- जातियों एवं समुदाय के बीच आरक्षण असमानता के आकलन हेतु गठित रोहिणी आयोग का कार्यकाल मोदी सरकार द्वारा 13 बार विस्तारित करना अति पिछड़ों के साथ धोखा।
- मुख्यमंत्री का पिछड़ों की स्थिति को लेकर उच्च स्तरीय अधिकारियों को पत्र लिखने की कवायद महज दिखावा है।
- 6 वर्षों में चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी ने अति पिछड़ों को इन्हीं आयोगों की राजनैतिक दुहाई देकर ठगा और वोट हासिल किया।
- अति पिछड़ा विरोधी आरएसएस प्रमुख भागवत संविधान व्यवस्था को समाप्त करने की वकालत लगातार कर रहा है।
- रोहिणी आयोग, जस्टिस राघवेन्द्र कमेटी की अंनदेखी और राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग की रिपोर्ट, आरक्षण व्यवस्था की पुनः समीक्षा के लिये, मोदी सरकार इस मुद्दे पर लापरवाह।
लखनऊ। योगी सरकार पर तीखे हमले करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता विकास श्रीवास्तव ने आरोप लगाया कि पिछले दस सालों में सरकारी नौकरियों में ओबीसी को संविधान में दी गयी आरक्षण व्यवस्था के तहत प्रतिनिधित्व नहीं मिला। उन्होंने कहा कि भाजपा की योगी सरकार प्रदेश की अति पिछड़ा बाहुल्य लोकसभा सीटों को ध्यान में रखते हुए आज पुनः एक बार और अति पिछड़ों को गुमराह करने का राजनीतिक खेल कर रही है। वोट हासिल करने के लिए मुख्यमंत्री योगी का विभाग वाइज पिछड़ों की स्थिति को लेकर उच्च स्तरीय अधिकारियों को पत्र लिखने की कवायद महज दिखावा है, और पिछले कई बार की भांति की गई चुनावी राजनीति है।
जातियों और समुदायों के बीच आरक्षण का लाभ पहुंचाने में किस हद तक असमानता है। इसका पता लगाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 340 के तहत ओबीसी समुदाय से आने वाली जस्टिस जी. रोहिणी की अगुवाई में चार सदस्यीय आयोग का गठन 2 अक्टूबर, 2017 को किया था। आयोग को 27 मार्च, 2018 तक अपनी रिपोर्ट सौंप देनी थी, लेकिन उसे मोदी सरकार द्वारा अब तक 13 बार सेवा विस्तार दिया जा चुका है। लगातर पिछले 6 वर्षों में हर विधानसभा व लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी द्वारा अति पिछड़ों को इन्हीं आयोगों की राजनैतिक दुहाई देकर ठगा जा रहा है।
विकास श्रीवास्तव ने याद दिलाया कि मुख्यमंत्री योगी ने अपने पिछले कार्यकाल में 17 ओबीसी जातियों को अनुसूचित जातियों में शामिल करने का ऐलान करते हुए 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को बढ़त दिलवाई थी। परंतु जब यह विषय केंद्र की मोदी सरकार के पास पहुंचा तो सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्रालय ने इस मामले पर सख्त कार्रवाई करते हुए योगी आदित्यनाथ सरकार की सिफारिशों को पूरी तरीके से खारिज कर दिया था। तब केंद्र की मोदी सरकार ने कहा था यह विषय केंद्र सरकार द्वारा तय होना है, न कि कोई राज्य सरकार जातियों की आरक्षण व्यवस्था में हस्तक्षेप कर सकती है।
श्री श्रीवास्तव ने याद दिलाया कि जातीय जनगणना को लेकर संसद में कांग्रेस पार्टी की उठी मांग को मोदी सरकार पहले ही खारिज कर चुकी है। ऐसे में अधिकारियों को पत्र भेजकर पिछड़ा प्रेम दिखाने का जो प्रयास मुख्यमंत्री योगी कर रहे हैं, वह संवैधानिक तौर पर बिल्कुल नही टिकता है। आरएसएस अति पिछड़ों को लेकर अपनी नीयत पहले ही बिहार के पिछले चुनाव के दौरान दिखा चुका है, मंचों से संघ प्रमुख मोहन भागवत संविधान में प्राप्त आरक्षण व्यवस्था को समाप्त करने की वकालत कर चुके हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता विकास श्रीवास्तव ने कहा कि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग, जस्टिस राघवेंद्र कमेटी ने वर्ष 2015 में ही अपनी रिपोर्ट में ओबीसी जातियों को अति पिछड़ा वर्ग, ज्यादा पिछड़ा वर्ग और पिछड़ा वर्ग में बांटने की सिफारिश की थी। केन्द्र सरकार को एनसीबीसी के माध्यम से सर्वे कराकर सामजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के कल्याण, व उनकी शिकायते सुनने और समाधान ढूंढने का अधिकार मिला हुआ है। किन्तु मोदी सरकार अपनी इस जिम्मेदारी से मुंह मोड़ चुकी है। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि आरक्षण व्यवस्था की पुनः समीक्षा के लिए रोहिणी आयोग, उ0प्र0 योगी सरकार द्वारा गठित जस्टिस राघवेंद्र कमेटी रिपोर्ट की अनदेखी और एनसीबीसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 32 सालों के गैर कांग्रेसी शासनकाल में आरक्षण का लाभ राजनीतिक परिपक्व एक दो ओबीसी जातियों (पिछड़ों में अगड़े) को ही मिल रहा है। इस वजह से अन्य पिछड़े वर्ग में भी उप-वर्गीकरण करके अति-पिछड़ी जातियों के समूहों की पहचान करना अब नितांत जरूरी हो गया है।
विकास श्रीवास्तव ने भाजपा पर सीधा प्रहार करते हुए कहा कि भाजपा की केन्द्र सरकार द्वारा लगातार 13 बार रोहणी आयोग का कार्यकाल बढ़ाना, प्रदेश के अति पिछड़ों, सर्वाधिक पिछड़ों के साथ सामाजिक उपहास हैं। अति पिछड़ा कार्ड का खेल करने वाली भाजपा महज दिखावा कर रही है। मोदी सरकार संसद में जातीय जनगणना से साफ इंकार करती है। केन्द्र सरकार द्वारा अति पिछड़ों के उत्थान के लिए गठित आयोगों की रिपोर्ट सार्वजनिक करने में लगातार अड़ंगा लगाना, अति पिछड़ों के साथ यह सरासर अन्याय व धोखा है। उ0प्र0 में योगी सरकार द्वारा विभाग वाइज पिछड़ों को प्राप्त आरक्षण व्यवस्था के साथ अंनदेखी का स्पष्ट उदाहरण है कि वर्ष 2021 में 69 हजार शिक्षक भर्ती के दौरान आरक्षण घोटाला कर 5844 ओबीसी साीटों पर अभ्यार्थियों को नियुक्ति भी नहीं मिली और जांच की मांग करने पर पुलिस की लाठियां मिली। मोदी युग में हालात इस कदर अफसोसजनक रहे कि नीट समेत कई प्रतिष्ठित परीक्षाओं में पिछडे़ वर्ग के साथ धोखा हुआ।
कांग्रेस प्रवक्ता ने स्थितियों को स्पष्ट करते हुए बताया कि केंद्रीय विभागों और बैंकों में होने वाली भर्तियों के डेटा एनालिसिस के अनुसार 10 जातियों को 25 फीसदी लाभ मिला है जबकि 38 अन्य जातियों ने दूसरे एक चौथाई हिस्से पर कब्जा कर लिया। करीब 22 फीसदी लाभ 506 अन्य जातियों को ही मिला। इसके विपरीत 2.68 फीसदी लाभ 994 जातियों ने आपस में शेयर किया। गौर करने वाली बात यह है कि 983 जातियों को कोई लाभ ही नहीं मिल पाया। इससे साफ है कि कुछ विशेष जातियों का ही कोटा लाभ में कब्जा रहता है। उत्तर प्रदेश समेत समूचे देशभर के अति पिछड़ों के साथ 2019 लोकसभा चुनाव और उत्तर प्रदेश ,बिहार के विधानसभा सहित विगत हुए कई राज्यों के चुनाव में पिछड़ों के मुद्दे पर आयोग की कवायद दिखाकर ही बीजेपी अति पिछड़ों का वोट हासिल करने की सारी राजनीति करती है।