उत्तर प्रदेश अब करेगा गौ-आधारित प्राकृतिक खेती

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प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में गौ-आधारित प्राकृतिक खेती को मिशन मोड के रूप में प्रारम्भ किया गया, प्रदेश सरकार भी इस कार्यक्रम के साथ जुड़ी बुन्देलखण्ड क्षेत्र के समस्त 07 जनपदों में 235 क्लस्टर बनाकर गौ-आधारित प्राकृतिक खेती के लिए बजट के प्राविधान के साथ-साथ अनुदान की व्यवस्था है। गौ-आधारित प्राकृतिक खेती के लिए प्रदेश में 27 जनपदों का चयन, इनमें लगभग 62,200 हेक्टेयर क्षेत्रफल को चिहिन्त कर 1244 क्लस्टर विकसित किये जाएंगे। प्रदेश सरकार लगभग 01 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है। पी0एम0 कुसुम योजना के अन्तर्गत अगले 01 वर्ष में 30 हजार सोलर पैनल उपलब्ध कराने का लक्ष्य है। मुख्यमंत्री ने प्राकृतिक खेती विधा में उत्कृष्ट कार्यों के लिए 05 कृषकों को सम्मानित किया।मुख्यमंत्री ने प्राकृतिक खेती के माध्यम से उत्पादित वस्तुओं की प्रदर्शनी का अवलोकन किया।

लखनऊ। इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में राज्य स्तरीय गौ-आधारित प्राकृतिक खेती की कार्यशाला के आयोजन किया गया जिसमे प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ,कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही  तथा मुख्य वक्ता के रूप में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत शामिल हुएप्राकृतिक खेती कार्यशाला में प्रदेश भर के विभिन्न जनपदों से आए हुए प्राकृतिक खेती से जुड़े किसान  कृषि और संबद्ध विभाग के अधिकारीगण, कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति एवं कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिकगण भी इस कार्यशाला मौजूद रहे।इस मौके पर प्राकृतिक खेती में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए प्रदेश से आये पांच किसानो को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शाल और राज्य पत्रित पत्र दे कर सम्मानित किया साथ ही जिला आज़मा गढ़ से आये संतोष सिंह ने मुख्य मंत्री को गोबर से निर्मित नाम प्लेट भेट किया उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सभी किसान प्राकृतिक खेती करें। उन सभी को बाजार हम देंगे और यह विश्वास दिलाते हैं कि नुकसान नहीं होने दिया जाएगा। सरकार ऐसे समय में उनके साथ खड़ी है।

यहां इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित राज्य स्तरीय गौ-आधारित प्राकृतिक खेती कार्यशाला-2022 का शुभारम्भ करने के पश्चात अपने विचार व्यक्त रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने प्राकृतिक खेती विधा में उत्कृष्ट कार्यों के लिए 05 कृषकों को सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि विश्व में भारत एक कृषि प्रधान देश माना जाता रहा है। कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था का आधार भारत का गोवंश रहा है। आधुनिक तकनीक आने के पहले भारतीय किसान पुरातन काल से ही गोवंश आधारित खेती करते थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राज्य स्तरीय गौ-आधारित प्राकृतिक खेती के लिए विशेष कार्यशाला का आयोजन भारत की आस्था को बचाने के साथ-साथ धरती माता को उसके वास्तविक स्वरूप में बनाये रखने का एक अभियान है। प्रधानमंत्री की प्रेरणा व मार्गदर्शन में इस अभिनव कार्यक्रम को गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत द्वारा बढ़ाया जा रहा है। आचार्य जी का सानिध्य इस कार्यक्रम हेतु पूरे देश को प्राप्त हो रहा है।

भारत हमेशा से कृषि प्रधान देश रहा है मैं अक्सर जनता दर्शन के दरबार में आये लोगों में 100 में से 10 ऐसी शिकायतें होती है जो गंभीर बीमारी से ग्रसित होती है।इस बीमारी का कारण क्या है।ये हम सब की चिंता का विषय होना चाहिए भारतीय कृषि अर्थव्यवस्था का आधार गोवंश रहा है।हरित क्रांति से खाद्यान्न में निर्भरता तो आई और लक्ष्य प्राप्त हुए लेकिन उसके दुष्परिणाम से हम नहीं बच पाए। ग्लोबल वार्मिंग इसका सबसे ज्यादा दुष्परिणाम रहा है।भारतीय नस्ल के गोवंश को बढ़ाना होगा और गोवंश के माध्यम से ही खेती करनी होगी। यह वर्तमान और भविष्य को बचाने का अभियान है प्रधानमंत्री मोदी ने वाराणसी से 2021 में शुरू किया था।उन्होंने कहा कि इसी कड़ी में बुंदेलखंड के 7 जिलों में 235 क्लस्टर बनाकर कार्य चलाया जा रहा है। गंगा किनारे खेती की जा रही है। राज्य कृषि विश्वविद्यालय स्तर पर इस कार्य को बढ़ाने का काम कर रहे हैं तथा 79 कृषि विज्ञान केंद्र में सर्टिफिकेशन का कार्य चल रहा है।केंद्र और राज्य दोनों सरकारें किसानों को सुविधाएं देने के लिए संकल्पित हैं।


यूरोप में औद्योगिक क्रान्ति एवं भारत में ब्रिटिश शासन में परम्परागत खेती-किसानी पर प्रहार के फलस्वरूप कृषि का पराभव शुरू हुआ। आजादी के बाद देश में खाद्यान्न की आत्मनिर्भरता का लक्ष्य प्राप्त किया गया। उन्होंने कहा कि नौजवानांे के कैंसर, किडनी, लीवर आदि की गम्भीर बीमारियों से ग्रसित होने पर उनकी प्रतिभा व ऊर्जा का लाभ समाज को नहीं मिल पाता। इन गम्भीर बीमारियों का प्रमुख कारण बड़े पैमाने पर रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों का कृषि क्षेत्र में हो रहा प्रयोग है, जो खाद्यान्न को संदूषित कर देता है। इन बीमारियों से बचने के दो उपाय हैं। एक भारतीय नस्ल के गोवंश को बचाना और दूसरा गौ-आधारित प्राकृतिक खेती करना है। प्राकृतिक खेती के माध्यम से धरती माता की उर्वरता बढ़ाने के साथ ही भूमि की वास्तविक क्षमता को सुरक्षित व संरक्षित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अन्नदाता किसानों द्वारा प्राकृतिक खेती अपनाकर इसमें अपना योगदान दिया जा सकता है।

मुख्यमंत्री ने राज्य स्तरीय गौ-आधारित प्राकृतिक खेती कार्यशाला-2022 का शुभारम्भ किया। राज्य स्तरीय गौ-आधारित प्राकृतिक खेती के लिए विशेष कार्यशाला का आयोजन भारत की आस्था को बचाने के साथ-साथ धरती माता को उसके वास्तविक स्वरूप में बनाये रखने का एक अभियान। प्रधानमंत्री की प्रेरणा व मार्गदर्शन में इस अभिनव कार्यक्रम को गुजरात के राज्यपाल द्वारा बढ़ाया जा रहा है। भारत एक कृषि प्रधान देश, कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था का आधार भारत का गोवंश गम्भीर बीमारियों का प्रमुख कारण बड़े पैमाने पर रासायनिक उर्वरकों एवं कीट नाशकों का कृषि क्षेत्र में हो रहा प्रयोग। गम्भीर बीमारियों से बचने के दो उपाय, एक भारतीय नस्ल के गोवंश को बचाना और दूसरा गौ-आधारित प्राकृतिक खेती करना। प्राकृतिक खेती के माध्यम से धरती माता की उर्वरता बढ़ाने के साथ ही भूमि की वास्तविक क्षमता को सुरक्षित व संरक्षित किया जा सकता प्राकृतिक खेती से फर्टिलाइजर, केमिकल और पेस्टिसाइड से मुक्ति मिलेगी, साथ ही, प्रति एकड़ कृषि लागत में भी कमी आयेगी।


प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में गौ-आधारित प्राकृतिक खेती को मिशन मोड के रूप में प्रारम्भ किया गया। प्रदेश सरकार भी इस कार्यक्रम के साथ जुड़ी है। राज्य सरकार द्वारा बुन्देलखण्ड क्षेत्र के समस्त 07 जनपदों के सभी 47 विकासखण्डों में 11,750 हेक्टेयर क्षेत्रफल में 235 क्लस्टर बनाकर गौ-आधारित प्राकृतिक खेती के लिए बजट के प्राविधान के साथ-साथ अनुदान की भी व्यवस्था की गई है। वर्ष 2020 में कानपुर में गौ-आधारित प्राकृतिक खेती पर कार्यशाला का आयोजन किया गया था, उस समय मां गंगा की अविरलता व निर्मलता को बचाये रखने के साथ ही, गंगा के तटवर्ती क्षेत्रों में प्राकृतिक खेती करने, गौ-आधारित नर्सरी को प्रोत्साहन एवं वैज्ञानिक फसलों को आगे बढ़ाने का कार्य करने का लक्ष्य रखा गया। गौ-आधारित प्राकृतिक खेती के लिए प्रदेश में 27 जनपदों का चयन किया गया है, इन जनपदों में प्रदेश सरकार द्वारा लगभग 62,200 हेक्टेयर क्षेत्रफल को चिहिन्त कर 1244 क्लस्टर विकसित किया जाएगा। प्रदेश सरकार लगभग 01 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है।


प्रदेश में 04 राज्य कृषि विश्वविद्यालयों में प्राकृतिक खेती के प्रमाणन के लिए लैब की स्थापना की कार्यवाही की जा रही है। पहले चरण में चारों कृषि विश्वविद्यालय, दूसरे चरण में सभी 89 कृषि विज्ञान केन्द्रों में प्राकृतिक खेती के सर्टिफिकेशन की कार्यवाही को आगे बढ़ाया जाएगा। प्रदेश सरकार द्वारा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए बेहतर मार्केट की भी व्यवस्था की जाएगी। साथ ही, प्राकृतिक खेती से उत्पन्न सभी प्रकार के अन्न, फल, सब्जी के संरक्षण एवं बिक्री की विशेष व्यवस्था की जाएगी।उन्होंने स्वयं कुरूक्षेत्र में आचार्य देवव्रत के गुरुकुल में जाकर प्राकृतिक खेती व औद्यानिकी का अवलोकन किया एवं भारतीय नस्ल के गौवंश को उन्नत नस्ल में कैसे बदला जा सकता है, यह भी नजदीक से देखा। उन्होंने कहा कि ज्ञान की परम्परा आदान-प्रदान से चलती है। यह दो दिवसीय कार्यशाला आप सभी को मास्टर ट्रेनर के रूप में आगे बढ़ने का एक मौका है। साथ ही, कृषि विभाग यह सुनिश्चित करेगा कि प्राकृतिक खेती करने से किसानों को किसी प्रकार का नुकसान न हो।  

मुख्यमंत्री ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का जो बीड़ा उठाया वह सराहनीय- राज्यपाल आचार्य देवव्रत


मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में किसानों की एम0एस0पी0 को लागत का डेढ़ गुना किया गया है। उन्हें कई मदों में सब्सिडी प्रदान की जा रही है। खेती के दायरे को बढ़ाते हुए सिंचाई की सुविधा भी उपलब्ध करायी गई है। विगत 05 वर्षों में 21 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हुई है। प्रत्येक गांव में विद्युत आपूर्ति की जा रही है। बिजली के दाम कृषि क्षेत्र मंे लगभग आधे कर दिये गये हैं। पी0एम0 कुसुम योजना के अन्तर्गत अगले 01 वर्ष में 30 हजार सोलर पैनल उपलब्ध कराने का लक्ष्य है। यह किसानों को बिजली की वैकल्पिक व्यवस्था प्रदान करने हेतु उठाया गया कदम है। प्राकृतिक खेती से फर्टिलाइजर, केमिकल और पेस्टिसाइड से मुक्ति मिलेगी। साथ ही, प्रति एकड़ कृषि लागत में भी कमी आयेगी। प्राकृतिक खेती, धरती माता एवं पर्यावरण के प्रति जागरूक नागरिक के रूप में हम सबके दायित्व को प्रदर्शित करने का माध्यम होगा। पिछले 02-03 वर्षों में कृषि वैज्ञानिकों एवं शोधार्थियों ने प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किया है और वह इस क्षेत्र में अपना योगदान भी दे रहे हैं। वह जनपदों में कार्यशाला आयोजित कर प्रशिक्षण भी प्रदान कर रहे हैं।
गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी सभी के प्रेरणा स्रोत और भारतीय संस्कृति एवं परम्पराओं के पोषक है। 70 वर्ष के बीमारू प्रदेश को मुख्यमंत्री जी ने अपने विल पावर से 05 वर्ष में एक आदर्श राज्य मंे बदला है। उत्तर प्रदेश आज एक मॉडल के रूप में उभरा है। मुख्यमंत्री जी ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का जो बीड़ा उठाया, वह सराहनीय है।

गौ-आधारित प्राकृतिक खेती, किसान की अर्थव्यवस्था को ताकत देगी, उसकी लागत घटाएगी-कृषि मंत्री


कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि उत्तर प्रदेश एक कृषि प्रधान देश है। राज्य की अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का प्रमुख योगदान है। प्रदेश के 68 प्रतिशत लोगों की आजीविका कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्रों पर आधारित है। गौ-आधारित प्राकृतिक खेती, किसान की अर्थव्यवस्था को ताकत देगी। उसकी लागत को घटाएगी।इससे पूर्व, मुख्यमंत्री ने प्राकृतिक खेती के माध्यम से उत्पादित वस्तुओं की प्रदर्शनी का अवलोकन किया।इस अवसर पर गन्ना विकास मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी, उद्यान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिनेश प्रताप सिंह, कृषि राज्यमंत्री बलदेव सिंह ओलख, ग्राम्य विकास राज्यमंत्री विजय लक्ष्मी गौतम, मुख्यमंत्री के सलाहकार अवनीश कुमार अवस्थी, कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव कृषि देवेश चतुर्वेदी सहित अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।