मंदिर-मस्जिद बंद कराकर ,लटका विद्यालय पर ताला !
सरकारों को खूब भा रही ,धन बरसाती मधुशाला !!
डिस्टेंसिंग की ऐसी तैसी , लाकडाउन को धो डाला !
भक्तों के व्याकुल हृदयों पर, रस बरसाती मधुशाला ।।
बन्द रहेंगे मंदिर मस्ज़िद ,खुली रहेंगी मधुशाला।
ये कैसी महामारी है ,सोच रहा ऊपरवाला।।
नशा मुक्त हो जाता भारत,तो कैसे चलती मधुशाला
व्यवसाय रुका है उन गरीबों का,जो नोट की जपते थे माला।।
नहीं मिल रहा राशन पानी,मगर मिलेगी मधुशाला।
भाड़ में जाए जनता बेचारी,दर्द में है पीने वाला।।
आपत्ति नहीं जताओ कोई,खुलने दो ये मधुशाला।
कोराना मुक्त होगा भारत,जब ठेके पर चलेंगे त्रिशूल और भाला।।
मेरी विनती है तुम सब से,गर जाए कोई मधुशाला।
वापिस ना आने दो उसको,तुम बंद करो घर का ताला।।
दुनिया है बरबाद,और इन्हे चाहिए मधुशाला।
घर में ही रह लो पागल लोगो,ना बचा पाएगा वो रखवाला।।
मंदिर मस्जिद बंद पड़े हैं,मगर खुलेंगी मधुशाला।
ये कैसी महामारी है,सोच रहा ऊपर वाला…..।।