मध्य प्रदेश । बाघ सभी को भयभीत करने वाला और शक्तिशाली जन्तु के रूप में जाना जाता है। इसकी दहाड़ और गुर्राहट भयानक के साथ डराने वाली होती है। तीन कि.मी.की रेंज तक इसकी दहाड़ सुनाई देती है। बाघ के पिछले पैर आगे वाले पैरों की तुलना में बढ़े आकार के होते हैं। इससे यह एकबार में 20 से 30 फिट तक की लम्बी छलांग लगा सकता है। बाघ के पैरों का निचला हिस्सा गद्देदारनुमा होता हैं। इस वजह से चुपचाप शिकार के नजदीक तक पहुँच जाता है। बाघ में 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ने की क्षमता रहती है।
बाघ की विशेषता है कि वह समूह में न रहकर अकेला रहने वाला प्राणी है। प्रजनन काल में ही नर और मादा इकट्ठे होते हैं। शावक का जन्म होने के बाद अपनी माँ के साथ डेढ़ से दो साल तक रहकर शिकार करने की कला में पारंगत होता है। बाघ अपना शिकार बड़ी चतुराई और फुर्तीले अंदाज में और ज्यादाकर रात के समय करता है। सर्वविदित है कि यह झाड़ियों में घात लगाकर पीछे से अचानक शिकार पर हमला करता है। शरीर पर बनी धारियों की वजह से आसानी से झाडियों में घुल-मिल जाता है। यह अपने शिकार में गर्दन को निशाना बनाता है।
टाइगर रिजर्व के अलावा मौजूद हैं बाघ
प्रदेश के बाघ न केवल टाइगर रिजर्व में है बल्कि अन्य क्षेत्रीय वन मण्डलों अपितु भोपाल जैसे बढ़े शहरों की सीमा में भी अन्य प्राणी की तरह विचरण करते पाए जाते हैं। वर्ष 2018 में पन्ना से बाघों का अस्तिव ही समाप्त हो गया था। वन विभाग द्वारा बाघ संरक्षण के लिए सक्रिय पहल की गई, जिसमें बाघों को अन्य संरक्षित क्षेत्रों से लाकर पन्ना टाइगर रिजर्व में पुनर्स्थापित किया गया। पिछले 9 वर्ष की सतत प्रक्रिया के कारण आज पन्ना टाइगर रिजर्व पुराने वैभव की ओर लौट चुका है। यहाँ 20 से ज्यादा वयस्क बाघ और 15 अवयस्क बाघ/शावक मौजूद हैं। सम्पूर्ण पन्ना लैंड स्केप में शावकों सहित तकरीबन 50 बाघ उपलब्ध हैं।
घोरेला मॉडल के रूप में मिली प्रसिद्धि
प्रदेश में वर्ष 2005-06 में बिछड़े अनाथ शावकों को उनके प्राकृतिक रहवास में मुक्त करने की नई पहल की शुरूआत की गई। इससे अनाथ बाघ शावक चिड़िया घर पहुँच जाते थे। उनके वयस्क होते ही प्राकृतिक आवास में मुक्त किया जाना संभव हो सका। कान्हा टाइगर रिजर्व के घोरेला एन्क्लोजर में 9 बाघ शावकों को वयस्क होने पर मुक्त किया जा चुका है। प्रदेश को मिली इस सफलता को पूरी दुनिया में “घोरेला” मॉडल के रूप में प्रसिद्धि मिली है।