पिछले दिनों ओपनएआई और गूगल के बीच एक मुकाबला हुआ, जिसमें गूगल ने 12 दिनों की नवाचार चुनौती रखी और फिर अपने जेमिनी 2 एआई मॉडल के साथ मैदान में डट गई। मैं इन प्रतिस्पर्द्धाओं से आगे 2025 और उसके बाद के चार एआई रुझानों की चर्चा करना चाहूंगा, जो बताते हैं कि कैसे मनुष्य और एआई जीवन, काम व रिश्तों के संदर्भ में एक-दूसरे के करीब आएंगे..? नए साल में एआई से कितना बदलेगा हमारा जीवन
पहला रुझान, अब कोडिंग नई अंग्रेजी है जब हमारी पीढ़ी बड़ी हो रही थी, तब हमें बताया गया कि अंग्रेजी सीखना सफलता का पासपोर्ट है। हमने ऐसा ही किया और अपने करियर व व्यवसाय में सफल रहे। बदले में हमने अपने बच्चों को यही बताया कि कोडिंग सीखना सफलता का पासपोर्ट है। इस प्रकार कोडिंग नई अंग्रेजी बन गई। इसी कारण 10 साल के बच्चे को भी पाइथन और जावा स्क्रिप्ट सीखने के लिए कोड कैंपों में घसीटा जाने लगा। जेनरेटिव एआई के आगमन के साथ तस्वीर बदल गई। अब हर बार जब हम चैटजीपीटी या इस जैसी किसी भी चीज से कोई संवाद करते हैं, तो वास्तव में हम ‘कोडिंग’ कर रहे होते हैं, यानी अपने कुछ काम के लिए उसे निर्देश दे रहे होते हैं, चाहे वह वीडियो बनाना या लेखन ही क्यों न हो।
हम इससे मशीनी भाषा के बजाय अपनी कुदरती मानवीय भाषा में बात करने लगे हैं। यह बहुत बड़ा बदलाव है, क्योंकि इसमें कोडिंग को लोकतांत्रिक बनाने व आठ अरब लोगों को कोड करने की क्षमता है। शायद इसीलिए माइक्रोसॉफ्ट के सत्या नडेला कहते हैं कि मशीन की भाषा सीखने के बजाय, अब मशीनों को हमारी भाषा सीखनी होगी। एनवीडिया के जेंसन हुआंग भी इससे सहमत हैं और कहते हैं कि एआई की असली क्षमता यह है कि हममें से किसी को भी कोडिंग सीखने की जरूरत नहीं होगी। इस प्रकार, अब अंग्रेजी या कोई भी अन्य प्राकृतिक भाषा नई कोडिंग भाषा बन जाती है।
दूसरा रुझान, एआई नई यूआई है, यानी एआई नई यूजर इंटरफेस बन जाएगी। बिल गेट्स ने नवंबर 2023 में भविष्यवाणी की थी आपको अलग-अलग काम के लिए अलग-अलग एप इस्तेमाल नहीं करने पड़ेंगे। आप अपनी डिवाइस को रोजमर्रा की भाषा में बता देंगे कि आप क्या करना चाहते हैं। दरअसल, यूआई वह माध्यम है, जिससे इंसान और मशीनें एक-दूसरे से संवाद करते हैं। सरल यूआई की वजह से मशीन के साथ ज्यादा तेज, सहज और उत्पादक रिश्ता बनाना संभव हुआ है। एआई के आने से यूआई हमारी आवाज से संचालित होगी, ठीक वैसे ही, जैसे हम किसी दूसरे इंसान से संवाद करते हैं। हम अपने रोजाना के कामों के लिए चैटजीपीटी या जेमिनी से बात करेंगे। हमारे उपकरण बदल जाएंगे, जिसमें बड़ी स्क्रीन की जगह आवाज प्रमुख हो जाएगी।
तीसरा रुझान, एआई और ईसान नए निर्माता हैं। जेनरेटिव एआई ऐसी तकनीक है, जो कला, कविता, लेखन जैसे रचनात्मक काम कर सकती है। इससे इंसानों की नौकरी पर संकट बढ़ गया, क्योंकि रचनात्मकता को एक विशिष्ट मानवीय कौशल माना जाता था। हालांकि, मेरा मानना है, कि जेनरेटिव एआई इंसानों में रचनात्मकता बढ़ाने का ही काम करेगी। जैसे, पिछले हफ्ते जारी किए गए ओपेनएआई के सोरा को ही लें। जब सैम ऑल्टमैन ने एक साल पहले एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर इसका जिक्र करते हुए लोगों से किस तरह के क्रिएटिव वीडियो बनाने का सुझाव मांगा, तो भारतीय उद्यमी कुणाल शाह ने ‘समुद्र में साइकिल रेस की कल्पना की, जिसमें साइकिल चलाते हुए अलग- अलग जानवर दिखाई देने की संकल्पना थी। सोरा ने उसका शानदार वीडियो बनाया। जाहिर है, यह सोरा नहीं, बल्कि कुणाल की रचनात्मकता थी।
साफ है, मनुष्य व एआई मिलकर रचनात्मकता के नए युग का सृजन न करेंगे। चौथा रुझान, एआई नया ग्राहक बनाती है। औद्योगिक क्रांति अपने साथ लेन-देन करने वाले औद्योगिक ग्राहक लेकर आई, जो शायद ही कभी तकनीक का इस्तेमाल करते थे, जबकि इंटरनेट ने डिजिटल संचालित ग्राहक तैयार किए। एआई के इस युग में एक नए तरह का ग्राहक उभरेगा, जो नितांत निजता के युग में जिएगा और एआई उसकी जरूरतों व ब्रांड संबंध का अनुमान एक सहयोगी के तौर पर बिना किसी भावना में बहे हुए लगाएगा। इसका मतलब यह है कि कारोबार और मार्केटिंग में बड़ा बदलाव आएगा। जाहिर है, यह सब हमारी जीवनशैली पर काफी असंरदाज होने वाला है। नए साल में एआई से कितना बदलेगा हमारा जीवन