कौन करेगा करोड़ों के निर्माण कार्यों के गुणवत्ता की जांच ! मुख्यमंत्री के निरीक्षण के बाद कारागार विभाग में मची खलबली। गुणवत्ता परखने की जिम्मेदारी अधिशासी और सहायक अभियंता के हाथ में, दोनों पद खाली। ओपन जेल समेत प्रदेश में चल रहे कई सौ करोड़ों के निर्माण कार्य। कारागार विभाग में मची खलबली..!
लखनऊ। प्रदेश के कारागार विभाग में निर्माण कार्य की गुणवत्ता परखने के न तो कोई अधिशासी अभियंता है और न ही कोई सहायक अभियंता। ऐसे में मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद निर्माण कार्य की गुणवत्ता की परख कौन करेगा। यह बड़ा सवाल है। विभाग के निर्माण अभियंत्रण कक्ष के नौ के नौ पद खाली पड़े हुए है। विभाग में बगैर किसी इंजीनियर के प्रदेश में ओपन जेल समेत करोड़ों के निर्माण कार्य चल रहे है। ऐसे में निर्माण कार्यों की गुणवत्ता को आंक पाना आसान नहीं है। दिलचस्प बात यह है कि निर्माण कार्यों की जिम्मेदारी अभियंत्रण कक्ष के बजाए शासन में बैठे विभाग के मुखिया के हाथों में हैं।उधर इस मसले पर विभाग के आला अफसर कोई भी टिप्पणी करने से बच रहे है।
अभी हाल ही में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने दो दिवसीय वाराणसी का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने जनपद में चल रही कई योजनाओं के निर्माण कार्यों का निरीक्षण किया। सूत्र बताते है कि इस दौरान उन्होंने केंद्रीय कारागार वाराणसी परिसर में निर्माणाधीन वार्डर आवासों का भी निरीक्षण किया। मुख्यमंत्री का कार्यक्रम पूर्व निर्धारित होने की वजह से निर्माण स्थल पर कार्यदायी संस्था यूपीआरएनएन के वरिष्ठ अधिकारी और जेल अधिकारी मौजूद रहे। निरीक्षण के दौरान विभाग के अभियंत्रण कक्ष को कोई भी अभियंता मौजूद नहीं था। बताया गया है कि जेल परिसर में वार्डरो के लिए 48 आवास तैयार किए जा रहे हैं।
विभाग के प्रमुख सचिव करते निर्माण कार्यों का आवंटन….!
कारागार मुख्यालय के निर्माण अनुभाग में एक अधिशासी अभियंता, एक सहायक अभियंता, तीन अवर अभियंता, एक संगणक, दो ड्राफ्ट मैन समेत कुल नौ पद सृजित है। वर्तमान विभाग के अभियंत्रण कक्ष के सभी पद खाली पड़े है। प्रदेश भर के निर्माण कार्यों के आवंटन की जिम्मेदारी प्रमुख सचिव/महानिदेशक कारागार, अपर महानिरीक्षक कारागार प्रशासन और डीआईजी मुख्यालय के हाथों में है। बताया गया है निर्माण कार्य आवंटन विभाग के मुखिया करते है। विभाग के निर्माण कार्य निर्माण पर्यवेक्षकों के भरोसे चल रहे है। शासन के आला अफसरों ने इनके प्रोन्नति की फाइल तक को दबा रखा है।
सूत्रों का कहना है कि करीब सात आठ मिनट के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्माणाधीन आवासों को खुलवाकर कमरा, शौचालय का सघन निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने मौजूद अधिकारियों से सवाल किया यह काम कब तक पूरा हो जाएगा। इस पर अधिकारियों ने निर्माण कार्य 30 सितंबर तक पूरा करने की बात कही। इस पर उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि निर्माण कार्य की गुणवत्ता के साथ कोई समझौता नहीं होना चाहिए। विभाग में बगैर किसी अभियंता के हो रहे हैं। इन निर्माण कार्यों के गुणवत्ता की जांच कौन करेगा। इस सवाल का जवाब देने से विभाग के अधिकारी बचते नजर आए। निर्माण करने वाली एजेंसी अपने निर्माण को खराब कभी नहीं कहेगी। निर्माण के गुणवत्ता की जांच की जिम्मेदारी अधिशासी अभियंता और सहायक अभियंता की होती है। यह दोनों ही अधिकारी विभाग में नहीं हैं। कारागार विभाग में मची खलबली..!