भारत बनेगा 5,000 अरब अमेरिकी डॉलर की अर्थ व्यवस्था..!

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भारत बनेगा 5,000 अरब अमेरिकी डॉलर की अर्थ व्यवस्था..!
भारत बनेगा 5,000 अरब अमेरिकी डॉलर की अर्थ व्यवस्था..!
सुनील कुमार महला

हाल ही में हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने यह बात कही है कि अब वह दिन दूर नहीं है, जब भारत 5,000 अरब अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा।  प्रधानमंत्री ने रोजगार सृजन के लिए कौशल विकास(स्किल डेवलपमेंट) और नवोन्मेष में निवेश का आह्वान भी किया है। दरअसल, बजट बाद आयोजित एक वेबिनार में उन्होंने यह बात कही है कि सरकार ने वर्ष 2014 से अब तक तीन करोड़ युवाओं को हुनरमंद बनाया है तथा सरकार ने 1,000 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) को अपग्रेड करने और पांच उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने का फैसला किया है। पाठकों को बताता चलूं कि उन्होंने कहा है कि-‘ क्षमता निर्माण और प्रतिभा पोषण राष्ट्रीय विकास के लिए आधारशिला के रूप में काम करते हैं। विकास के अगले चरण में इन क्षेत्रों में अधिक निवेश जरूरी है।’ आगे उन्होंने संबोधित करते हुए यह कहा कि, लोगों में निवेश की दृष्टि तीन स्तंभों शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और कौशल विकास पर आधारित है। वास्तव में यह एक अच्छी खबर कहीं जा सकती है कि भारत की अर्थव्यवस्था एक दशक (वर्ष 2015-2025 तक) में 66 प्रतिशत बढ़ी है। भारत बनेगा 5,000 अरब अमेरिकी डॉलर की अर्थ व्यवस्था..!

कहना ग़लत नहीं होगा कि आज भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती हुई प्रमुख अर्थव्यवस्था है। सरकार ने युवाओं को नए अवसर और व्यावहारिक कौशल देने के लिए पीएम इंटर्नशिप योजना शुरू की है। यह काबिले-तारीफ है कि सरकार ने इस बार प्रस्तुत किए गए बजट में एआई आधारित शिक्षा और शोध के लिए 500 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं तथा साथ ही साथ 10,000 अतिरिक्त मेडिकल सीटों की घोषणा भी की है। इससे मेडिकल क्षेत्र में और अधिक प्रगति और उन्नयन देखने को मिलेगा। इतना ही नहीं, सरकार का अगले पांच साल में चिकित्सा क्षेत्र में 75,000 और सीट जोड़ने का लक्ष्य है। सरकार ने पर्यटन पर ध्यान केंद्रित करते हुए देश में 50 गंतव्यों का विकास करने की बात भी कही है जैसा कि पर्यटन क्षेत्र में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 10 प्रतिशत तक योगदान करने और करोड़ों युवाओं के लिए रोजगार देने की क्षमता है। वास्तव में,लोगों, अर्थव्यवस्था और नवाचार में निवेश एक ऐसा विषय है जो विकसित भारत के लिए रोडमैप को परिभाषित करता है। आज इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ ही उधोगों को तो सरकार द्वारा प्राथमिकता दी ही जा रही है, साथ ही साथ देश की अर्थव्यवस्था, नवाचार और लोगों के लिए भी लगातार काम किया जा रहा है।

कहना ग़लत नहीं होगा कि आज के समय में भारत की शिक्षा प्रणाली एक बड़े परिवर्तन से गुजर रही है। सरकार शिक्षा और प्रौद्योगिकी में निरंतर विकास, उन्नयन के  लिए प्रयासरत है और आज राष्ट्रीय शिक्षा नीति, आईआईटी का विस्तार, शिक्षा प्रणाली में प्रौद्योगिकी का एकीकरण, एआई की पूरी क्षमता का उपयोग, पाठ्यपुस्तकों का डिजिटलीकरण, 22 भारतीय भाषाओं में अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराना जैसे बड़े कदम, ऐसे कई प्रयास सरकार द्वारा चल रहे हैं। इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह बात कही है कि ‘मिशन-मोड में किए गए इन प्रयासों ने भारत की शिक्षा प्रणाली को 21वीं सदी की दुनिया की जरूरतों और मापदंडों के अनुरूप बनाया है।’ यदि हम यहां स्वास्थ्य केंद्रों की बात करें तो आज देश में सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक टेलीमेडिसिन सुविधा का विस्तार किया जा रहा है। डे-केयर कैंसर केंद्रों और डिजिटल स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे के माध्यम से सरकार गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा को अंतिम छोर तक ले जाना चाहती है। इतना ही नहीं,सरकार ने स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए इस बजट में कई कदम उठाए हैं। अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एक लाख करोड़ रुपये का कोष पारित किया गया है।

आज देश में प्रतिभाओं के पोषण के लिए लगातार काम किया जा रहा है। उनमें क्षमता निर्माण हेतु सरकार प्रतिबद्ध नजर आती है। कहना ग़लत नहीं होगा कि जब किसी देश के युवाओं में क्षमता निर्माण होगा और प्रतिभाओं का पोषण होगा तो देश निश्चित ही प्रगति के नये आयामों की ओर अग्रसर हो सकेगा। देश की शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन से देश चहुंमुखी विकास की ओर अग्रसर होगा, क्यों कि शिक्षा किसी भी राष्ट्र की असली रीढ़ होती है। आज अनेक दशकों बाद देश की शिक्षा प्रणाली में अनेक परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं, नई शिक्षा नीति में अनेक नवाचार, प्रावधान किए गए हैं।शिक्षा प्रणाली में टेक्नोलॉजी का इंटीग्रेशन एक बड़ी व नायाब पहल कहीं जा सकती है।पाठ्य पुस्तकों के डिजिटलीकरण और 22 भारतीय भाषाओं में शिक्षण सामग्री की उपलब्धता से निश्चित ही समाज और देश आगे बढ़ेगा।

आज युवाओं को प्रशिक्षण से लैस करने के लिए अनेक प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. कहना ग़लत नहीं होगा कि इससे उधोगों की जरूरतें पूरी होंगी और देश की अर्थव्यवस्था को पंख लग सकेंगे। ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं जिससे हमारे देश के युवा हर क्षेत्र में वैश्विक प्रतिस्पर्धा कर सकें तथा उन्हें एक्सपोजर मिल सके। यहां पाठकों को बताता चलूं कि इस वर्ष हमारे देश की वित्त मंत्री ने सभी क्षेत्रों के संतुलित विकास को प्रोत्साहित करते हुए ‘सबका विकास’ थीम के साथ केंद्रीय बजट 2025-26 प्रस्तुत किया था, जिसमें उन्होंने विकसित भारत के व्यापक सिद्धांतों को रेखांकित किया है जिनमें क्रमशः शून्य गरीबी,शत-प्रतिशत अच्छी गुणवत्ता वाली स्कूली शिक्षा,उच्च गुणवत्ता वाली, सस्ती और व्यापक स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच,सार्थक रोजगार के साथ शत-प्रतिशत कुशल श्रमिक,आर्थिक गतिविधियों में सत्तर प्रतिशत महिलाएँ; तथा किसान हमारे देश को ‘विश्व की खाद्य टोकरी’ बना रहे हैं, जैसे व्यापक सिद्धांत शामिल हैं। इस वर्ष प्रस्तुत किए गए बजट में कृषि, एमएसएमई(सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) तथा निवेश (इन्वेस्टमेंट) विकास के प्रमुख इंजन हैं।अंत में, यही कहूंगा कि विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए सरकार पूरी तरह से दृढ़ संकल्पित है। भारत बनेगा 5,000 अरब अमेरिकी डॉलर की अर्थ व्यवस्था..!