अमृत महोत्सव वर्ष में सभी विद्यालयों पर एक बड़ी जिम्मेदारी, ग्राम पंचायत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, सामाजिक जीवन में अच्छा कार्य करने वालों के चित्र को विद्यालय में स्थापित कर बच्चों को उनके योगदान के विषय में परिचित कराएं।एक समय उत्तर प्रदेश राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश व अन्य राज्यों में बेसिक शिक्षा परिषद व अन्य माध्यम के स्कूलों में शिक्षक देने वाला राज्य था।सभी शिक्षकों से आग्रह किया कि वे इस बात का प्रयास करें कि सभी बच्चे यूनिफॉर्म एवं निर्धारित जूता-मोजा पहनकर स्कूल आएं, सर्दियों में बच्चे स्वेटर पहनकर स्कूल पहंुचेजीवन में अपने द्वारा रोपे गए पौधे से फल प्राप्त करेंगे, तब उससे ज्यादा आत्मसंतुष्टि और कुछ नहीं होगी, यही व्यक्ति की जीवन सिद्धि है।राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में अभी से तैयारी करनी होगी, यह नीति भारत को दुनिया का सिरमौर बनाने की दिशा में प्रधानमंत्री जी के विजन‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ बनाने की दिशा का हिस्सा।
आज देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। भारत के साथ एवं उसके बाद आजाद हुए कई देश आज बिखरते हुए दिखाई दे रहे हैं। यह हमारा सौभाग्य है कि आजाद भारत का यशस्वी नेतृत्व भारत को एक नई दिशा देकर लोकतांत्रिक देश के रूप में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ दुनिया की एक महाशक्ति के रूप में स्थापित करने के संकल्प के साथ आगे बढ़ा है। इस संकल्प में सबसे बड़ा योगदान हमारी स्कूली शिक्षा का हो सकता है। स्कूली शिक्षा को इसके साथ जुड़ना होगा। प्रत्येक बच्चे में अपने स्कूल, मातृ-भूमि, गांव, माता-पिता, अभिभावक, गुरुजनों तथा अपने से बड़ों के प्रति आदर का भाव पैदा करना होगा।मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने एक जिम्मेदारी पूरे देशवासियों को सौंपी है कि आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम के साथ अमृत काल तथा देश की आजादी के शताब्दी महोत्सव की तैयारी के साथ जुड़ें। आजादी की 100वीं वर्षगांठ के अवसर पर हमारा भारत, हमारा प्रदेश, जनपद, विकास खण्ड, ग्राम, ग्राम पंचायतें तथा बेसिक शिक्षा परिषद की कैसी स्थिति होनी चाहिए, इस परिकल्पना को साकार करने का एक अवसर आजादी का अमृत महोत्सव हम सबके सामने प्रस्तुत कर रहा है।