नफरत और बंटवारे की सोच देश को मजबूत नहीं बना सकती-अखिलेश प्रताप सिंह

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सचिन रावत

लखनऊ। ऑल इंडिया प्रोफेशनल कांग्रेस के तत्वाधान में आयोजित ‘‘उत्तर प्रदेश की साझी विरासत’’ विषय को लेकर आयोजित परिचर्चा के मुख्य वक्ता काशी हिंदू विश्वविद्यालय सोशियोलॉजी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर ए.के. पाण्डेय ने कहा कि  भारतीय समाज में एकीकृत चेतना का जो सिद्धांत है, अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत देश की आंतरिक संरचना की मजबूती के लिए देश में मौजूद सभी धर्मों और विचारधाराओं के बीच में सामंजस्य होना नितांत आवश्यक है। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि खास तौर से देश के युवा वर्ग से विशेष अपील है कि दशकों से मौजूद भारतीय परंपराओं, संस्कृति और साझी विरासत के साथ किसी भी परिस्थितियों में धर्म जाति के आधार पर समझौता नहीं किया जा सकता। भारतीय लोकतंत्र की खूबसूरती और मजबूती का मुख्य आधार यहां मौजूद सामाजिक विविधता और साझी विरासत है।

पूर्व विधायक/राष्ट्रीय प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा कि धर्म जाति नफरत के आधार पर सत्ता तो हासिल की जा सकती है, परंतु इस विशाल जनसंख्या वाले  देश की मजबूत साझी विरासत को संभालना असंभव है। नफरत और बंटवारे की सोच देश में रोजगार,शिक्षा,स्वास्थ्य के इंफ्रास्ट्रक्चर को कभी मजबूत नहीं बना सकती, न ही अपने लक्ष्य को पूर्ण कर सकती है। विकसित भारत के निर्माण की परिकल्पना कभी भी बंटे हुए भारत में साकार नहीं हो सकती है। इतिहास गवाह है कि भारत की सांझी विरासत, एकता और अखण्डता को बनाये रखने के लिए कांग्रेस पार्टी और हमारे महापुरूषों ने ही हमेशा शहादत दी है। जब-जब कांग्रेस कमजोर हुई फिरकापरस्त ताकतों द्वारा देश की सांझी विरासत को खंडित करने का षड़यंत्र किया गया।  

पूर्व आईएएस पदमश्री परवीन तलहा ने परिचर्चा में उत्तर प्रदेश की सांझी विरासत के मजबूत उदाहरणों को स्पष्ट करते हुए कहा कि सच्चाई यह है कि महात्मा गांधी से लेकर के वर्तमान पीढ़ी के सभी कांग्रेसी नेताओं और कांग्रेस सरकारों ने हमेशा साझी विरासत को संजोए रखने के लिए अपने दृढ़ निश्चय व्रत का पालन किया है। राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर  यह सर्वविदित है कि देशवासियों में सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाने के साथ उनके सामाजिक उत्थान के लिए जितने भी कार्यक्रम चलाए। उसमें सभी जातियों धर्माे को समान अधिकार और लाभ मिलता रहा। देश के कमजोर वर्गों ,गरीबों के लिए आज जितने भी कार्यक्रम चल रहे उसके संचालन में कांग्रेस और उनकी सरकारों ने अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान निभाया है।

प्रदेश कांग्रेस महामंत्री शिव पाण्डेय जी ने कहा कि आज के दौर में कांग्रेस पार्टी से जुड़कर और देश की एकता अखंडता के लिए धर्म जातियों से ऊपर उठकर जो लोग आज सामाजिक सद्भाव, सांझी विरासत को बनाए रखने के लिए विषम से विषम परिस्थितियों में काम कर रहे है, आज भी कांग्रेस की आवाज बुलंद कर रहें है। यही हमारी कभी न समाप्त होनी वाली वैचारिक पूंजी है। हमारे पूर्वजों, हमारे महापुरुषों की त्याग,तपस्या और उनके द्वारा लड़ी गयी वैचारिक लड़ाई का परिणाम है कि हम फिरका परस्त ताकतों से बिना डरे अपनी विचारधारा के साथ सामाजिक समरसता और औद्योगिक विकास की ओर अग्रसर हैं।

राजीव गांधी स्टडी सर्किल के प्रदेश अध्यक्ष प्रो.विनोद चन्द्रा ने कहा कि सर्वविदित है कि उत्तर प्रदेश ने बढ़ चढ़कर यहां की साझी विरासत को सँजोने में अत्यंत महत्वपूर्ण भमिका अदा किया है। आज राष्ट्र निर्माण के लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि प्रदेश की संस्कृति व परम्परागत साँझी विरासतों को लेकर वर्तमान पीढ़ी को अपने नैतिक मूल्यों के निर्वाहन की जिम्मेदारी को आगे आकर निभाना चाहिए। उत्तर प्रदेश की साझी विरासत परिचर्चा का संचालन मेराज वली खां और धन्यवाद ज्ञापन आयोजक सदस्य प्रोफेशनल कांग्रेस सचिव प्रज्ञा सिंह ने किया।

जिलाध्यक्ष वेद प्रकाश त्रिपाठी ,पूर्व शहर अध्यक्ष मुकेश सिंह, प्रोफेशनल कांग्रेस के पूर्व जोन अध्यक्ष तारिक सिद्दीकी, विरेन्द्र मदान, अमरनाथ अग्रवाल, विचार विभाग के चेयरमैन सम्पूर्णानंद मिश्रा, प्रिन्ट मीडिया संयोजक अशोक सिंह, कांग्रेस प्रवक्ता विकास श्रीवास्तव, संजय सिंह, प्रदीप सिंह, पंकज तिवारी, सहित गोविंद सिंह, सुशीला शर्मा, विभा त्रिपाठी, डा0ॅ रिचा अमित कौशिक, किरण शर्मा, गजाला सिद्दाकी, जितेंद्र कुमार, अली हसन, महेंद्र सिंह समेत सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद रहे।