
चौ.लौटनराम निषाद
राष्ट्रीय प्रवक्ता-भारतीय ओबीसी महासभा
ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर क्रीमी लेयर/मलाईदार परत पर क्यों विवादों में घिर गई हैं?यूपीएससी में आरक्षण का नियमावली क्या है?आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने यूपीएससी में दिव्यांगता और नॉन क्रीमी लेयर का सर्टिफिकेट दिखाया था।असल में वह एक क्रीमीलेयर ओबीसी कैंडिडेट हैं। ऐसे में उन्हें आरक्षण मिलना संभव नहीं है। इसके पीछे का कारण क्या है,इसके बारे में जानते हैं।
महाराष्ट्र कैडर की ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर इन दिनों काफी चर्चा में हैं।पूजा खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने यूपीएससी की सिविल सर्विसेज की परीक्षा क्वालिफाई करने के लिए दिव्यांगता और नॉन क्रीमी लेयर का सर्टिफिकेट दिखाया था। आईएएस पूजा के ओबीसी नॉन क्रीमी कैंडिडेट होने पर सवाल उठ रहे हैं कि अगर किसी कैंडिडेट के पिता की संपत्ति 40 करोड़ रुपये हो तो उसकी संतान को ओबीसी नॉन क्रीमी लेयर में कैसे माना जा सकता है? ऐसे में आइए जानते हैं कि यूपीएससी में आरक्षण देने के क्या नियम हैं और क्रीमी लेयर ओबीसी का मतलब क्या है?
किस कैटगरी को मिलता है यूपीएससी में आरक्षण….?
सबसे पहले तो यह जान लीजिए कि यूपीएससी में जो कैंडिडेट्स आरक्षण श्रेणी में आते हैं,उन्हें ज्यादा अटेंप्ट देने की छूट, आयु में छूट, सीट आरक्षण, यूपीएससी पात्रता और कट-ऑफ में छूट जैसे फायदे मिलते हैं।ईडब्ल्यूएस कैटगरी,अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति,अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और विकलांग (पीब्ल्यूडीएस) कैंडिडेट्स यूपीएससी की परीक्षा में आरक्षण पा सकते हैं।कैंडिडेट्स के लिए यह आरक्षण सरकार द्वारा निर्धारित कैसे किया जाता है?
क्रीमी लेयर और नॉन क्रीमी लेयर आरक्षण-
सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण है। लेकिन इसके अंदर सरकार ने कुछ नियम बनाए हुए हैं।ओबीसी कैटगरी का हर कैंडिडेट इस आरक्षण का लाभ नहीं उठा सकता है। ओबीसी कैंडिडेट्स को क्रीमी और नॉन क्रीमी कैटगरी में बांटा गया है।सरकार के नियमों के अनुसार सिर्फ नॉन क्रीमी लेयर ओबीसी कैंडिडेट को ही आरक्षण मिलता है। आईएएस पूजा खेङकर विवाद में यही पेंच फंस रहा है। पूजा क्रीमी लेयर ओबीसी कैंडिडेट हैं लेकिन यूपीएससी में उन्होंने अपना दिव्यांगता और ओबीसी का फेक सर्टिफिकेट दिखाया है और नियमों के अनुसार क्रीमी लेयर ओबीसी के लिए कोई आरक्षण नहीं है।

क्रीमी लेयर ओबीसी क्या होता है…?
अगर किसी परिवार की सालाना आय 8 लाख रूपये से अधिक है तो उस परिवार को क्रीमी लेयर की श्रेणी में रखा जायेगा। इनकी आय में वेतन और कृषि आय शामिल नहीं है। वहीं, अगर किसी परिवार की सालाना आय 8 लाख रूपये से कम है तो उस परिवार को नॉन क्रीमी लेयर की श्रेणी में रखा जाता है। यूपीएससी में क्रीमी लेयर ओबीसी कैंडिडेट के लिए कोई आरक्षण नहीं है।
अगर ओबीसी कैंडिडेट के परिवार से कोई राष्ट्रपति, उप-
राष्ट्रपति, उच्चतम एवं उच्च न्यायालय के न्यायधीश, संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्य, राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्य, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक और मुख्य निर्वाचन आयुक्त है तो यह कैंडिडेट्स क्रीमी लेयर कैटगरी में आएंगे। पीएसयू,यूनिवर्सिटीज, बैंकों, बीमा कंपनियों के अधिकारी, डॉक्टर, इंजीनियर,कोई अधिकारी, सेना में कर्नल या उससे ऊपर की रैंक का अधिकारी या वायुसेना, नौसेना और पैरामिलिटरी में समान रैंक के अधिकारी क्रीमी लेयर में शामिल होंगे। इन कैंडिडेट्स के परिवार पर अगर शहर में खुदका घर, अच्छी इनकम और जमीन है तो उन्हें ओबीसी आरक्षण नहीं मिलेगा।
कैटगरी-आयु-सीमा-अटेंप्ट-शुल्क भुगतान
1.अनुसूचित जाति- 21 से 37 वर्ष अनगिनत अवसर व आवेदन शुल्क माफ
2.अनुसूचित जनजाति- 21 से 37 वर्ष अनगिनत अवसर व आवेदन शुल्क माफ
3.जनरल/ईडब्लूएस/ओबीसी- 9 अटेंप्ट
4.दिव्यांग कैंडिडेट्स-21 से 42 वर्ष अनगिनत अवसर व आवेदन शुल्क माफ।
5.ओबीसी 21 से 35 वर्ष
आरक्षित कैंडिडेट्स को यूपीएससी में क्या फायदा मिलता है…?
यूपीएससी में आरक्षण आयु, अटेंप्ट, पात्रता और अन्य छूट के रूप में दिया जाता है। जनरल कैटगरी के कैंडिडेट्स 32 साल की उम्र तक ही यूपीएससी के लिए अप्लाई कर सकते हैं।हालांकि, बाकि कैटगरी के कैंडिडेट्स के लिए आयु सीमा में छूट दी गई है। एससी और एसटी कैंडिडेट्स 21 साल से लेकर 37 साल की उम्र तक यूपीएससी एग्जाम दे सकते हैं।इस कैटगरी में कैंडिडेट्स के पास अनलिमिडेट अटेंप्ट देने की सुविधा है।इसके अलावा एससी और एसटी कैंडिडेट्स के लिए एप्लीकेशन फॉर्म का भुगतान भी पूरी तरह माफ है। वहीं, ओबीसी कैंडिडेट्स 35 साल की उम्र तक इस परीक्षा को दे सकते हैं लेकिन उनके पास सिर्फ 9 अटेंप्ट देने का ही ऑप्शन है। ओबीसी कैंडिडेट्स को फॉर्म भरने के लिए 100 रुपये जमा करने होते हैं।इसके अलावा जनरल,ओबीसी,एससी या एसटी कैटगरी का कैंडिडेट दिव्यांग है तो उसके पास यूपीएससी के अनलिमिडेट अटेंप्ट देने का ऑप्शन होता है। दिव्यांग कैंडिडेट्स 42 साल तक यूपीएससी की परीक्षा में बैठ सकते हैं।विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 के मुताबिक, 40 प्रतिशत तक दिव्यांग व्यक्ति यूपीएससी में आरक्षण पा सकता है।
यूपीएससी परीक्षा में 841वीं रैंक हासिल करने से जाहिर है कि पूजा के अंक एक आईएएस अधिकारी बनने के लिए काफी नहीं थे और ऐसे में उन पर गलत ओबीसी सर्टिफिकेट और विकलांगता के दिव्यांग प्रमाणपत्र देने के आरोप हैं। पूजा केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) में यूपीएससी के खिलाफ कानूनी लड़ाई का हिस्सा बनीं, क्योंकि वह ‘अंधेपन और मानसिक बीमारी’ के अपने दिव्यांगता दावे की पुष्टि के लिए मेडिकल जांच के लिए खुद को पेश करने में विफल रहीं। साथ ही उनके पिता की ओर से घोषित 40 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति के बाद वह स्पष्ट रूप से ओबीसी नॉन क्रीमीलेयर का हिस्सा नहीं हैं।
पूजा ने एक निजी सुविधा में की गई एमआरआई रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसने विकलांगता के उनके दावों का समर्थन किया, जिसे यूपीएससी ने खारिज कर दिया। यूपीएससी ने कैट में उनके चयन को चुनौती दी, जिसने 23 फरवरी, 2023 को उनके खिलाफ फैसला सुनाया। हालांकि, बाद में उनके एमआरआई प्रमाण पत्र को स्वीकार कर लिया गया, जिससे आईएएस अधिकारी के रूप में उनकी नियुक्ति की पुष्टि हो गई।