

आज के डेट में मोबाइल फोन हमारी जिंदगी का एक जरूरी हिस्सा बन गया है। किसी से बात करना हो, कुछ देखना हो या ऑनलाइन काम करना हो, हर चीज के लिए हमें इंटरनेट चाहिए होता है और इस इंटरनेट के लिए हमें मोबाइल डेटा की जरूरत पड़ती है लेकिन क्या आपने ध्यान दिया है कि पिछले कुछ समय में मोबाइल डेटा कितना महंगा हो गया है..? कुछ दिन पहले, थोड़े से पैसे में भी अच्छा खासा डेटा मिल जाता था लेकिन अब, उतना ही डेटा खरीदने के लिए हमें ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं। अगर हम आंकड़ों की बात करें तो 2024 में एयरटेल का एक प्लान जिसमें 6GB डेटा और हर दिन 100 SMS मिलते थे, 455 रुपये का था लेकिन अब उसी तरह का प्लान बिना डेटा के ही 469 रुपये का हो गया है। जियो और वोडाफोन जैसी दूसरी बड़ी कंपनियों ने भी इसी तरह कीमतें बढ़ा दी हैं। इस वजह से, पूरे देश में लोग मोबाइल सेवाओं पर मिलकर लगभग 45,000 करोड़ रुपये ज्यादा खर्च कर रहे हैं। मोबाइल डेटा का महंगा होना आम आदमी के लिए परेशानी
अब सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? इसके पीछे कई कारण हैं। एक कारण है TRAI यानी टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया की एक नई पॉलिसी। TRAI चाहता था कि जो लोग कम डेटा इस्तेमाल करते हैं, उन्हें सस्ते प्लान मिलें। इसलिए उन्होंने कंपनियों से कहा कि वे वॉयस कॉल और डेटा के प्लान को अलग-अलग बेचें। सोचा यह गया था कि इससे सिर्फ कॉल करने वालों के लिए सस्ता प्लान मिलेगा लेकिन कंपनियों ने इसका फायदा उठाया। पहले जो प्लान कॉल और डेटा दोनों के साथ 480 रुपये का मिलता था, अब सिर्फ कॉल का प्लान ही लगभग 458 रुपये का है और अगर आपको डेटा चाहिए, तो उसके लिए अलग से पैसे देने पड़ रहे हैं। इस तरह, कुल मिलाकर हमें ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं।
दूसरा बड़ा कारण है 5G नेटवर्क। पिछले कुछ सालों में टेलीकॉम कंपनियों ने नए 5G नेटवर्क को लगाने में बहुत सारा पैसा खर्च किया है। जैसा कि 2024 में ही जियो, एयरटेल और वोडाफोन ने मिलकर लगभग 70,000 करोड़ रुपये खर्च किए। अब ये कंपनियां चाहती हैं कि इस खर्च का पैसा ग्राहकों से ही वसूला जाए। इसलिए आने वाले समय में मोबाइल डेटा और भी महंगा हो सकता है, लगभग 25 से 35 प्रतिशत तक।
एक और बड़ी वजह है कि बाजार में सही प्रतिस्पर्धा का न होना। पहले कई टेलीकॉम कंपनियां थीं जिससे कीमतें कम रहती थीं लेकिन जियो के आने के बाद कुछ कंपनियां बंद हो गई या आपस में मिल गई। अब बाजार में सिर्फ तीन प्राइवेट बड़ी कंपनियां बची हैं – जियो, एयरटेल और वोडाफोन। ऐसा लगता है कि इन तीनों कंपनियों की आपस में मिलीभगत है और ये मिलकर अपनी मर्जी से कीमतें बढ़ा रही हैं। इसे ‘ओलिगोपॉली’ कहते हैं, जहां कुछ ही बड़ी कंपनियां मिलकर बाजार को कंट्रोल करती हैं। कुछ लोग उम्मीद कर रहे थे कि एलेन मस्क की कंपनी स्टारलिंक सैटेलाइट के जरिए इंटरनेट देकर शायद कीमतें कम कर देगी। सरकार ने भी स्टारलिंक के भारत में आने का रास्ता साफ कर दिया था लेकिन अब खबर है कि स्टारलिंक ने जियो और एयरटेल से हाथ मिला लिया है। इसका मतलब है कि शायद मोबाइल डेटा की कीमतों में कोई बड़ी राहत नहीं मिलेगी।
कुल मिलाकर, मोबाइल डेटा का महंगा होना आम आदमी के लिए एक बड़ी परेशानी है। एक तरफ हमें इंटरनेट की जरूरत है और दूसरी तरफ इसकी बढ़ती कीमतें हमारी जेब पर भारी पड़ रही हैं। सरकार और टेलीकॉम कंपनियों को इस बारे में सोचना होगा कि कैसे लोगों को सस्ता और अच्छा इंटरनेट मिल सके क्योंकि आज के समय में इंटरनेट सिर्फ एक सुविधा नहीं, बल्कि एक जरूरत बन गया है। कंपनी पहले सस्ते दरों पर इसका चस्का लगाया और जब इसके आदी हो गए तो मनमानी कीमत पर लेने को लोग मजबूर है। मोबाइल डेटा का महंगा होना आम आदमी के लिए परेशानी