सामाजिक न्याय की लड़ाई बदस्तूर जारी

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सामाजिक न्याय की लड़ाई बदस्तूर जारी
सामाजिक न्याय की लड़ाई बदस्तूर जारी

सामाजिक न्याय की लड़ाई लम्बे समय से चल रही है और आज भी वह बदस्तूर जारी है। समाज में पिछड़ों, वंचितों और शोषितों का जीवन शुरू से अभिशापित रहा है। आदिवासी समाज होने के बावजूद अभी तक अपने हक और सम्मान से वंचित है। समाजवादी आंदोलन और विचारधारा में इनकी उचित भागीदारी को प्राथमिकता दी जाती रही है। आज इन वंचितों, आदिवासियों और पिछड़ों की लड़ाई अखिलेश यादव लड़ रहे हैं। उनके पीडीए की आवाज पूरे देश में जा रही है।समाजवादी सरकार में हुए विकासकार्यों को अपना कर उस पर अपना ठप्पा लगाना भाजपा की नीति और नीयत दोनों है। उत्तर प्रदेश में इकॉना स्टेडियम हो, कैंसर अस्पताल हो या अन्य कोई विकास कार्य समाजवादी सरकार के इन कार्याें के साथ भाजपा नेतृत्व का नाम जोड़ने में कोई संकोच नहीं हुआ। समाजवादी पार्टी ने जब सामाजिक न्याय की मुहिम शुरू की तो भाजपा को जनजाति भागीदारी राग अलापने लगी है। लगे हाथों भाजपा ने महानायक बिरसा मुंडा को भी इससे जोड़कर अपनी वाहवाही बटोरनी शुरू कर दी है। यह कैसी विडम्बना है कि जिस भाजपा आरएसएस का भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को कभी कोई सम्बंध नहीं रहा, वे स्वतंत्रता आंदोलन के पुरोधाओं का अपने हित में भी उपयोग करने में हिचकते नहीं है। बिरसा मुंडा ने जिन अंग्रेज साम्राज्यवादियों के खिलाफ विद्रोह की अगुवाई की थी उन अंग्रेजों के लिए मुखबिरी और समर्थन देने में यही लोग सक्रिय थे। सामाजिक न्याय की लड़ाई बदस्तूर जारी

इतिहास इस बात का साक्षी है कि बिरसा मुंडा के नाम पर आयोजित भागीदारी उत्सव संगीत नाटक अकादमी, गोमतीनगर में जब कल पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव राजेन्द्र चौधरी पहुंचे थे वहां न केवल आयोजको ने अपितु उत्सव में भागीदारी करने आए आदिवासी समाज के लोगों ने भी स्वागत किया। सोनभद्र, चित्रकूट, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ के ‘भागीदारों‘ ने अखिलेश यादव का नाम सम्मान के साथ लिया और कहा कि वे अखिलेश यादव जी को बहुत अच्छा नेता मानते हैं। उनके मुकाबले कोई नही।
राजेन्द्र चौधरी ने बिरसा मुंडा के प्रति नमन करते हुए आदिवासी कलाकारों से भेंट की। उन्होंने शिल्प मेला देखा और खरीदारी भी की। प्रदेश की जनजातियों, गोंड, खरवार, भुइया, पनीका, पंखा, पहरिया, अगरिया, चेरो, बैगा, धूसिया, सहरिया, थारू, बुक्सा के अतिरिक्त घुमंतू जाति के नट, बहुरूपिया, थोपी, बाउल, भपंग एवं जादू के कलाकारों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।

श्री चौधरी ने जम्मू कश्मीर के मांगो नृत्य के कलाकारों और उनके प्रमुख अब्दुल रसीद राठौर, तबस्सुम रहमान से भेंट की। छत्तीसगढ़ी के गैंडी नृत्य के कलाकारों के प्रतिनिधि रतनलाल निषाद, सुरेश कुमार मोठी, सोनभद्र के अमरजीत सिंह, चित्रकूट के राम किशोर के साथ तमाम कलाकारों से भी राजेन्द्र चौधरी ने भेंट की और उनकी कला के बारे में जानकारी ली। संगीत नाटक अकादमी के मुख्यद्वार के निकट जौधपुर के कलाकारों द्वारा रावणहता नामक वाद्ययंत्र पर सुगना राम ने गीत सुनाए। उनकी पत्नी मनबरी भी गायक है। उनके पुत्र विक्रम और पैना राम खंजड़ी पर संगत करते हैं। जनजाति भागीदारी उत्सव के परिभ्रमण के पश्चात राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि भाजपा का यह भागीदारी उत्सव अपने मूल उद्देश्य समाज के उपेक्षित आदिवासी समाज के लिए कोई संदेश देने अथवा उनकी प्रगति का कोई संकेत देने में पूर्णतया विफल रहा है। आदिवासी समाज कवेल मनोरंजन की प्रस्तुति के लिए नही है उनके विकास और प्रगति की ठोस योजना भी होनी चाहिए। भाजपा केवल उत्सव मनाकर बैठ जाती है। समाजवादी पार्टी ने अपनी सरकारों में समाज के पिछड़ो, आदिवासी, दलितों सभी के लिए ठोस योजनाएं बनाई थी। श्री चौधरी ने कहा कि समाजवादी सरकार बनने पर आदिवासियों के उत्थान की विशेष योजनाएं कार्यांन्वित होगी। सामाजिक न्याय की लड़ाई बदस्तूर जारी