युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत हैं विवेकानंद

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युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत हैं विवेकानंद
युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत हैं विवेकानंद

डा.घनश्याम बादल 

प्रतिवर्ष 12 जनवरी को देशभर में ‘युवा दिवस’ मनाया जाता है । इसी दिन देश को नई सोच एवं नया रास्ता देने वाले प्रगतिशील, ‘तूफानी हिंदू’ एवं स्वाधीनता आंदोलन में संत होने के बावजूद योगदान देने वाले स्वामी विवेकानंद की जयंती भी मनाई जाती है । यूं कहिए कि देश की नई पीढ़ी को प्रेरणा देने के लिए विवेकानंद जयंती को ही युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। गर्व वस्त्र पहने ओजस्वी मुख वाले पढ़े लिखे एवं तर्कशील प्रेरणा स्रोतों में युवाओं के लिए आदर्श व्यक्तित्वों में शामिल स्वामी विवेकानंद ने अध्यात्म व विज्ञान का समन्वयन किया, सनातन धर्म एवं उसकी परंपराओं को नया आयाम दिया, देश के बाहर जाकर अपने धर्म व संस्कारों का प्रचार किया, शिकागो में अपने एतिहासिक ओजस्वी भाषण से दुनिया भर को चमत्कृत किया ।  बेशक स्वामी विवेकानंद जैसे  व्यक्तित्व को युवाओं का प्रेरणास्त्रोत होना भी चाहिए। लेकिन स्वामी विवेकानंद तो अब इतिहास हो गए हैं परंतु आधुनिक युवा आज भी उनके कार्य और व्यक्तित्व से बहुत कुछ सीख सकते हैं।  युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत हैं विवेकानंद

 देश के नए विवेकानंद बनें युवा 

दुनिया का सबसे युवा देश, विज्ञान व तकनीक में कमाल करते वैज्ञाानिक, खेल की दुनिया में बढ़ते कदम यही है आज के भारत की पहचान, और इस पहचान का पूरा श्रेय जाता है देश की युवा पीढ़ी को। आज जब देश भर में विवेकानंद जयंती व युवा दिवस के रूप में मनाई जा रही है तब आज के परिप्रेक्ष्य में देखना होगा कि आज के युवा की दशा व दिशा क्या है व क्या होनी चाहिए।

समन्वयन करें, नए युग को समझें  

14-15 जनवरी को जब सूर्य कर्क से मकर राशि में संक्रमण करेगा, तब एक साथ विज्ञान व मिथ तथा संस्कृति का अद्भुत समन्वयन होगा और विश्व देखेगा कि कैसे सूर्य के उत्तरायण होने से तिल तिल बढ़कर दिन इतना फर्क पैदा कर लेता है कि शरद व ग्रीष्मकाल में भारी अंतर दिखने लगता है। उसी तरह से युवा पीढ़ी को जानना होगा कि एक -एक कदम बढ़ाने से  जीवन के सफर में मंजिल हासिल की जा सकती है। हां,अपनी सामर्थ्य व प्रतिभा देखकर रास्ता चुनें  युवा।

 बेशक,मकर संक्रांति की तरह ही हम भी आज एक संक्रमण काल में हैं। एक तरफ बुजुर्गों की पसंद का परंपरागत रास्ता, उनकी अपनी सोच व संस्कार हैं तो दूसरी और तेजी से बढ़ता विज्ञान और तकनीकी व डिजिटल युग। एक से प्रगति में ज्यादा गति संभव नहीं है तो दूसरे के आफ्टर इफेक्ट्स अभी ज़्यादा पता नहीं हैं अतः केवल एक ही रास्ते पर चलने का वक्त अभी नहीं आया। हर हाल में नए व पुराने रास्ते में समन्वयन की समझ पैदा करनी  पड़ेगी। 

चाहिए ‘स्पीड़ विद एक्युरेसी

आज का युग गति का युग है और ‘स्पीड़ विद एक्युरेसी’आज का ध्येय वाक्य है। अगर आपको आगे बढ़ना है तो हर हाल में समय के साथ चलना होगा। कार्य के प्रति समर्पण इसके लिए पहली शर्त है। नई पीढ़ी इस दिशा में सजग लग रही है तभी तो निजी क्षेत्र में तैनात युवा ब्रिगेड़ दस बारह घंटे तक बिना थके  काम कर रही है परंतु अगर यही बात सार्वजनिक क्षेत्र में भी आ जाए तो भारत एवं असल में सोने की चिड़िया में तब्दील करने में ज्याादा देर नहीं लगाएगा।

समर्पण व नैतिकता जरूरी

समर्पण के साथ लक्ष्य केन्द्रित होना भी अनिवार्य शर्त है। जो भी करें, वह  लक्ष्य केंद्रित हो। क्या, क्यों ,कैसे व कब करना है, यह तय करके ही पहला कदम उठाना समझदारी है। फिर उस लक्ष्य के लिये समय सीमा तय कर छोटे छोटे कदम उठाकर उस दिशा में बढ़ने वाले निश्चित सफल होंगे। और हां ,केवल सफलता ही जीवन की सार्थकता का मूलमंत्र नहीं  है अपितु सफलता पाने के लिए संसाधनों व प्रक्रिया की पवित्रता के साथ नैतिक मूल्यों को भी न छोड़ने वाले की सफलता चिर स्थाई होती है। केवल भौतिक समृद्धि का लक्ष्य ही हासिल नहीं करना अपितु अपने संस्कार व संस्कृति को भी बचाना बढाना व समृद्ध करना होगा तभी हम ‘क्वालिटी विद डिफरेंस’ को भी पा सकते हैं।

नई तकनी अपनाएं

अपडेटेशन व तकनीकी पर पकड़ और अधुनातन यानि अल्ट्रामाडर्न और एडवांस टेक्नालोजी को प्रयोग करना ज़रुरी है। कम्प्यॅूटर अब छोटी बात हो गई है नैनो तकनीकी और डिजिटलाइजेशन को अपनाए बिना कामयाबी की बात सोचना महज कल्पना मात्र ही होगा । अतः बेहिचक नई से नई तकनीकी का उपयोग करना होगा आज की युवा पीढ़ी को, तभी ग्लोबल गांव हो चले विश्व में आप टिक पाएंगें  मगर सावधानी भी जरूरी है इस तकनीक से होने वाले ख़तरों के बीच। 

बुजुर्ग बनें पथ प्रदर्शक

बुजुर्गों का भी दायित्व है कि युवाओं को उसके मन की भी करने दें,उसकी ऊर्जा को सम्मान व सही दिशा दें और अपने अनुभव को उसके सामने इस तरह रखें कि वह हस्तक्षेप नहीं वरन् मोटीवेशन लगे।  आज विवेकानंद जी को याद करने का मतलब उनकी ही तरह की रचनात्मकता,योग,विज्ञान,संस्कृति व संस्कारों तथा देश भक्ति को आज की युवा पीढ़ी में संस्थापित व संक्रमित करना होना चाहिए। 

    अब कुछ भी कहें, आने वाले समय में  केवल पुरानी सोच काम नहीं  आएगी । देश को नई दिशा देने का काम अगर कोई करेगा तो वें युवा ही होंगें। इसके लिए उन्हें नशे को ‘ना’ एवं जीवन व कर्म को ‘हां’ कहने का एक युग बोधक संदेश दिया जाना बहुत जरूरी है। आज सरकार एवं समाज दोनों को मिलकर ऐसी परिस्थितियां पैदा करनी पड़ेंगी जिससे हमारी युवा पीढ़ी नशे के संजाल में न फंसे एवं जीवन को एक आदर्श के रूप में जीने की ओर बढ़ें। बेशक, आज भी विवेकानंद का व्यक्तित्व ,कृतित्व, चरित्र एवं  कार्यशैली, समर्पणभाव, दृढ़ निश्चय और मानव धर्म पर चलने का जुनून नई पीढ़ी को नई दिशा दे सकता है इसमें कोई दो राय नहीं है।  युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत हैं विवेकानंद

—– (लेखक वरिष्ठ स्तंभकार हैं)