- जयपुर की निलंबित भाजपाई मेयर के पति राजाराम गुर्जर का मामला निपटने से पहले ही अलवर के भाजपा सांसद बालकनाथ के पीए की रिश्वतखोरी का मामला सामने आ गया।
- मंत्री टीकाराम जूली और भाजपा के पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा की सिफारिशें भी सामने आई।
- आखिर राजस्थान के मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में नर्सिंग कर्मियों की भर्ती गुजरात की कंपनी से क्यों करवाई जा रही है?
- राजस्थान में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने कमाल कर रखा है।
एस0पी0 मित्तल
राजस्थान में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने 17 जून को एक ऐसे गिरोह को पकड़ा है जोअलवर के सरकारी अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में नर्सिंग कर्मियों की भर्ती में रिश्वतखोरी का काम कर रहा था। इस मामले में अलवर के भाजपा सांसद बालकनाथ के पीए कुलदीप सिंह की संदिग्ध भूमिका सामने आई है। एसीबी के उच्च सदस्य सूत्रों के अनुसार नर्सिंग कर्मियों की भर्ती के मामले में पहले सांसद बालकनाथ के सिफारिशों के पत्रों पर ईमानदारी के साथ भर्ती कर ली गई। लेकिन जब सांसद के सिफारिशी पत्र रोज आने लगे तो भर्ती करने वाली गुजरात की कंपनी एमजे सोलंकी के अधिकारियों ने रिश्वत लेना शुरू कर दिया।
सिफारिशी पत्र के बाद भी रिश्वत लेने की शिकायत जब सांसद बालकनाथ तक पहुंची तो उन्होंने कंपनी के अधिकारियों के समक्ष नाराजगी जताई। सांसद की नाराजगी को देखते हुए कंपनी के अधिकारियों ने सांसद के पीए कुलदीप सिंह से संपर्क साधा। सूत्रों के अनुसार कुलदीप ने पहले तो 20-25 लाख रुपए की मांग की, लेकिन बाद में चार लाख रुपए में निपटारा हो गया। कुलदीप से सौदेबाजी चल ही रही थी कि एसीबी ने जाल बिछा कर कंपनी के सुपरवाइजर पाटर्नर, दलाल आदि को गिरफ्तार कर लिया। आरोप है कि नर्सिंग कर्मी के लिए डेढ़ लाख रुपए तथा सहायक नर्सिंग कर्मी के लिए 90 हजार रुपए की रिश्वत ली जा रही थी। जो नर्सिंग कर्मी रिश्वत दे रहा था, उसका मेडिकल फिटनेस सर्टीफिकेट भी आसानी से बन रहा था। यानी रिश्वत खोरी के इस खेल में सभी शामिल थे।
अलवर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के चिकित्सा अधिकारियों का तो कहना रहा कि हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं है, क्योंकि सरकार के दिशा निर्देशों के अनुरूप संविदा पर नर्सिंग कर्मियों की भर्ती का काम एमजे सोलंकी कंपनी कर रही है। रिश्वत लेकर भर्ती हो रही है, इसका जवाब कंपनी के अधिकारी ही दे सकते हैं। एसीबी ने 18 जून को कंपनी के एक ओर सुपरवाइजर कानाराम को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि 17 जून को कंपनी के पार्टनर मंजुल पटेल को अजमेर से 15 लाख रुपए के साथ गिरफ्तार किया। मंजुल जब अलवर से लौट रहा था, तभी किशनगढ़ के टोल नाके पर एसीबी ने उसे गिरफ्तार कर लिया। इसी प्रकार एक अन्य सुपरवाइजर भरत पूनिया ओर दलाल महिपाल यादव को भी गिरफ्तार किया गया है। इस पूरे प्रकरण में एसीबी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बजरंग सिंह शेखावत की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। शेखावत ने ही अलवर में तीन दिन डेरा जमा कर रिश्वतखोरी का भंडाफोड़ किया है।
अलवर के भाजपा सांसद बालकनाथ के पीए कुलदीप सिंह की संदिग्ध भूमिका तब सामने आई है, जब जयपुर ग्रेटर की निलंबित भाजपा मेयर सौम्या गुर्जर के पति राजाराम गुर्जर एसीबी के शिकंजे में फंसे हुए हैं। राजाराम पर भी जयपुर की सफाई ठेका कंपनी 20 करोड़ रुपए मांगने का आरोप है। एसीबी के पास जिस तरह सांसद के पीए और एमजे सोलंकी कंपनी के अधिकारियों के बीच हुई बातचीत का टेप है, उसी प्रकार राजाराम और सफाई ठेका कंपनी के प्रतिनिधि के बीच हुई वार्ता के वीडियो भी हैं। जयपुर का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि अलवर के भाजपा सांसद का मामला उजागर हो गया है।
जूली और आहूजा की सिफारिशें भी:
प्राप्त जानकारी के अनुसार मंत्री टीकाराम जूली और भाजपा के पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा की सिफारिशें भी एसीबी की जांच में सामने आई हैं। सूत्रों के अनुसार एमजे सोलंकी कंपनी के अधिकारियों को अनेक राजनेताओं ने भर्ती के लिए फोन किए या सिफारिशी पत्र लिखे। ऐसी सिफारिश करने वालों में जूली और आहूजा के नाम भी सामने आए हैं।
नर्सिंग कर्मियों की भर्ती कंपनी के माध्यम से क्यों?
सवाल उठता है कि अलवर के मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में संविदा नर्सिंग कर्मियों की भर्ती गुजरात की कंपनी के माध्यम से क्यों करवाई जा रही है? प्राप्त जानकारी के अनुसार अलवर में करीब 600 नर्सिंग कर्मियों की भर्ती होनी है। ऐसे में सरकार को अपने स्तर पर भर्ती का काम करवाना चाहिए था। लेकिन कंपनी के माध्यम से भर्ती का काम करवाने से प्रदेश के युवाओं को लुटने के लिए छोड़ दिया गया है।
बड़ी अजीब बात है कि एक ओर कंपनी सरकार से भर्ती प्रक्रिया के नाम पर अपना मेहनताना प्राप्त करेगी, तो दूसरी ओर युवाओं से भर्ती के नाम पर रिश्वत ली जा रही है। सवाल यह भी है कि आखिर सरकार नर्सिंग कर्मियों को संविदा के आधार पर क्यों रख रही है? एक ओर सरकार का कहना है कि बड़ी संख्या में नर्सिंग कर्मियों की भर्ती की जा रही है। लेकिन वहीं अलवर के मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के लिए संविदा पर नर्सिंग कर्मी रखे जा रहे हैं। अच्छा होता कि सरकार पारदर्शिता और ईमानदारी के साथ नर्सिंग कर्मियों की भर्ती करती।