गुरु गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा
त्रेतायुग से चली आ रही है गुरु गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा। श्रद्धा, मनोरंजन व रोजगार का संगम है गोरखनाथ मंदिर का खिचड़ी मेला। बाबा को चढ़ाए जाने वाला अन्न वर्षभर वितरित होता है जरूरतमंदों में।
गोरखपुर। लोक आस्था का उफान देखना हो तो मकर संक्रांति पर चले आइए गोरखपुर के विश्व प्रसिद्ध गोरखनाथ मंदिर। यहां मकर संक्रांति से शुरू होकर माह भर चलने वाला खिचड़ी मेला बेमिसाल है। यह मेला श्रद्धा, मनोरंजन और रोजगार का संगम भी है। पूरी प्रकृति को ऊर्जस्वित करने वाले सूर्यदेव के उत्तरायण होने पर खिचड़ी चढ़ाने की त्रेतायुगीन यह अनूठी परंपरा पूरी तरह लोक को समर्पित है। गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी के रूप में चढ़ाए जाने वाला अन्न वर्षभर जरूरतमंदों में वितरित किया जाता है। मंदिर के अन्न क्षेत्र में कभी भी कोई जरूरतमंद पहुंचा, खाली हाथ नहीं लौटा। ठीक वैसे ही, जैसे बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाकर मन्नत मांगने वाला कभी निराश नहीं होता।
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गुरु गोरखनाथ एक बार कांगड़ा में ज्वाला देवी के दरबार में गए और जब देवी ने उन्हें भोजन के लिए कहा तो गुरु गोरखनाथ बोले कि वे केवल खिचड़ी खाते हैं। आप पानी गरम कीजिए, बाकी सामग्री लेकर आते हैं। गुरु गोरखनाथ वहां से निकले तो गोरखपुर आ गए और धुनी रमा कर खप्पर रख दिया। मकर संक्रांति का दिन था और लोग उनका खप्पर भरने आने लगे। लोग खप्पर में खिचड़ी डालने लगे लेकिन पर वह भरा नहीं। इसके बाद गुरु गोरखनाथ ने अपने खप्पर से आए हुए सभी भक्तों को खिचड़ी खिलाई। तब से खिचड़ी चढ़ाने की शुरू हुई परंपरा चली आ रही है।
मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने गोरखनाथ मंदिर में मकर संक्रांति पर लगने वाले विश्व प्रसिद्ध खिचड़ी मेले की तैयारियों का जायजा लिया। 77 मकर संक्रांति पर होने वाले इस खिचड़ी मेले की मान्यता ऐसी है कि दूर दराज से लोग यहां पहुंचते हैं। इस दिन उत्तर प्रदेश, बिहार तथा देश के विभिन्न भागों के साथ-साथ पड़ोसी राष्ट्र नेपाल से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु शिवावतारी बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाते हैं। सबसे पहले बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाई जाती है। सबसे पहले गोरक्षपीठकी तरफ से पीठाधीश्वर खिचड़ी चढ़ाते हैं। ततपश्चात नेपाल नरेश के परिवार की ओर से आई खिचड़ी बाबा को चढती है। इसके बाद जनसामान्य की आस्था खिचड़ी के रूप में निवेदित होगी।
गुरु गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा