ने पशुपालकों को नई आय दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश ने गोवंश संरक्षण को एक सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक क्रांति में बदल दिया है। गोबर और गोमूत्र आधारित उत्पादों ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त किया है, जबकि युवाओं और महिलाओं को रोजगार के नए अवसर मिले हैं। यह मॉडल न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा है। यूपी में अब गोकशी नहीं