

योग बहुत सूक्ष्म विज्ञान पर आधारित एक आध्यात्मि विषय है जो मन एवं शरीर के बीच सामंजस्य स्थापित करने पर केंद्रित है। यह स्वस्थ जीवन-यापन की कला एवं विज्ञान है। योग एक प्राचीन आध्यात्मिक और शारीरिक पद्धति है जो आत्मा, मन और शरीर को संतुलित करने का मार्ग दिखाती है। योग शब्द संस्कृत की युज धातु से बना है जिसका अर्थ ‘जुड़ना’ या ‘एकजुट होना’ व ‘शामिल होना’। वहीं योग का उद्देश्य हमारे जीवन का समग्र विकास करना है। सर्वांगीण विकास से तात्पर्य यहाँ शारीरिक, मानसिक,आध्यात्मिक,नैतिक और सामाजिक विकास से है। योग का उल्लेख वेदों और उपनिषदों में मिलता है और इसे महर्षि पतंजलि ने अपने योगसूत्र में सूत्रबद्ध किया। यह केवल आसनों तक सीमित नहीं, बल्कि ध्यान, प्राणायाम और नैतिक जीवनशैली का एक संपूर्ण विज्ञान है। जानें योग और प्रणायाम क्या है..?
योग क्या है..?
योग हमारे शरीर की मांसपेशिया को अच्छा व्यायाम ही नहीं बल्कि हमारे शरीर को स्वस्थ और दिमाग को शांत रखती है। चिकित्सा अनुसंधान से पता चला है की योग मानसिक और शारीरिक दोनों रूपों से अच्छे स्वास्थ्य को बनाये रखने में मदद करती है तथा तनाव से भी राहत देती है। योग से बेहतर नींद, भूख और पाचन दुरुस्त करने में भी मदद करती है। इसे करने से चेहरा खिला-खिला रहता है और शरीर को वजन मेंटेन रखने में भी मदद करती है। योग आधियात्मिक, शारीरिक और मानसिक प्रथाओं का एक समूह है जिसकी उत्पति प्राचीन भारत में हुई थी। योग सही तरह से जीने का विज्ञान है और इस लिए इसे दैनिक जीवन में शामिल किया जाना चाहिए। यह हमारे जीवन से जुड़े भौतिक, मानसिक, भावनात्मक, आत्मिक और आध्यात्मिक, आदि सभी पहलुओं पर काम करता है। योग का शाब्दिक अर्थ जोड़ना होता है। योग शारीरिक व्यायम ,मुद्रा {आसन },ध्यान सांस लेने की तकनीक और व्यायाम को जोड़ती है इस शब्द का अर्थ योग है।

योग क्यों जरुरी है..?
आज के समय में लोगो का लाइफस्टाइल ऐसा हो गया है की उन्हें अपने लिए समय निकालना मुश्किल होता है, जरुरी है की वो अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर रखे ताकि किसी भी तरह की स्वास्थ्य समस्या न हो। हम सभी अपने काम और लाइफ में संतुलन बनाने में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। सोसल सर्कल कम होना, स्क्रीन टाईम बढ़ने से लोग अनिंद्रा ,अवसाद ,कमजोर इच्छा शक्ति के शिकार हो रहे है। मेन्टल हेल्थ फाउंडेशन के अनुसार 51 फीसदी लोग तनाव का कारण उदासी है। 61 फीसदी लोगो ने चिंता महसूस करने की जानकारी दी, 1 फीसदी लोग खुद को नुकसान पहुंचाया है। 32 फीसदी लोग खुद को नुकसान पहुंचाने का विचार पनपने लगा । 37 फीसदी लोग अकेलापन मासूस करने की शिकायत की। 18 से 24 साल के उम्र के लोगो में उच्च स्तरका तनाव महसूस किये। ये तनाव किस भी एजगुरुप के मुकाबले सबसे ज्यादा है 36 फीसदी महिलाएं अपनी काया और काम के चलते तनाव में रहती है। पुरुष की की तादाद 23 फीसदी है । इसलिए योग हमारी जिंदगी का जरुरी हिंसा होना चाहिए।

योग से होने वाले लाभ जानें योग और प्रणायाम क्या है..?
1. मन रहेता है शांत: अगर आप योग करते है तो ये आपके मन और मानसिक रूप से अच्छा होता है। योग के जरिए आपकी मांसपेशियां सही प्रकार से काम करती है। इसके माध्यम से आप तनाव से मुक्त रहते है इसके अलावा यदि आप छात्र है तो योग आपके लिए वरदान है पढ़ाई में ध्यान केंद्रित करने में मददगार साबित होता है।
2. तन के साथ मन का व्यायाम: योग के जरिए आप अपने शरीर को भी तंदुरुस्त रख सकते है, साथ ही मन को साफ़ और मन में आते बुरे ख्यालों का इलाज़ भी सिर्फ योग करने से ठीक हो सकते हैं। स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मश्तिष्क भी योग के अभ्यास से पूरा किया जा सकता है।
3. योग से होंगे निरोग: अगर आप निरंतर योग करते हैं तो आप हमेशा निरोग रहेंगे। जी हाँ योग के जरिए आपका शरीर रोगों से लड़ने की शक्ति देता है और योग की वजह से आप हमेशा निरोग रहते हैं। यदि आप किसी रोग से परेशान है तो योग के निरंतर अभ्यास के बाद उस बीमारी को हमेशा के लिए खत्म कर सकते हैं।
4. वजन होगा कंट्रोल: योग के जरिए आपकी मांसपेशियों को मजबूत करता है और शरीर को तंदुरुस्त बनाता है, तो वहीं दूसरी ओर योग से शरीर से फैट को भी कम किया जा सकता है।
5. ब्लड शुगर होगा कंट्रोल: योग से आप अपने ब्लड शुगर लेवल को भी काफी तद तक कंट्रोल कर सकते हैं और बढ़े हुए ब्लड शुगर लेवल को घटता है। डायबिटीज रोगियों के लिए योग बेहद फायदेमंद है।
योग के 4 प्रमुख प्रकार
राज योग:-राज का अर्थ शाही होता है और योग की इस शाखा का सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण अंग है ध्यान। इस योग के आठ अंग है, जिस कारण से पतंजलि ने इसका नाम रखा है अष्टांग योग। यह आठ योग इस प्रकार है, यम (शपथ लेना), नियम (आत्म अनुशासन), आसन, प्राणायम, प्रत्याहार, धारण (एकाग्रता), ध्यान (मेडिटेशन) और समाधि (अंतिम मुक्ति)।
कर्म योग:- अगली शाखा कर्म योग या सेवा का मार्ग है और हम में से कोई भी इस मार्ग से नहीं बच सकता है। इस बारे में जागरूक होने से हम वर्तमान को अच्छा भविष्य बनाने का एक रास्ता बना सकते है, जो हमें नकारात्मकता और स्वार्थ से बाध्य होने से मुक्त करना है।
भक्ति योग:- भक्ति योग भक्ति के मार्ग का वर्णन करता है। सभी के लिए सृष्टि में परमात्मा को देखकर, भक्ति योग भावनाओं को को नियंत्रित करने का एक सकारात्मक तरीक़ा है।
ज्ञान योग:- अगर हम भक्ति को मन का योग मानते है, तो ज्ञान योग बुद्धि का योग है, ऋषि या विदान का मार्ग है। इस पथ पर चलने के लिए योग के ग्रंथो के अध्ययन के माध्यम से बुद्धि के विकास की आवश्यकता होती है।
प्रणायाम क्या है..?

प्राणायाम,सांस पर ध्यान केंद्रित करने का योग अभ्यास है। इसे श्वास नियंत्रण का आयुर्वेदिक अभ्यास भी कहा जाता है। प्राणायाम के ज़रिए श्वास को नियंत्रित करके मन को शांत किया जाता है और शरीर में ऑक्सीजन का सेवन बढ़ाया जाता है। प्राणायाम के कई फ़ायदे हैं। नाड़ी शोधन को प्राणायाम का राजा कहा गया है। इसे करने से शरीर में सभी नाड़ियों का शुद्धिकरण होता है। प्राणायाम को आम तौर पर सांस नियंत्रण की प्रक्रिया समझा जाता है। प्राणायाम में किए जाने वाले अभ्यास को देख कर यह ठीक ही लगता है, परंतु इसके पीछे सच बात कुछ और ही है। प्राणायाम दो शब्दों के मेल से बना है। प्राण और आयम। प्राण का मतलब महत्वपूर्ण ऊर्जा या जीवन शक्ति है। वह शक्ति जो सभी चीजों में मौजूद है, चाहे वो जीवित हो या निर्जीव। प्राणायाम श्वास के माध्यम से यह ऊर्जा शरीर की सभी नाड़ियों में पहुँचाती है। यम शब्द का अर्थ है नियंत्रण और योग में इसे विभिन्न नियमों या आचार को निरूपित करने के लिए प्रयोग किया जाता है। मगर प्राणायाम शब्द में प्राण के साथ यम नहीं आयम की संधि की गयी है। आयम का मतलब है एक्सटेंशन या विस्तार करना। तो इसलिए प्राणायाम का सही मतलब है प्राण का विस्तार करना। जानें योग और प्रणायाम क्या है..?
योग और आधुनिक विज्ञान
आधुनिक वैज्ञानिक शोध यह प्रमाणित करते हैं कि योग न केवल मानसिक शांति और आध्यात्मिक जागरूकता को बढ़ाता है, बल्कि यह शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। यह हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, चिंता और तनाव को कम करने में मदद करता है। यही कारण है कि योग का महत्व ही समाज को सही दिशा देने में मुख्य भूमिका निभाता है।
योग का वैश्विक प्रभाव
योग अब केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे पूरे विश्व में अपनाया जा रहा है। विश्व कल्याण के उद्देश्य से भारत द्वारा योग के प्रति जागरूकता के लिए ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ को मनाए जाने का प्रस्ताव रखा था, जिसे वर्ष 2014 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा 21 जून को स्वीकार कर लिया गया था। तभी से हर वर्ष 21 जून को ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ मनाया जाता है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि योग का महत्व जानकर ही पूरी दुनिया में योग को स्वीकृति मिली है।