71 में 41ठाकुर 17 ब्राह्मण ,3 जयसवाल सजातीय मालामाल ,दलित पिछडे़ बेहाल। दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय में दलितों पिछ़डो,अल्पसंख्यकों के हाथ में झुनझुना ये कैसा रामराज्य।
विनोद यादव
देश के केन्द्रीय विश्वविद्यालय हो या उनसे सम्बद्ध विश्वविद्यालय हो सभी जगहों पर हाशिए के समाज के लोगों की बलि चढ़ती हैं उसके बावजूद आरक्षण खत्म करने की बात करने वाला बहुसंख्यक तबका बडी़ ही साफगोई से दलित ,पिछ़डो ,अल्पसंख्यकों के हकों की हकमारी कर खामोश रहता हैं ।आज भागीदारी के नाम पर शून्य से भी निचले पायदान पर हाशिए के समाज का प्रतिनिधित्व दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय गोरखपुर में दिख रहा हैं ।
दलित ,पिछडे़,अल्पसंख्यक समाज से चुन कर गये लोकसभा और विधानसभा के सदस्यों की भी हैसियत नहीं हो रहीं की अपने हक और अधिकार का मुद्दा उठा सके ,आज पुनः मंडल पर कमंडल का जोरदार हमला माना जा सकता हैं सत्ता की चापलूसी और दलाली करने वाली भांड मीडिया जो झोली कमंडल लेकर 2014 लोकसभा चुनाव में जातिवाद का जहर बो रहीं थी क्या उसके भी मुह में दही जम गया या जुबां ही नहीं रहीं। उत्तर प्रदेश में उस समय मुख्यमंत्री अखिलेश यादव थें और लोकसेवा आयोग के सदस्य अनिल यादव थें यहीं गोदी और भांड मीडिया ने 86 में से 56 यादव एसडीएम की फर्जी खबर मेनस्ट्रीम की मीडिया ने चलाया था और भाजपा के अनुषांगिक संगठन और आरएसएस के द्वारा व्हाट्सएप से लेकर सोशलमीडिया पर मानों गंध मचा रखी थी और अब गोरखपुर के मुद्दे पर मानों सांप सूघ गया हो क्या यह फिरकापरस्त ताकतों का दोहरा मापदंड नहीं हैं ।
उस समय जस्टिस चंद्रचूड़ और रिटायर्ड आईपीएस सूर्यप्रताप सिंह 86 में 56 एसडीएम यादव की खबर को लेकर खूब प्रोपोगेंडा किए थें और अपने मकसद में खैर कामयाब रहें ,लेकिन पिछडे़, दलित ,शोषित समाज का नेतृत्व करने वाले रहनुमाओं को आखिर किस बात का डर हैं जो सच बोलने से कतराते हैं उस समय के अखबार जो बिक कर छपते थें रात दिन एक ही खबर का पोस्टमार्टम करते रहें, संघ के इशारों पर एक जाति विशेष के यादव एसडीएम की ही खबरें छापते रहे। अखिलेश सरकार का कोई प्रवक्ता इसपर सफाई तक न दे पाया। यूपी सरकार की वेबसाइट पर पूरा रिजल्ट पड़ा था। अफवाह सच मान ली गयी। और अब गोरखपुर विश्वविद्यालय में 71 पदों पर मुख्यमंत्री के ही जाति के असिस्टेंट प्रोफेसर चुने गए हैं।तो मीडिया खामोश हैं । देश के सभी सेंट्रल यूनिवर्सिटी विश्वविद्यालय में केवल जाति विशेष के लोगों को खुला नियुक्ति पत्र देकर असिस्टेंट प्रोफेसर बनाया जा रहा है शायद ओ अपने मंसूबें पर कामयाब भी हो ।
सचिवालय में निजी सचिव पद पर तैनात अमर सिंह पटेल ने अपने ट्वीटर से जब सरकार से सवाल पूछ लिया तो मानो बुलडोजर नीति की सरकार का हंटर चल गया, सरकार विभागीय कार्यवाही करने की बात कह डाली। जिस प्रोपेगैंडा के तहत पिछली सरकार को बदनाम करने की साजिश की गयी यदि उसपर नजर डाले तो 86 में 56 नहीं 30 में 5 एसडीएम यादव चयनित हुए थें लेकिन भाजपा पिछडों-दलितों को गुमराह करने में कामयाब रहीं और हम न तर्कों को समझ पाए न तथ्यों को जुटा पाए और हम असफल रहें । 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा व आरएसएस के आनुषांगिक संगठनों ने मीडिया ट्रायल कराया कि लोक सेवा आयोग द्वारा 86 में 56 यादव एसडीएम बनाये गए हैं।
जबकि सच्चाई यह थी कि उस समय कुल 30 में 5 यादव जाति के एसडीएम चयनित हुए थे। लेकिन छल -कपट,झूठ-फरेब व जुमलेबाजी की राजनीति करने वाली फिरकापरस्त ताकते एक जाति को बदनाम करने में लगी रहीं। फिरकापरस्त ताकतों का सीधा मकसद था कि झूठा प्रचार कर ग़ैर यादव जातियों में यादव के प्रति नफरत पैदा कर दिया जाए और वोटबैंक में आसानी से सेंधमारी हो सके। सूत्रों की माने तो लोक सेवा आयोग के गठन से 2016 तक कभी एसडीएम के 86 पद की विज्ञापित ही नहीं प्रकाशित हुई थी तो 86 में 56 यादव एसडीएम चयनित होने का सवाल ही कहाँ होता हैं लेकिन अंग्रेजों की दलाली करने वाली ताकते अपने मंसूबे को कामयाब करने की कोशिश में लगी रहें।
आज लोधी,पाल,चौरसिया,पटेल,शाक्य,मौर्य,साहू,विश्वकर्मा, प्रजापति, जाट,गुजर ,अहीर,निषाद ,पासी,मुस्लिम जाति का प्रतिनिधित्व गोरखपुर विश्वविद्यालय में कहा हैं और किस पायदान पर हैं इसे सरकार को बताना चाहिए।या माने के शिक्षा पर सीधा पेटेंट सजातीय लोगो का ही हो गया हैं। वास्तव में यदि गहराई से देखे तो भाजपा पिछडों-दलितों को बरगलाने में सफल रहती हैं ,वहीं हम अच्छे दिनों के चक्कर में मीठी चाय की चुस्की भर के स्वाद में अपने को संतुष्ट कर रहें हैं शायद हमें पद यात्रा ,कांवड यात्रा में पुष्प वर्षा कर खुश कर दिया जाता हैं और हमारा हक और अधिकार आसानी से छीना जा सके।आज नीचे से ऊपर तक शिक्षा से लेकर शासन-प्रशासन में सजातीय लोगों का वर्चस्व कायम है पिछड़े-दलित-अल्पसंख्यक वर्ग के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा हैं देश-प्रदेश को रामराज्य का सपना दिखाकर छलने और ठगने का पूरा काम किया जा रहा हैं जिसका जीताजागता उदाहरण गोरखपुर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती प्रक्रिया है वास्तव में हमें रामराज की नहीं,समाजवाद व लोकराज की जरूरत है लेकिन उनसे उम्मीद भी कैसी करें।