संकट के समय कहां है राहुल गांधी….?

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आखिर कांग्रेस को नुकसान क्यों पहुंचा रही हैं ममता बनर्जी। संकट के समय कहां है राहुल गांधी…?

एस0 पी0 मित्तल

राहुल गांधी भारत के सबसे पुराने राजनीतिक दल कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं और अभी भी जब चाहेंगे तब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन जाएंगे। इस समय कांग्रेस पार्टी संकट के दौर से गुजर रही है। लेकिन राहुल गांधी देश में नहीं है। कहा जा रहा है कि राहुल गांधी अपनी स्मरण शक्ति बढ़ाने और मन को नियंत्रित रखने के लिए विदेश के किसी योग साधना कैम्प में है। राहुल गांधी पिछले 20 दिनों से विदेश में बताए जा रहे हैं। योग साधना कैम्प से ही राहुल गांधी भारत की घटनाओं पर ट्वीट कर रहे हैं। राहुल गांधी अपने दिमाग को नियंत्रण में रखने के लिए योग साधना पद्धति का उपयोग करें, यह अच्छी बात है, लेकिन राहुल गांधी को अपनी कांग्रेस पार्टी का भी ख्याल रखना चाहिए। पिछले तीन दिनों में कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा है।

राहुल गांधी की माताजी और मौजूदा समय में कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्वाचन क्षेत्र रायबरेली (उत्तर प्रदेश) की कांग्रेस विधायक अदिति सिंह ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता ले ली है। यह स्थिति तब है जब राहुल गांधी की बहन और कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश में महिलाओं को चालीस प्रतिशत टिकट दे रही है। प्रियंका ने नारा भी दिया है मैं लड़की हूं, लडूंगी। लेकिन विधायक अदिति सिंह ने भाजपा में जाने से प्रियंका के इस नारे की धार कम हुई है। इन्हीं दिनों में मेघालय में कांग्रेस के 12 विधायक ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी में शामिल हो गए। 12 विधायकों के एक साथ टीएमसी में जाने से कांग्रेस की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। ममता ने पहले ही पश्चिम बंगाल में कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर रखा है। बंगाल में कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं है। हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे अशोक तंवर भी टीएमसी में शामिल हो गए हैं। ममता बनर्जी की ओर से कहा भी गया है कि अब कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा से मुकाबला करने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में संयुक्त विपक्ष का चेहरा ममता बनर्जी को बनाया जाना चाहिए।

भाजपा की लाख कोशिश के बाद भी पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को हराया नहीं जा सका। भाजपा से मुकाबला करने के लिए ममता बनर्जी जैसी फायर ब्रांड नेता ही चाहिए। यानी अब विपक्ष में राहुल गांधी के नेतृत्व को चुनौती मिल रही है। लोकतंत्र में मजबूत विपक्ष होना ही चाहिए। मौजूदा समय में विपक्ष का नेतृत्व राहुल गांधी ही कर रहे हैं। विपक्ष में कांग्रेस एक मात्र दल है, जिसकी तीन राज्यों में सरकार चल रही है। यदि राहुल गांधी को प्रभावी तरीके से राजनीति करनी है तो सबसे पहले अपनी बिखरती पार्टी को संभालना होगा। राहुल गांधी ने अधीन रंजन चौधरी को लोकसभा में कांग्रेस का नेता बना रखा है। चौधरी का कहना है कि भाजपा और टीएमसी में मिली भगत है, इसलिए कांग्रेस के विधायक टीएमसी में जा रहे है। राहुल गांधी का अधीर रंजन चौधरी की राजनीतिक समझ को परखना होगा। चौधरी का यह बयान पूरी तरह बेवकूफी भरा है। जो टीएमसी आए दिन भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या करवा रही हो, उससे भाजपा की मिली भगत कैसे हो सकती है? गत विधानसभा चुनाव में चौधरी को ही कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल में प्रभारी बनाया था। चौधरी अपनी राजनीतिक नाकामी भाजपा पर मढ़ रहे हैं।