अशोक भाटिया
जम्मू-कश्मीर में दस साल बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। ऐसे में सभी की निगाहें माता वैष्णो देवी विधानसभा सीट पर लगी हैं। ये सीट अनुच्छेद-370 के बाद हुए परिसीमन से अस्तित्व में आई है। इससे पहले ये क्षेत्र रियासी सीट का हिस्सा था। माता वैष्णो देवी सीट पर भाजपा और कांग्रेस दोनों ने पूरी ताकत झोंक रखी थी । भाजपा के लिए ये सीट इसीलिए अहम हो गई , क्योंकि यह धार्मिक लिहाज से हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण स्थान है। अयोध्या और बद्रीनाथ जैसा सियासी हश्र भाजपा का माता वैष्णो देवी की सीट पर न हो जाए, इसके लिए किसी तरह कोई भी रिस्क लेने के मूड में नहीं थी। भाजपा के लिए दूसरा अयोध्या न बन जाए माता वैष्णो देवी की सीट !
भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव में अयोध्या और नासिक जैसी धार्मिक नगरी वाली सीट जीत नहीं सकी। यही नहीं, उपचुनाव में उत्तराखंड की बद्रीनाथ और हरिद्वार की मंगलोर सीट पर मिली हार से भाजपा की काफी किरकिरी हुई थी। इतना ही नहीं ,प्रयागराज और चित्रकूट जैसी लोकसभा सीट भाजपा हार गई थी। भाजपा को अयोध्या में तब चुनावी मात खानी पड़ी, जब रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो गई थी। अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य राम मंदिर बनकर तैयार हो रहा है। ऐसे में मिली चुनावी शिकस्त से भाजपा को शर्मिंदगी झेलनी पड़ी है। यही वजह है कि भाजपा अब श्री माता वैष्णो देवी सीट किसी भी सूरत में गंवाना नहीं चाहती है।
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 के खत्म होने के बाद हुए परिसीमन से माता वैष्णो देवी विधानसभा सीट अस्तित्व में आई है। पहले यह इलाका रियासी सीट में ही आता था। 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को हराकर भाजपा ने अपना कब्जा जमाया था। इसके बाद 2014 में भी भाजपा जीतने में सफल रही। बीते 16 सालों से भाजपा का ही वर्चस्व बना हुआ है। इसी दबदबे को बनाए रखने के लिए भाजपा ने बलदेव राज शर्मा पर दांव खेला है तो कांग्रेस ने भूपेंद्र जामवाल को मैदान में उतारकर मुकाबले को रोचक बना दिया ।
माता वैष्णो देवी के नाम से विधानसभा सीट बनवाने का श्रेय भाजपा को जाता है। 2016 से वह इसे विधानसभा क्षेत्र बनाने को लेकर अच्छी खासी मेहनत की थी और आखिरकार मेहनत रंग लाई। कटरा में बनने वाले विश्व स्तरीय आईएमएस यानी कि इंटर मॉडल स्टेशन, दिल्ली-अमृतसर-कटरा सिक्स लेन कॉरिडोर और केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत प्रसाद परियोजना जिसके तहत करोड़ों रुपये की लागत से कटरा के समग्र विकास की दुहाई लेकर भाजपा वोट मांग रही है। माना जा रहा है कि भाजपा के लिए यह सियासी मुफीद साबित हो सकता है।
अब जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में बुधवार को 26 सीटों के लिए हुए मतदान में 56 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग किया। कई स्थानों पर उत्साह से भरे मतदाताओं की लंबी कतारें देखी गईं।इस दौरान सबसे अधिक वोटिंग हॉट सीट में शुमार वैष्णो देवी सीट पर हुई, जहां 79.95 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। नई सीट परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई है। भाजपा ने इस सीट को लेकर पूरी ताकत झोंक रखी थी और खुद प्रधानमंत्री मोदी इस सीट को लेकर प्रचार के लिए कटरा पहुंचे थे।
19 सितंबर को प्रधानमंत्री मोदी ने कटरा में करीब दो किलोमीटर लंबा रोड शो किया था। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि यहां (जम्मू-कश्मीर में) एक ऐसी सरकार की जरूरत है, जो हमारी आस्था का सम्मान करे और हमारी संस्कृति को बढ़ावा दे।प्रधानमंत्री मोदी की वैष्णो देवी मंदिर को लेकर आस्था किसी से छिपी नहीं है। 2014 में जब उन्हें भाजपा ने प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया तो उन्होंने लोकसभा अभियान की शुरुआत करने से पहले मंदिर में प्रार्थना की थी। इस बार, महत्व दोगुना हो गया है, क्योंकि 2022 के परिसीमन के बाद, अब श्री माता वैष्णो देवी विधानसभा सीट है, जो रियासी और उधमपुर विधानसभा क्षेत्रों से अलग हो गई है।
गौरतलब है कि भाजपा हाल के लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश की फैजाबाद (अयोध्या) सीट हार गई थी और फिर विधानसभा उपचुनाव में उत्तराखंड की बदरीनाथ की सीट भी नहीं जीत पाई थी। इन दो सीटों को लेकर विपक्ष ने भाजपा पर जमकर हमला बोला था। ऐसे में अब श्री माता वैष्णो देवी सीट भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है और यही वजह है कि पार्टी ने प्रचार में यहां कोई कमी नहीं छोड़ी। भाजपा के लिए दूसरा अयोध्या न बन जाए माता वैष्णो देवी की सीट !