योग से सिर्फ स्वास्थ्य ही नहीं मस्तिष्क का भी होता विकास। योग सभी उम्र,लिंग और फिटनेस स्तर के व्यक्तियों के लिए सुलभ एक शाश्वत स्वास्थ्य अभ्यास है, जो युवावस्था और जीवन शक्ति को पुनर्जीवित करने का वादा करता है क्योंकि यह प्राचीन विज्ञान एक गतिशील प्रक्रिया है जो न केवल मस्तिष्क के कार्यों को सक्रिय करता है बल्कि कई शारीरिक लाभ भी देता है। स्वास्थ्य ही नहीं मस्तिष्क विकास का केन्द्र है योग
अगर हम यह कहें कि श्वास लेना भी एक कला है तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगी। प्राचीन काल में हमारे ऋषि-मुनियों ने वनों और पर्वतों में रहकर श्वास लेने की कला को,ब्रह्माण्डीय शक्तियों से न केवल सीखा बल्कि इस कला को आत्मसात भी किया। योग विज्ञान की रीति से श्वास लेने की क्रिया ही प्राणायाम है। पुराणों में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि जिसने भी इस प्राणायाम के रहस्य को जान लिया उसने इस धरती पर न केवल स्वस्थ्य एवं दीर्घ जीवन-काल व्यतीत किया,बल्कि प्रचण्ड यौगिक शक्तियों को भी प्राप्त किया। भारतीय संस्कृति के इतिहास के पन्नों को पलट कर देखें तो पाएंगे कि प्राचीन काल में ही हमारे ऋषि-मुनियों,तपस्वियों ने छोटे-बड़े जीवों के श्वास लेने के तरीकों को देखा।
शरीर को स्वस्थ रखने के साथ ही दिमाग को भी स्वस्थ रखना ज़रूरी है। आयुर्वेद में दिमाग तेज करने के लिए योग करने की सलाह दी जाती है। योग से ना सिर्फ शारीरिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है बल्कि विभिन्न प्रकार की मानसिक समस्याओं से भी निजात मिलता है। योग से मन को एकाग्र करने में मदद मिलती है। दिमाग तेज करने के लिए घरेलू उपाय में योग सबसे कारगर है। योग के नियमित अभ्यास से मस्तिष्क को आराम मिलता है और शरीर भी स्वस्थ रहता है।
मनुष्य का दिमाग हर रोज कई काम करने में अहम भूमिका निभाता है। आपकी प्रतिक्रिया करने की क्षमता, महसूस करने की क्षमता और फिर अच्छे से काम कर पाना, ये सब आपके दिमाग से ही जुड़ा है। क्या आप जानते हैं योग और व्यायाम से भी आप अपने दिमाग को तेज-तर्रार बना सकते हैं। कई बार हम यह समझ नहीं पाते कि शरीर के दूसरे अंगों की भांति मस्तिष्क को भी पोषण और ऊर्जा की आवश्यकता होती है। योग और व्यायाय दिमाग तेज करने के सरल उपाय हैं। योग आसन हमारे शरीर को समग्र रूप से सहीकार्य करने में सहायता करता हैं योग का विज्ञान, शरीर की आंतरिक शक्ति को जागृत करता है। ये संज्ञान शक्ति में तुरंत प्रभाव से बढ़ोतरी करता है। योग दिमाग को तनाव मुक्त करता है और सभी क्रियाओं के संचालन में मदद करता है। उदाहरण के लिए जैसे बायीं नाक से श्वास लेने पर दायां दिमाग एक्टिव होता है और दायीं नाक से श्वास लेने पर बायां दिमाग एक्टिव होता है।
भ्रामरी प्राणायाम–
दिमाग तेज करने में योग पहले स्थान पर है भ्रामरी प्राणायाम। यह प्राणायाम नकारात्मक भावनाएं जैसे क्रोध, चिड़चिड़ाहट, निराशा और चिंता को दूर करता है। एकाग्रता और यादाश्त को प्रबल बनाकर आत्मविश्वास को बढ़ाता है। यह एक साधारण प्रक्रिया है जिसको घर या ऑफिस, कहीं पर भी किया जा सकता है। यह प्राणायाम चिंता-मुक्त होने का सबसे अच्छा विकल्प है।भ्रामरी प्राणायाम का नाम भारत में पाई जाने वाली बढ़ई मधुमक्खी से प्रेरित है जिसे भ्रामरी भी कहा जाता है। इस प्राणायाम को करने के पश्चात व्यक्ति का मन तुरंत शांत हो जाता है। इस प्राणायाम के अभ्यास द्वारा, किसी भी व्यक्ति का मन, क्रोध, चिंता व निराशा से मुक्त हो जाता है। यह एक साधारण प्रक्रिया है जिसको घर-ऑफिस, कहीं पर भी किया जा सकता है। यह प्राणायाम चिंता-मुक्त होने का सबसे अच्छा विकल्प है। इस प्राणायाम में साँस छोड़ते हुए ऐसा प्रतीत होता है की आप मधुमक्खी की ध्वनि निकाल रहे हैं। जो इसके नाम का स्पष्टीकरण करता है।
भ्रामरी प्राणायाम का वैज्ञानिक तात्पर्य- यह प्राणायाम मस्तिष्क की तंत्रिकाओं को आराम देता है और मस्तिष्क के हिस्से को विशेष लाभ प्रदान करता है। मधु-मक्खी की ध्वनि की तरंगे मन को प्राकृतिक शांति प्रदान करती हैं। स्वास्थ्य ही नहीं मस्तिष्क विकास का केन्द्र है योग
पश्चिमोत्तानासन-
पश्चिमोत्तानासन शब्द संस्कृत के मूल शब्दों से बना है। “पश्चिम” का अर्थ है “पीछे” या “पश्चिम दिशा”, और “तीव्र खिंचाव” है और आसन जिसका अर्थ है “बैठने का तरीका”।पश्चिमोत्तानासन एक मध्ययम श्रेणी का योगासन है, जिसे शुरुआती अभ्यासकर्ता भी थोड़ी ट्रेनिंग लेने के बाद कर सकते हैं। नियमित रूप से और सही तरीके से पश्चिमोत्तानासन अभ्यास करने से शरीर की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं और साथ ही उनमें लचीलापन आता है। पाद पश्चिमोत्तानासन तेज दिमाग के सरल उपायों में से एक है। यह रीढ़ की हड्डी को खींच कर तनाव मुक्त करता है। मन से क्रोध और चिड़चिड़ाहट को दूर कर मन को शांत करता है।सही तरीके के साथ नियमित रूप से पश्चिमोत्तानासन करने से मस्तिष्क शांत होता है और मानसिक समस्याएं कम होने लगती हैं। पश्चिमोत्तानासन की मदद से तनाव, डिप्रेशन, चिंता और अनिद्रा जैसी समस्याओं को कम करने में मदद मिल सकती है। अन्य कई योगासनों की तरह पश्चिमोत्तानासन भी पेट की पाचन क्रिया को तेज करने में मदद करता है। नियमित रूप से पश्चिमोत्तानासन करने से कब्ज दूर होती है और भूख भी लगती है।
पश्चिमोत्तानासन से रीढ़ की हड्डी अच्छे से स्ट्रैच होती है जिसकी वजह से रीढ़ की हड्डी में फ्लेक्सिबिलिटी आती है। इस आसन को रोजाना करने से आपकी लंबाई भी बढ़ने लगती है। सही तरीके से पश्चिमोत्तानासन करेंगे तो इसे करते समय पेट की मांसपेशियां खिंचती हैं जिससे पेट और उसके आसपास जमी चर्बी कम हो जाती है। इस आसन को करने के लिए दोनों पैरों को आगे करके बैठ जाइए। एक लंबी गहरी सांस भरते समय धीरे-धीरे अपने दोनों हाथों को ऊपर उठाकर नीचे ओर ले जाएं। अपनी कोहनियों को जमीन से लगाएं और दोनों हाथों से पैरों को पकड़कर पेट और छाती को पैरों से सटाए। इस मुद्रा को 15-20 सेकेंड तक बनाए रखें।पश्चिमोत्तानासन में शरीर के पिछले हिस्से की संपूर्ण मांसपेशियों में खिंचाव आता है, इसमें टखने से लेकर सिर तक की मांसपेशियां शामिल हैं। इसके साथ ही इसमें कूल्हे के जोड़ खुलते हैं और जांघ की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं।
सेतुबंध आसन-
सेतु या पुल किसी दुर्गम स्थान या नदी के किनारों को आपस में जोड़ता है। ये आसन भी हमारे मन और शरीर के बीच तालमेल बैठाने में मदद करता है। जैसे पुल का काम ट्रैफिक और दबाव को सहन करना है, ये आसन भी हमारे शरीर से टेंशन को निकालता और कम करने में मदद करता है। दिमाग तेज करने के तरीकों में सेतुबंध आसन का भी अहम योगदान है। गर्दन और रीढ़ में खिंचाव के द्वारा मजबूती लाता है। माँसपेशियों को आराम देता है। मस्तिष्क में रक्त संचार बढ़ाता है। मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को शांत करने में मदद करता है, जिससे चिंता,तनाव और डिप्रेशन (अवसाद) को कम किया जा सकता है। सेतुबंध आसन को ब्रिज पोज़ भी कहा जाता है। सेतु बंधासन के नियमित अभ्यास से दिमाग को शांति मिलती है और बल्ड प्रेशर सामान्य रहता है। ये फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाने के अलावा सीने में होने वाले नसों के ब्लॉकेज को रोकने में भी मदद करता है। अस्थमा के मरीजों को भी इस आसन को रोज करने की सलाह दी जाती है। ये आसन थायरॉयड ग्रंथि में उत्तेजना बढ़ाता है और मेटाबॉलिज्म को नियमित करता है। सेतु बंधासन उन लोगों के लिए भी बेस्ट है जो दिन भर कंप्यूटर या लैपटॉप के सामने बैठकर काम करते हैं। इस आसन को करने से घुटनों और कंधों में मसाज मिलने जैसा आराम मिलता है।
योग में ध्यान और श्वास को शामिल करने से व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है। नियमित योग अभ्यास मानसिक स्पष्टता और शांति पैदा करता है। शरीर की जागरूकता बढ़ती है क्रोनिक तनाव पैटर्न से राहत देता है। योग हमारे मन को आराम देता है तथा ध्यान केन्द्रित करता है और एकाग्रता को तेज़ करता है। योग न केवल हमारे शरीर की मांसपेशियों को अच्छा व्यायाम देता है, बल्कि यह हमारे दिमाग को शांत रखने में भी मदद करता है। चिकित्सा अनुसंधान से पता चला है कि योग शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है।
सर्वांगासन-
सर्वांगासन या कंधों के सहारे एक योग आसन है, जिसमें पूरे शरीर को कंधों पर संतुलित किया जाता है। यह पद्म साधना योग का भी एक हिस्सा है। ‘सर्व’ का मतलब है, ‘अंग’ का मतलब शरीर का हिस्सा है, और ‘आसन’ मुद्रा है। जैसा कि नाम इंगित करता है, सर्वंगासन। सर्वांगासन एक योग मुद्रा है जिसमें पूरे शरीर को कंधों पर संतुलित किया जाता है। यह संस्कृत शब्दों से बना है “सर्व” का अर्थ है “संपूर्ण”, “अंग” का अर्थ है “शरीर के अंग”, और “आसन” का अर्थ है “मुद्रा”। यह आसन शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर मजबूत करता है।सर्वांगासनआपके शरीर के सभी हिस्सों की कार्य प्रणाली को प्रभावित करता है। यह आसन मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में बेहद फायदेमंद है और इसे ‘आसन की रानी’ भी कहा जाता है। जो कि यह आसन शरीर के सभी अंगो को व्यायाम देता है इसलिए इसको सर्वांगासन (सम्पूर्ण-अंग-आसन) कहा जाता है। सर्वांगासन दिमाग तेज करने के घरेलू उपायों में से एक है। थाइरॉइड और पैरा-थाइरॉइड ग्रंथियों को नियमित करता और सुचारू करता है। पीनियल और हाइपोथैलेमस ग्रंथियों में अधिक रक्त पहुँचाकर मस्तिष्क को पुष्ट करता है। सभी संज्ञानात्मक कार्यप्रणाली में सुधार लाता है।
शरीर को मजबूत और स्वस्थ बनाने में सर्वांगासन का अभ्यास बेहद फायदेमंद है। यह आसन उन कुछ ही आसनों में से एक है जो पूरे शरीर को स्टिमुलेट करते हैं यानी यह आपके पैर की उंगलियों से लेकर सिर तक हर अंग के लिए फायदेमंद है। शोल्डर स्टैंड पोज़ शरीर के विभिन्न आंतरिक अंगों पर अच्छी तरह से काम करता है और इन अंगों के काम को भी बेहतर करता है।
2011 में हार्वर्ड से जुड़े शोधकर्ताओं ने मेसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल (MGH) में किये गए शोध में सत्यापित किया है कि ध्यान, मोटे सेरिब्रल कोर्टेक्स से और अधिक ग्रे मैटर से जुड़ा है। ये मस्तिष्क के वे हिस्से हैं जो स्मृति, सजगता, निर्णय लेने की क्षमता और सीखने से जुड़े हैं इसलिए ध्यान अधिक मस्तिष्क शक्ति का कारक है। योग आसन, सुपर ब्रेन योग, प्राणायाम और ध्यान आपके मस्तिष्क को सक्रिय कर अधिक शक्तिशाली बना सकते हैं। इसलिए इन्हे कुछ समय दें और एक शानदार और स्वस्थ जीवन जियें। मेडिटेशन और योग दिमाग की तीव्रता को बढ़ाते हैं।
स्वास्थ्य ही नहीं मस्तिष्क विकास का केन्द्र है योग
हलासन-
हलासन एक योग मुद्रा है. इसमें शरीर को उल्टा करके किया जाता है. इस मुद्रा में शरीर की स्थिति हल के आकार की हो जाती है। हलासन हमारे शरीर को लचीला बनाने के लिए महत्वपूर्ण है। इससे हमारी रीढ़ सदा जवान बनी रहती हैवह लचीली ओर ताकतवर होती है। हलासन दिमाग तेज करने के योग में प्रमुख स्थान रखता है। मस्तिष्क में रक्त प्रवाह को बेहतर कर तंत्रिका तंत्र को शांत करता है। पीठ और गर्दन में खिंचाव से तनाव और थकावट को कम करता है। हलासन करने से रीढ़ में कठोरता होना वृद्धावस्था की निशानी है। हलासन से रीढ़ लचीली बनती है। मेरुदंड संबंधी नाड़ियों के स्वास्थ्य की रक्षा होकर वृद्धावस्था के लक्षण जल्दी नहीं आते। हलासन के नियमित अभ्यास से अजीर्ण, कब्ज, अर्श, थायराइड का अल्प विकास, अंगविकार, असमय वृद्धत्व, दमा, कफ, रक्तविकार आदि दूर होते हैं। सिरदर्द दूर होता है। नाड़ीतंत्र शुद्ध बनता है। शरीर बलवान और तेजस्वी बनता है। लीवर और प्लीहा बढ़ गए हो तो हलासन से सामान्यावस्था में आ जाते हैं। अपानवायु का उत्थानन होकर उदान रूपी अग्नि का योग होने से कुंडलिनी उर्ध्वगामी बनती है। विशुद्धचक्र सक्रिय होता है। हलासन अग्नाशय और पाचन प्रणाली के लिए लाभदायक है और इसीलिए मधुमेह रोगियों के लिए इसकी सिफारिश की जाती है। यह विशुद्धि चक्र, मणिपुर चक्र को सक्रिय करता है। यह पीठ की लोच को प्रोत्साहित करता है और टांगों के पिछले भाग के साथ वाले भागों की मांसपेशियों को खींचता है और सक्रिय करता है।
दिमाग तेज करने के योग, आसन और प्राणायाम
योग का विज्ञान शरीर की आन्तरिक शक्ति को जगाता है और शरीर को अधिक शक्तिशाली बनाता है और कार्यक्षमता को बढ़ाता है। ये संज्ञान शक्ति में तत्काल वृद्धि का कारक भी हो सकता है। ये तनाव से मुक्त करता है और मस्तिष्क के द्वारा संचालित सभी महत्वपूर्ण क्रियाओं के संचालन में मदद करता है। जैसे बायीं नासिका से श्वास लेने पर दाहिना मस्तिष्क सक्रिय होता है और दायीं नासिका से श्वास लेने पर बायाँ मस्तिष्क सक्रिय होता है।
सुपर ब्रेन योग को कैसे करें….?
सीधा खड़े हो जाएं और दोनों हाथों को सामान्य स्थिति में रखें। अपने बाएं हाथ को उठाये और अपने दाहिने कान को पकड़े। ध्यान रहे अगूंठा सामने की ओर रहे। अब दायें हाथ को उठाये और अपना बायां कान पकड़े आपकी दायीं भुजा बायीं भुजा के ऊपर होनी चाहिए। गहरी श्वांस ले और धीर-धीरे बैठें। 2-3 सेकेंड्स तक रुकें। आराम से सांस छोड़ें और उठ जाएँ, इस तरह एक चक्र पूरा हुआ। रोज आप ऐसे 15 चक्र कर सकते हैं।
सुपर ब्रेन योग के लाभ
दिमाग तेज करने के योग में सुपर ब्रेन योग आपकी बहुत मदद करेंगे। आपके कान में स्थित एक्यूप्रेशर प्वाइंट सक्रिय होकर आपके दिमाग की क्षमता को बढ़ातें हैं। इस व्यायाम से दिमाग को यें लाभ होते हैं। दायें और बायें मस्तिष्क में समन्वय होता है। शरीर में ऊर्जा का उचित वितरण होता है। सोचने की क्षमता बढ़ती है। मानसिक ऊर्जा बढ़ती है। रचनात्मकता बढ़ती है।संज्ञान शक्ति बढ़ती है। एकाग्रता और स्मरण शक्ति बढ़ती है। निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि होती है। तनाव कम होता है। मनोवैज्ञानिक रूप से स्थिरता आती है। इन तेज दिमाग के सरल उपायों से विभिन्न मानसिक रोगों जैसे अल्ज़ाइमर, अवसाद, अटेंशन डेफिसिट, हाइपर एक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD), डाउन सिंड्रोम, ऑटिज़्म, और डिस्लेक्सिया आदि में मरीजों को काफी सहायता मिलती है । इन व्यायाम के बाद आप एक निर्देशित ध्यान भी कर सकते हैं।
मस्तिष्क की शक्ति बढ़ाएँ ध्यान
ज्यादातर लोग सोचते हैं कि दिमाग तेज करने के योग ही पर्याप्त है, लेकिन ध्यान से भी दिमाग को तेज किया जा सकता है। ध्यान सिर्फ तनाव कम करने के लिए नहीं है। ध्यान मस्तिष्क में रक्त प्रवाह को बढ़ाता है सप्ताह में 6 घंटे ध्यान से मस्तिष्क की संरचना में बदलाव आ जाता है। ये बदलाव एकाग्रता को बढ़ाता हैं, स्मरण शक्ति को बढ़ाता हैं और एक साथ कई काम करने की क्षमता को बढ़ाता है। स्वास्थ्य ही नहीं मस्तिष्क विकास का केन्द्र है योग