इंदिरा से मोदी की तुलना क्यों

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इंदिरा से मोदी की तुलना क्यों..?
इंदिरा से मोदी की तुलना क्यों..?
राजेश कुमार पासी 
राजेश कुमार पासी

भारत की राजनीति भी अजीब मोड़ पर आकर खड़ी हो गई है ।  देश का विपक्ष यह भी भूल गया है कि जब देश किसी बड़े संकट में हो तो राजनीति नहीं की जाती । जब भारत पाकिस्तान के साथ एक जंग लड़ रहा है तो देश की सबसे बड़ी विरोधी पार्टी प्रधानमंत्री और सरकार को घेरने में लगी हुई है। बेशक अभी दोनों देशों में युद्ध विराम हो गया है लेकिन युद्ध अभी खत्म नहीं हुआ है। कांग्रेस यह भी भूल गयी है कि सर्वदलीय बैठक में उसने सरकार का साथ देने का वादा किया है । इंदिरा जी ने भारत पर लगभग 14 साल शासन किया है और उनके शासन के दौरान ही हमने पाकिस्तान को एक बड़ी जंग में बुरी तरह से हराकर उसके दो टुकड़े कर दिए थे । उनके शासन के दौरान ही सिक्किम भारत गणराज्य का हिस्सा बना, इसके अलावा कई बड़ी उपलब्धियां उनके शासन काल में भारत ने हासिल की हैं । देश पर बिना किसी उचित कारण के आपातकाल थोपने और आपातकाल में देश की जनता पर अत्याचार करने का कलंक भी उनके ऊपर है । इसके अलावा उनके शासन काल में लोकतांत्रिक व्यवस्था के साथ छेड़छाड़ करने का भी इतिहास है । इंदिरा से मोदी की तुलना क्यों

मेरा मानना है कि किसी भी बड़े नेता की तुलना किसी दूसरे बड़े नेता से नहीं की जा सकती । अपने समय और हालातों के अनुसार हर नेता फैसला करता है और उसी के अनुसार कार्यवाही करता है। समय और हालातों के अनुसार ही हर नेता नीतियां बनाता है और उन्हें अमली जामा पहनाता है । इंदिरा जी ने अपने समय के अनुसार काम किया था और हो सकता है कि मोदी जी भी वही करते जो इंदिरा जी ने किया था। इस पर बहस करना व्यर्थ है कि कौन ज्यादा बेहतर करता । अगर आज मोदी जी की जगह इंदिरा जी होती तो शायद वही करती वो आज मोदी जी कर रहे हैं लेकिन दोनों नेताओं को न समझने वाले लोग दोनों महान हस्तियों की एक दूसरे से तुलना कर रहे हैं । समस्या यह है कि इनमें दो तरह के लोग शामिल हैं, एक जो इंदिरा जी से नफरत करते हैं और दूसरे वो हैं जो मोदी जी से नफरत करते हैं । आज की कांग्रेस पार्टी के पास मोदी विरोध के अलावा कोई एजेंडा नहीं बचा है इसलिए ये पार्टी मोदी जी की उपलब्धियों को कमतर दिखाने के लिए इंदिरा जी को बीच में ले आई हैं । मोदी जी को नीचा  दिखाने के चक्कर में कांग्रेस ने इंदिरा जी का अपमान करवाया है । 

                कांग्रेस और उसके समर्थक भारत-पाक के बीच  युद्ध विराम होने पर शोर मचा रहे हैं कि हर कोई इंदिरा गांधी नहीं बन सकता। यह विमर्श भी चलाने की कोशिश की जा रही है कि मोदी जी इंदिरा जी की नकल कर रहे हैं लेकिन उनमें इंदिरा जी की नकल करने की क्षमता नहीं है। पहली बात तो यह है कि भारत और पाकिस्तान के बीच कोई युद्ध चल ही नहीं रहा है बल्कि एक संघर्ष चल रहा है। पहलगाम आतंकी हमले में पाकिस्तान का हाथ होने के कारण भारतीय सेना के तीनों अंगों ने संयुक्त रूप से कार्यवाही करके पाकिस्तान को उसकी औकात दिखा दी है । हम इस काम के लिए अपने सैन्य बलों की जितनी भी तारीफ कर सकते हैं, करनी चाहिए लेकिन इस मुद्दे पर राजनीति करके विपक्ष अपनी मानसिकता का प्रदर्शन कर रहा है । कांग्रेस समर्थक यह विमर्श चलाने की कोशिश कर रहे हैं कि अगर इस समय इंदिरा जी होती तो युद्ध-विराम नहीं करती और पीओके पर कब्जा कर लेती । सवाल यह है कि जब इंदिरा जी के पास पाकिस्तान के 93000 सैनिक बंदी थे तो उन्होंने बिना पीओके लिए क्यों उन्हें छोड़ दिया । इसके अलावा भारतीय सेनाएं पाकिस्तान की कब्जाई भूमि छोड़कर अपनी सीमा में क्यों आ गई । बांग्लादेश में पाकिस्तानी सेना ने लगभग 30 लाख लोगों की हत्या की थी और लगभग 10 लाख महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया था । इनमें आधी से ज्यादा संख्या  हिन्दुओं की थी और ऐसा उनके धर्म के कारण हुआ था । सवाल यह है कि 22 प्रतिशत आबादी होने के बावजूद पीड़ितों में ज्यादा संख्या हिंदुओं की क्यों थी । वास्तव में तब भी पाकिस्तान की सेना ने धर्म के आधार पर उत्पीड़न किया था । बेशक पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिये गए लेकिन इंदिरा जी बांग्लादेश में ऐसा इंतजाम नहीं कर पाई कि जो पाकिस्तानी सेना ने हिन्दुओं के साथ किया है, वो भविष्य में बांग्लादेश की सेना न कर पाये । मेरा मानना है कि बांग्लादेश बनने से पाकिस्तान का बेशक नुकसान हुआ लेकिन भारत का इतना फायदा नहीं हुआ जितना शोर मचाया गया है । बांग्लादेश की आजादी के लिए भारत ने जो कीमत चुकाई वो बहुत ज्यादा थी लेकिन हासिल बहुत कम हुआ । 

               इंदिरा जी के बारे में मैंने जो ऊपर लिखा है वो सिर्फ सवाल हैं लेकिन इसका जवाब किसी के पास नहीं है क्योंकि उस समय क्या हालात थे, ये सिर्फ इंदिरा जी जानती थी । उन्होंने पाकिस्तान को सबक सिखाने और बंगालियों को बचाने के लिए कई विदेश यात्राएं की थी, लम्बी रणनीति बनाई थी तब जाकर वो अपने उद्देश्य में सफल हो सकीं । तब भारत राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य दृष्टि से पाकिस्तान के मुकाबले इतना मजबूत नहीं था जितना कि आज है । भारत के इतिहास में 1971 की जीत और बांग्लादेश का निर्माण इंदिरा जी की ऐसी उपलब्धियां हैं जिनके लिए उनका नाम हमेशा आदर के साथ लिया जाना चाहिए । इंदिरा जी को कोसने वाले यह नहीं जानते हैं कि उस समय पाकिस्तान को लगभग पूरे विश्व का समर्थन हासिल था । उस समय भारत के साथ सिर्फ सोवियत रूस खड़ा था । पाकिस्तानी सेना किसी भी मामले में भारत से कमतर नहीं थी लेकिन फिर भी भारत ने बड़ी जीत हासिल की । उस समय कोई राहुल गांधी जैसा नेता नहीं था जिसने इंदिरा जी से पूछा हो कि भारत के कितने लड़ाकू जहाज पाकिस्तान ने गिराए हैं अथवा भारत का कितना नुकसान हुआ है । उस समय विपक्ष ने सेना की तारीफ की लेकिन इंदिरा जी का भी गुणगान किया गया । आज जब भारत ने पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी है तो विपक्षी दलों के मुंह से मोदी जी के लिए दो शब्द भी नहीं निकले हैं । इसके विपरीत कांग्रेस तो सरकार पर ही हमलावर है । मेरा भी मानना है कि इंदिरा जी ने जो किया था वो बहुत मुश्किल काम था लेकिन मोदी जी ने जो किया है वो भी आसान नहीं है । हमें लगता है कि भारतीय सेना ने सिर्फ तीन दिन में पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया तो पाकिस्तान बहुत कमजोर है और कोई बड़ा काम नहीं हुआ है । उन्हें खुद से सवाल पूछना चाहिए कि 2019 में भी भारत-पाक के बीच यही युद्ध हो सकता था लेकिन भारतीय सेना क्यों पीछे हट गई थी ।

              बात फिर वही आती है कि बड़े नेता की यही पहचान  होती है कि वो किसी भी काम को करने से पहले पूरी तैयारी करता है । इंदिरा जी ने पाकिस्तान पर कार्यवाही करने के लिए आठ महीने तक इंतजार किया था क्योंकि उस समय भारत युद्ध जीत नहीं सकता था । इस दौरान उन्होंने कई देशों की यात्राएं की और रूस के साथ रक्षा समझौता किया जिसके कारण अमेरिका चाहकर भी भारत को रोक नहीं पाया । ऐसे ही मोदी जी ने 11 साल में भारत को राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य रूप से इतना मजबूत किया कि आज पाकिस्तान दो दिन भी भारत से लड़ नहीं पाया और घुटनों के बल बैठ गया । इंदिरा जी को मोदी के सामने खड़ा करने की मूर्खता कांग्रेस इसलिए कर रही है क्योंकि आज वो इतनी गरीब हो गई है कि उसे इतिहास में जाकर ही मोदी को हराने का रास्ता दिखाई देता है । इंदिरा जी पर हमला करने की वजह भी यही है कि वर्तमान कांग्रेस की हालत ऐसी है कि उस पर बात करना भी व्यर्थ लगता है इसलिए इसके इतिहास पर हमला किया जाता है । मेरा मानना है कि कांग्रेस की राजनीतिक समझ शून्य होती जा रही है इसलिए वो देश के साथ खड़े होने को भी तैयार नहीं है । युद्ध के समय जो राजनीतिक दल देश के खिलाफ दिखाई देने लगे, उसका राजनीतिक भविष्य कोई नहीं बचा सकता । जिस तरह से पाकिस्तानी मीडिया राहुल गांधी और उनके नेताओं के बयानों को लेकर भारत पर हमला कर रहा है, वो बता रहा है कि कांग्रेस देश के विरूद्ध खड़ी दिखाई दे रही है । कांग्रेस के लिए ये गंभीर संकेत हैं लेकिन कांग्रेस कुछ भी देखने को तैयार नहीं है ।

 कांग्रेस की यह सबसे बड़ी कमजोरी है कि उसे यह नहीं पता है कि किस हालात में क्या करना है । इंदिरा जी को मोदी के सामने खड़ा करने की कोशिश भी कुछ ऐसी ही मूर्खता है । इंदिरा जी ने देश के लिए जो किया है उसका इतिहास सबको पता है और मोदी जी जो कर रहे हैं, उसका इतिहास लिखा जायेगा । अंत में यही कहना पड़ेगा कि दोनों नेताओं की तुलना करना गलत है और यह गलती कांग्रेस ने की है । कांग्रेस के वर्तमान नेतृत्व को मोदी जी का मुकाबला करना चाहिए लेकिन अपनी कमजोरी छिपाने के लिए इंदिरा जी को बीच में नहीं लाना चाहिए ।  इंदिरा जी के नाम पर अब कांग्रेस को वोट मिलने वाला नहीं है। अगर कांग्रेस यह स्थापित करने में कामयाब हो जाती है कि इंदिरा जी मोदी जी से बेहतर हैं तो इससे राहुल गांधी की छवि नहीं बदल जाएगी । जब इस देश का मतदाता वोट डालने घर से निकलेगा तो वो राहुल गांधी के काम और नाम पर वोट देगा । वो मोदी की तुलना राहुल गांधी से करेगा न कि इंदिरा गांधी जी से करेगा । कांग्रेस ने अपने प्रचार में राहुल गांधी को मोदी से बड़ा नेता बताने की कोशिश की है लेकिन उसका आधार क्या है, ये कांग्रेस कभी नहीं बता सकती । राहुल गांधी के खाते में ऐसी कोई उपलब्धि नहीं है जिससे वो उन्हें मोदी से बेहतर नेता बता सके,शायद यही वजह है कि कांग्रेस मोदी के मुकाबले में इंदिरा जी को लेकर आ गयी लेकिन ये दांव उसे उल्टा पड़ने वाला है। इंदिरा से मोदी की तुलना क्यों