लखनऊ। पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने जब पसमांदा मुसलमानों को शैक्षिक, आर्थिक व राजनीतिक रूप से कमजोर कर दिया तो उसने सच्चर कमेटी के जरिये यह जानने का प्रयास किया कि हम अपने षड्यंत्र में कितना कामयाब हुए। यही नहीं सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के जरिये कांग्रेस पार्टी ने इस बात का भी अध्ययन किया कि पसमांदा मुसलमान आैर किन-किन क्षेत्रों में कमजोर करना है। यही कारण है कि सच्चर कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद भी कांग्रेस की तत्कालीन सरकार ने रिपोर्ट आने के बाद भी इलाज के लिए कोई कदम नहीं उठाया।
श्री मंसूरी रविवार को महोबा स्थित शुक्ला मैरिज लॉन बेला ताल में पसमांदा मुस्लिम समाज के सामूहिक विवाह समारोह के सिलसिले में आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस अवसर पर 51 जोड़ों का विवाह सम्पन्न हुआ। समारोह में बांदा, चित्रकूट, हमीरपुर, जालौन, महोबा और झांसी के हजारों पसमांदा मुसलमानो ने शिरकत की। अनीस मंसूरी ने कहा कि देश में मुसलमानों की कुल आबादी का 85 प्रतिशत मुसलमान पसमांदा हैं। जिन्हें आज़ादी के बाद भी सरकारी नौकरियों में आरक्षण मिलता था। लेकिन तत्कालीन कांग्रेसी हुकूमत ने षड्यंत्र के तहत 10 अगस्त 1950 को राष्ट्रपति के अध्यादेश के जरिये खत्म करा दिया गया। उन्होंने कहा कि यह आदेश जारी होने के बाद मार्च 2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पसमांदा मुसलमानों की बदहाली का अध्ययन करने के लिए पूर्व न्यायाधीश जस्टिस राजेन्द्र सच्चर की अध्यक्षता वाली सात सदस्यीय सच्चर कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी ने पसमांदा मुसलमानों की सामाजिक, आर्थिक आैर शैक्षिक स्थिति का अध्ययन करने के लिए के कहा था।
अनीस मंसूरी ने कहा कि सच्चर कमेटी ने वर्ष 2006 में अपनी रिपोर्ट दी थी, लेकिन तत्कालीन कांग्रेसी सरकार ने 30 नवम्बर 2006 को यह रिपोर्ट सार्वजनिक की थी। उन्होंने कहा कि 403 पन्नों की सच्चर कमेटी रिपोर्ट को अगर एक लाइन में कहा जाए तो वह यह था कि “पसमांदा मुसलमानों की हालत दलितों से भी बदतर है।”उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस पार्टी पसमांदा मुसलमानों की इतनी हितैषी थी तो उसको सच्चर कमेटी की रिपोर्ट में दी गयी संस्तुतियों पर अमल करके पसमांदा मुसलमानों की बदहाली को दूर करने के क्षेत्र में काम मरना था। अनीस मंसूरी ने कहा कि सच्चर कमेटी के जरिये कांग्रेस पार्टी का मकसद सिर्फ पसमांदा मुसलमानों की बदहाली का स्तर पता करना था। इसलिए कांग्रेस पार्टी ने इस रिपोर्ट पर जरा भी अमल नहीं किया।अनीस मंसूरी ने केंद्र और राज्य सरकारों से मांग करते हुऐ कहा कि उत्तर प्रदेश के साथ-साथ पूरे देश में कर्पूरी ठाकुर फार्मूला के अनुसार अन्य पिछड़े वर्ग कोटा में अतिपिछड़ा वर्ग के लिए अलग से आरक्षण की व्यवस्था लागू किया जाये और पसमांदा (पिछडे़) अधिसूचित मुस्लिम जातियों को प्राथमिकता के आधार पर सबसे ऊपर रखा जाये और खाली जगहों में बैक लाग के द्वारा भर्ती किया जाये।