
राजेन्द्र चौधरी
अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा सरकार ने नई संसद के पहले दिन से ही महाझूठ से अपनी शुरुआत की है। जब जनगणना और परिसीमन के बिना महिला आरक्षण बिल लागू हो ही नहीं सकता है, जिसमें वर्षों लग जाएंगे तो भाजपा सरकार को इस आपाधापी में महिलाओं से झूठ बोलने की क्या जरूरत है…? भाजपा सरकार न जनगणना के पक्ष में है और न ही जातीय जनगणना के, जिसके बिना तो महिला आरक्षण संभव ही नहीं। ये आधा अधूरा बिल महिला आरक्षण जैसे गंभीर विषय का उपहास है। इसका जवाब महिलाएं आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के विरूद्ध वोट डाल कर भाजपा को ही अनिश्चितकाल तक सत्ता से बाहर कर देंगी।

महिला आरक्षण बिल को लेकर सपा सांसद डिंपल यादव ने केंद्र सरकार की नीयत पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि सरकार को 9 साल पूरे हो गए हैं। अगर मोदी सरकार को महिला आरक्षण बिल लाना था, तो ये पहले ला सकते थे। ये इसे आखिरी साल में ला रहे हैं, जब चुनाव हैं। आगे डिंपल यादव ने अपनी पार्टी का रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि सपा ने हमेशा इसका समर्थन किया है और हम सभी चाहते हैं कि OBC महिलाओं का भी इसमें आरक्षण निर्धारित हो क्योंकि जो आखिरी पंक्ति में खड़ी महिलाएं हैं। उन्हें उनका हक मिलना चाहिए।
भाजपा सरकार महिला आरक्षण को लेकर कभी ईमानदार नहीं रही है। केन्द्रीय मंत्रिमण्डल और अभी तक हुए चुनावों में भाजपा ने अपने यहां 33 प्रतिशत आरक्षण क्यों नहीं दिया..? वर्तमान महिला आरक्षण बिल में लैंगिक न्याय और सामाजिक न्याय का संतुलन नहीं है। समाजवादी पार्टी की नीति रही है कि महिला आरक्षण में पिछड़े,दलित,मुस्लिम,अल्पसंख्यक, आदिवासी समाज की महिलाओं का निश्चित प्रतिशत होना चाहिए। भाजपा सरकार की मंशा महिलाओं को आरक्षण देने की है ही नहीं वह सिर्फ चुनावी जुमले के तहत महिला आरक्षण के नाम पर एक धोखा है। नई संसद से झूठ बोलने की क्या जरूरत…?