2027 तक यूपी को बाल श्रम मुक्त बनाने का संकल्प-मुख्यमंत्री

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2027 तक यूपी को बाल श्रम मुक्त बनाने का संकल्प-मुख्यमंत्री
2027 तक यूपी को बाल श्रम मुक्त बनाने का संकल्प-मुख्यमंत्री
राजू यादव
राजू यादव

उत्तर प्रदेश को 2027 तक बाल श्रम मुक्त बनाने के संकल्प के साथ योगी सरकार ने कमर कस ली है। सरकार लगातार जागरूकता अभियानों और पुनर्वास कार्यक्रमों के माध्यम से बाल श्रमिकों के जीवन में बदलाव लाने की दिशा में कार्य कर रही है। आगामी 12 जून को अंतर्राष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर विशेष जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। अब तक सरकार ने 10,336 बाल श्रमिकों की पहचान की है और “बाल श्रमिक विद्या योजना” के अंतर्गत 2,000 बच्चों को शिक्षा और आर्थिक सहायता से जोड़ा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से बीते आठ वर्षों में 12,426 बच्चों को शिक्षा का अवसर प्राप्त हुआ है, जो राज्य में बाल श्रम उन्मूलन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। 2027 तक यूपी को बाल श्रम मुक्त बनाने का संकल्प-मुख्यमंत्री

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में बाल श्रम के खिलाफ निर्णायक अभियान की शुरुआत हो चुकी है। राज्य सरकार ने वर्ष 2027 तक प्रदेश को बाल श्रम से पूरी तरह मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है और इसके लिए बहुआयामी योजनाओं को ज़मीनी स्तर पर उतार दिया गया है। जागरूकता, शिक्षा और पुनर्वास के जरिए बचपन को मजबूरी नहीं, अवसर देने के लिए हर स्तर पर ठोस प्रयास जारी हैं। यह अभियान अब सिर्फ सरकारी फाइलों तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि गांव-गली तक पहुँच चुका है, जहाँ अब मुस्कुराता बचपन और संवरता भविष्य दिखाई दे रहा है। बाल श्रम की रोकथाम के लिए आगामी 12 जून को अंतर्राष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर विशेष जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इन कार्यक्रमों के ज़रिए समाज को यह संदेश दिया जाएगा कि बच्चों की जगह स्कूल में है, श्रम में नहीं। सरकार विभिन्न विभागों के समन्वय से इस अभियान को और अधिक प्रभावशाली बनाने की दिशा में कार्य कर रही है।

अब तक 10,336 बाल श्रमिकों की हो चुकी है पहचान

योगी सरकार के प्रयासों से अब तक 10,336 बाल श्रमिकों की पहचान की जा चुकी है। वर्ष 2017-18 से 2024-25 तक 12,426 बाल श्रमिकों का शैक्षिक पुनर्वासन कराया गया है, ताकि ये बच्चे फिर से विद्यालय में जाकर एक नई शुरुआत कर सकें। यही नहीं, इन बच्चों के परिवारों को भी सरकार ने अकेला नहीं छोड़ा। 1,089 परिवारों को आर्थिक पुनर्वासन के जरिए सहायता दी गई है, ताकि वे मजबूरीवश अपने बच्चों से काम न करवाएं। यही नहीं योगी सरकार द्वारा संचालित ‘बाल श्रमिक विद्या योजना’ के अंतर्गत 2,000 कामकाजी बच्चों को स्कूल में दाखिला दिलाया गया है और उन्हें आर्थिक सहायता भी प्रदान की गई, जिससे उनके पढ़ाई के रास्ते में कोई बाधा न आए। यह योजना न केवल शिक्षा को बढ़ावा देती है, बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण को भी बदलने का काम कर रही है।

बंधुआ मजदूरी के खिलाफ सख्त योगी सरकार

बंधुआ मजदूरी के खिलाफ भी सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। वर्ष 2017-18 से 2024-25 तक कुल 1,408 बंधुआ श्रमिकों का पुनर्वासन कर उन्हें 1,817.21 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी गई है। यह प्रयास उन्हें स्वतंत्र और गरिमामय जीवन की ओर ले जाने में एक बड़ा कदम साबित हो रहा है। श्रम कल्याण परिषद के माध्यम से संगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए 8 कल्याणकारी योजनाएं संचालित की जा रही हैं। इनके संचालन के लिए सरकार ने 40 करोड़ रुपये की कॉर्पस निधि उपलब्ध कराई है। वर्ष 2024-25 में अब तक 309 श्रमिकों को 1.32 करोड़ रुपये की सहायता देकर राहत पहुंचाई जा चुकी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्पष्ट निर्देश हैं कि बचपन से बड़ा कोई भविष्य नहीं होता, और बच्चों से बड़ा कोई निवेश नहीं। इसी सोच के तहत सरकार प्रदेश के हर बच्चे को बाल श्रम से मुक्त कर शिक्षा, सुरक्षा और सम्मान की दिशा में अग्रसर कर रही है। 2027 तक यूपी को बाल श्रम मुक्त बनाने का संकल्प-मुख्यमंत्री