
एसओजी के वकील का तर्क मानहानि के केस में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए मुसीबत बनेगा। मुख्यमंत्री के लिए मुसीबत
एस.पी. मित्तल
दिल्ली की एक कोर्ट में केंद्रीय मंत्री और जोधपुर के सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ मानहानि का मुकदमा कर रखा है। शेखावत ने कहा है कि संजीवनी को-ऑपरेटिव सोसायटी के प्रकरण में एसओजी की किसी भी एफआईआर में उनका और उनके परिवार के सदस्यों को आरोपी के तौर पर नाम नहीं है, लेकिन सीएम गहलोत रोजाना उन्हें और उनके परिवार को संजीवनी घोटाले का आरोपी बताते हैं। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को इस मामले में तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है।
दिल्ली पुलिस अभी राजस्थान पुलिस से संपर्क कर तथ्य जुटा ही रही थी कि 13 अप्रैल को एसओजी के वकील और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने हाईकोर्ट में कहा कि एसओजी ने संजीवनी प्रकरण में अब तक जितनी भी एफआईआर दर्ज की है, उनमें शेखावत और उनके परिवार के किसी भी सदस्य का नाम नहीं है। इतना ही नहीं, जांच में अभी शेखावत का नाम आरोपी के तौर पर नहीं आया है। यानी 13 अप्रैल 2023 तक शेखावत संजीवनी घोटाले के आरोप नहीं है। यह बात इसलिए भी मायने रखती है कि यह जांच एजेंसी एसओजी के वकील ने हाईकोर्ट में कही है। सवाल उठता है कि जब 13 अप्रैल में कोई आरोप ही नहीं है तो फिर सीएम गहलोत पिछले चार माह से शेखावत को संजीवनी घोटाले का आरोपी कैसे बता रहे हैं…?
सिंघवी के कथन से पुलिस में खलबली
मुख्यमंत्री गहलोत को मुसीबत में डालने वाले सिंघवी के तर्क से राजस्थान पुलिस में खलबली मच गई है। पुलिस के आला अफसरों को इस बात पर आश्चर्य रहा कि एसओजी और वकील सिंघवी के बीच तालमेल नहीं रहा। यही वजह रही कि 13 अप्रैल को शाम को ही एसओजी की डीजी अशोक राठौड़ ने कहा कि वकील सिंघवी ने कोर्ट में जो कुछ भी कहा वह हमारी जांच से बिल्कुल विपरीत है। सवाल उठता है कि सिंघवी एसओजी के वकील हैं या फिर गजेंद्र सिंह शेखावत के….? यदि एसओजी की किसी जांच में शेखावत आरोपी है तो फिर वकील सिंघवी को जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करनी चाहिए थी। सिंघवी यदि 13 अप्रैल को शेखावत को आरोपी नहीं मान रहे हैं तो सीएम गहलोत पर मानहानि का आरोप अपने आप सिद्ध हो जाता है। अब तो दिल्ली पुलिस को भी जांच करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि एसओजी के वकील ही 13 अप्रैल तक शेखावत को निर्दोष मान रहे हैं। लगता है कि संजीवनी प्रकरण में सीएम गहलोत को बहुत जल्दबाजी है। यहां यह उल्लेखनीय है कि शेखावत ने ही सीएम गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत को चार लाख मतों से हराया था। जबकि जोधपुर मुख्यमंत्री का गृह जिला है।
गहलोत ने तो शेखावत के साथ साथ उनकी माताजी, पत्नी आदि को भी आरोपी घोषित कर रखा है। यह सही है कि गृह मंत्री होने के नाते भी पुलिस और एसओजी गहलोत के अधीन आती है, लेकिन एसओजी के वकील सिंघवी के 13 अप्रैल के तर्क से दिल्ली हाईकोर्ट में चल रहे मानहानि के प्रकरण में सीएम गहलोत की मुसीबत बढ़ेगी। मानहानि के केस में जो आरोप शेखावत ने गहलोत पर लगाए हैं, उन्हीं की पुष्टि वकील सिंघवी ने की है। सिंघवी के कथन को आधार मानते हुए ही जोधपुर स्थित हाईकोर्ट के जस्टिस कुलदीप माथुर ने शेखावत की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। यह रोक एसओजी के साथ साथ राजस्थान पुलिस और अन्य जांच एजेंसियों पर भी लागू होगी। मुख्यमंत्री के लिए मुसीबत