

सूर्य नमस्कार योगासनों में सबसे श्रेष्ठ और प्रभावशाली प्रक्रिया मानी जाती है। यह एकमात्र ऐसा अभ्यास है,जो साधक को सम्पूर्ण योग व्यायाम के लाभ प्रदान करने में सक्षम है। इसके नियमित अभ्यास से शरीर स्वस्थ,निरोगी और तेजस्वी बनता है। सूर्य आज भी एक रहस्य बना हुआ है। यह हमारे सूक्ष्म शरीर को अपनी चैतन्य शक्ति से जीवंतता प्रदान करता है। प्राचीन काल में हमारे ऋषि-मुनियों ने इस रहस्य को समझ लिया था और इसे मानव कल्याण के लिए एक प्रभावशाली साधना के रूप में विकसित किया। सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करने की परंपरा आदिकाल से चली आ रही है, क्योंकि सूर्य जीवनदायिनी ऊर्जा का स्रोत है। इसी कारण सूर्य नमस्कार किया जाता है। प्राचीन काल से ही इसे योगासन और व्यायाम दोनों की श्रेणी में रखा गया है। यह अभ्यास व्यक्ति को तेजस्वी और ऊर्जावान बनाता है। सूर्य नमस्कार स्त्री,पुरुष,बच्चे, युवा और वृद्ध—सभी के लिए अत्यंत लाभकारी माना गया है। इसका शाब्दिक अर्थ है “सूर्य को नमन”,अर्थात् जीवनदायिनी ऊर्जा के महापुंज को श्रद्धा और सम्मान अर्पित करना है। यह सूर्य के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने की एक प्राचीन विधि है। सूर्य नमस्कार केवल आसनों का समूह नहीं, बल्कि इसमें आसन,प्राणायाम,ध्यान,चक्र जागरण और मंत्रोच्चारण की क्रियाएँ सम्मिलित होती हैं, जिससे यह अपने आप में एक संपूर्ण साधना बन जाता है। योगासन में सर्वोत्तम है सूर्य नमस्कार

सूर्य नमस्कार में कितने आसन होते हैं…..? योगासन में सर्वोत्तम है सूर्य नमस्कार
1-प्रणामासन 2-हस्त उत्तानासन 3-उत्तानासन 4-अश्व संचालनासन 5-चतुरंग दंडासन 6-अष्टांग नमस्कार 7-भुजंगासन 8-अधोमुक्त श्वानासन/पर्वतासन 9-अश्व संचालनासन 10-उत्तानासन 11-हस्त उत्तानासन 12-प्रणामासन।
- प्रार्थना मुद्रा (प्राणासन)– एक योगा मैट लें और पहले इस पर सामने सीधे खड़े हो जाएं। फिर अपने पैरों को एक साथ लाएं और अपनी बाहों को अपनी तरफ आराम से रखें। अपनी आंखें बंद करें और अपने हाथों की हथेलियों को अपनी छाती के बीच में एक साथ लाएं। सांसों पर ध्यान दें और अपने पूरे शरीर को आराम दें। रोज़ सुबह उठकर सूर्य नमस्कार करने से शरीर के प्रत्येक अंग को लाभ मिलता है। यह न केवल शरीर को ऊर्जावान बनाता है,बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को भी बेहतर करता है। यह न केवल स्लीपिंग डिसॉर्डर्स को कम करने में मदद करेगा, बल्कि दिमाग को भी शांत और केंद्रित बनाएगा। प्राणासन करने से तनाव और चिंता को कम करने में सहायता मिलती है। यह सबसे पहले तंत्रिका तंत्र को शांत करता है और शारीरिक संतुलन बनाने में मदद करता है। साथ ही,यह मानसिक शांति प्रदान करता और एकाग्रता (कंसंट्रेशन) को बढ़ाने में सहायक होता है।

- हस्त उत्तानासन- हस्त उत्तानासन शुरू करने के लिए गहरी सांस लें और छोड़ें। इसके बाद गहरी सांस लें और अपने हाथों को अपने सिर के ऊपर और आगे की ओर फैलाएं। ऊपर देखें और अपने शरीर को थोड़ा पीछे की ओर बढ़ाने के लिए अपने पैरों को आगे की ओर बढ़ाएं। जब आप पीछे की ओर झुकते हैं, तो सांस लेने पर ध्यान केंद्रित करें और जब आप आगे झुकें, तो सांस लेने पर ध्यान दें। इस आसन में पूरे शरीर को एड़ियों से लेकर हाथों की उंगलियों तक सभी अंगों को ऊपर की तरफ खींचने का प्रयास करें। ये आसन शरीर की टोनिंग करने में मददगार है। ये पेट की मांसपेशियों को स्ट्रेच और टोन करता है। ये आसान पेल्विक हिस्से को मजबूती देता है। एड़ी से लेकर उंगलियों के सिरे तक इस योग से पूरे शरीर की एक्सरसाइज होती है।
- हस्तपादासन- हस्तपादासन करने के लिए अपने घुटनों को धीरे-धीरे आगे और नीचे मोड़ें और इस दौरान अपनी रीढ़ को हल्का स्ट्रेच करें। अपने हाथों को फर्श पर रखें। इस तरह कि सिर्फ उंगलियाँ सतह को स्पर्श करें।घुटनों को उतना ही मोड़ें, जिससे आपकी छाती आपकी जांघों पर टिकी रहे और सिर आपके घुटनों को स्पर्श करे। इस स्थिति में कुछ सेकंड तक स्थिर रहें। यदि हथेलियों को ज़मीन पर टिकाना कठिन लगे, तो आप अपने घुटनों को हल्का मोड़ सकते हैं। अब, धीरे-धीरे घुटनों को सीधा करने का प्रयास करें। जब तक सूर्य नमस्कार का यह चरण पूरा न हो जाए, तब तक हाथों को उसी स्थान पर स्थिर बनाए रखें। यह हैमस्ट्रिंग को स्ट्रेच करते हुए पैरों, कंधों और बाहों की मांसपेशियों को भी खोलता है। यह शरीर में लचीलापन लाता है और पीठ दर्द व कंधे का दर्दआदि से बचाव में मदद करता है।
- अश्व संचालनासन- अश्व संचालनासन करने के लिए अपने दाहिने पैर को पीछे ले जाएं, केवल घुटने को नीचे रखें। अपने पैर को फर्श पर सपाट रखते हुए अपने बाएं घुटने को मोड़ें। अपनी उंगलियों या हथेलियों को फर्श पर रखें,अपने कंधों को पीछे की ओर घुमाएं और धीरे से अपना सिर उठाएं। सुनिश्चित करें कि बायां पैर दोनों हथेलियों के बीच में रहे। अश्व संचालनासन करने से पैर और रीढ़ की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। ये पेट की समस्याओं को ठीक करने में मददगार है। इसे करने से अपच और कब्ज की समस्या दूर होती है।

- पर्वतासन- पर्वतासन करने के लिए धीरे-धीरे सांस छोड़ें,अपनी हथेलियों को फर्श पर लाएं और अपने कूल्हों को ऊपर उठाएं। बाएं पैर को दाईं ओर पीछे ले जाएं। अपनी रीढ़ को चौड़ा करते हुए अपने कंधों को अपनी टखनों की ओर लाएं। एक-दो गहरी सांस अंदर और बाहर लें। यह आसन मन को शांत करने में मदद करता है। ये फैट बर्म करता है और शरीर की चर्बी पचाता है। इस आसन को करने से मांसपेशियों का दर्द दूर होता है। ये शरीर का ब्लड सर्कुलेशन सही करता है और फेफड़ों को मजबूती देता है।

- अष्टांग नमस्कार- श्वास छोड़ते हुए धीरे-धीरे दोनों घुटनों को ज़मीन पर टिकाएँ। फिर, अपने कूल्हों को पीछे और ऊपर की ओर उठाएँ और पूरे शरीर को सामने की ओर खिसकाएँ। इस दौरान अपनी छाती और ठुड्डी को ज़मीन से स्पर्श कराएँ, जबकि कूल्हों को थोड़ा ऊपर उठाए रखें। अब,दो हाथ, दो पैर, दो घुटने, छाती और ठुड्डी—यानी शरीर के आठ अंग ज़मीन को स्पर्श करेंगे, जिससे यह स्थिति अष्टांग मुद्रा कहलाती है। इस मुद्रा को स्थिर रखने के लिए, कोहनियों को हल्का मोड़कर नीचे दबाएँ और पूरे शरीर को संतुलित व स्थिर बनाए रखें। अष्टांग नमस्कार इम्यूनिटी बूस्टर है और शरीर को मौसमी बीमारियों से बचाने में मदद करता है। यह पीठ और रीढ़ की हड्डी के लचीलेपन को बढ़ाता है। पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करता है। इस एक ही पोजीशन को करने से आपके शरीर के सभी आठ अंगों को फायदा मिलता है।
- भुजंगासन – भुजंगासन करने के लिए श्वास लेते हुए छाती को आगे की ओर धकेलने का सौम्य प्रयास करें। श्वास छोड़ते हुए नाभि को सहजता से नीचे की ओर दबाएँ। पैरों की उंगलियों को भी नीचे की ओर दबाएँ। यह सुनिश्चित करें कि जितना कर सकते हैं उतना ही करें।अपने साथ जबरदस्ती ना करें। यह शरीर का लचीलापन बढ़ाता है और मूड को बेहतर बनाता है। यह एक साथ कंधों, छाती, पीठ और पैरों की मांसपेशियों को फैलाता है। तनाव और थकान को दूर करता है और हृदय स्वस्थ के लिए भी फायदेमंद है। साथ ही वेट लॉस में भी इसे करना फायदेमंद है।
- अधोमुख श्वानासन- अधोमुख श्वानासन को डाउनवर्ड फेसिंग डॉग के नाम से जाना जाता है, जबकि कोबरा पोज (भुजंगासन) एक अलग योगासन है। अधोमुख श्वानासन में हाथों और पैरों को फर्श पर टिकाते हुए, कमर और कूल्हों को ऊपर उठाएँ, ताकि शरीर ‘उल्टे V’ आकार में आ जाए। अपने हाथों को उसी स्थिति में रखते हुए, पैरों को थोड़ा आगे की ओर ले जाएँ और मुद्रा को गहराई से महसूस करें। यदि संभव हो, तो एड़ियों को ज़मीन से टिकाने की कोशिश करें और रीढ़ के निचले भाग को ऊपर उठाने पर ध्यान दें। इस दौरान, शरीर में खिंचाव को गहराई से अनुभव करें और सांसों के प्रवाह को सहज बनाए रखें। इसे करने से रीढ़ की हड्डी को मजबूती मिलता है। यह रीढ़ की हड्डी के क्षेत्र में ब्लड सर्कुलेशन को सही करता है। यह महिलाओं को मेनोपॉज के लक्षणों से निपटने में मदद करता है।
- दंडासन- अपने दाहिने पैर को पीछे की ओर लाएं और अपने ऊपरी शरीर को अपनी दोनों हथेलियों पर संतुलित करें। आपका शरीर छड़ी की तरह सीधा होना चाहिए। आपके पैर की उंगलियां चटाई पर होनी चाहिए। सुनिश्चित करें कि आपकी बाहें फर्श की तरफ सीधी हो। दंडासन कंधे और छाती को मजबूत बनाने में मददगार है। ये शरीर की मुद्रा में सुधार लाता है। ये पीठ की मांसपेशियों को आराम पहुंचाता है। शरीर की मुद्रा में सुधार लाता है। एकाग्रता बढ़ाने में मददगार है।
- हस्तपादासन- हस्तपादासन करने के लिएपहले सांस छोड़ें और पैरों को एक साथ खींचे, दाहिने पैर को सामने रखें। बस अपने घुटनों को इतना मोड़ें कि आपकी छाती आपकी जांघों पर टिकी रहे और आपका सिर आपके घुटने पर टिका रहे। इसे करने से अनिद्रा दूर होती है। ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या में इसे करना अच्छा है।सिरदर्द में ये फायदेमंद है। ये चिंता और एंग्जायटी की स्थिति में फायदेमंद है।
- हस्त उत्तानासन- हस्त उत्तानासन करने के लिए एक गहरी सांस लें और अपनी बाहों को अपने सिर के ऊपर और ऊपर की ओर फैलाएं। ऊपर देखें और अपने शरीर को थोड़ा पीछे की ओर बढ़ाने के लिए अपने पेल्विक हिस्से को आगे की ओर दबाएं। गहरी सांस छोड़ें। इसे करने से शरीर की आलस दूर होती है। यह अस्थमा, पीठ के निचले हिस्से में दर्द और थकान जैसी बीमारियों में फायदेमंद है।यह पाचन में भी मदद करता है। छाती का विस्तार करता है, जिसके कि शरीर में ऑक्सीजन का सर्कुलेशन सही रहता है।
- ताड़ासन- ताड़ासन करने के लिएसांस छोड़ें और प्रार्थना की मुद्रा में आ जाएं। अपनी बाहों को धीरे-धीरे और लगातार नीचे करें और इसी तरह कुछ ठहर जाएं। जांघों, घुटनों और टखनों को मजबूत करता है। अपनी भावनाओं पर नियंत्रण विकसित करने में मदद करता है। कूल्हों, पेट और दूसरी मांसपेशियों को टोन करता है।

जब सभी 12 पद पूरे हो जाते हैं, तो सूर्य नमस्कार का एक चक्र पूरा हो जाता है। औसतन प्रतिदिन 12-15 चक्र करने से आपको वे सभी लाभ मिलेंगे जिनकी आपके शरीर को जरूर है, जिससे आप फिट और स्वस्थ रहेंगे।सूर्य नमस्कार को आधुनिक समय की योगाभ्यास का एक हिस्सा माना जाता है, हालांकि इसे न तो आसन माना जाता था और न ही पारंपरिक योग का हिस्सा । नियमित गतिविधियां शुरू करने से पहले सूर्य नमस्कार का अभ्यास करने से अभ्यासी सक्रिय हो जाता है और एक पूर्ण ऊर्जावान दिन देता है। सूर्य नमस्कार अभ्यास में कुल 12 आसन होते हैं और एक चक्र में 24 चरण होते हैं । यह सूर्य देव के बारह नामों के जाप के साथ “सूर्य” को नमस्कार के रूप में है। हम प्रकाशित शोध के आधार पर शरीर के शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और शारीरिक पहलुओं पर इसके प्रभावों को उजागर करते हुए सूर्य नमस्कार के महत्व पर जोर देते हैं । इसके अलावा, पूरे शरीर के लिए एक पूर्ण साधना के रूप में सूर्य नमस्कार की उपयोगिता पर बल दिया जाता है।
योग की विभिन्न प्रक्रियाओं में सूर्य नमस्कार को सबसे श्रेष्ठ और संपूर्ण अभ्यास माना गया है। यह न केवल शरीर को संतुलित और ऊर्जावान बनाता है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक विकास में भी सहायक होता है। इसके नियमित अभ्यास से शरीर के सभी अंग सक्रिय होते हैं, मांसपेशियाँ मजबूत बनती हैं, और संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार आता है। यह रक्त संचार को बेहतर बनाकर, पाचन क्रिया को मजबूत करता है और शरीर की अतिरिक्त चर्बी कम करने में मदद करता है। सूर्य नमस्कार एक ऐसा योग अभ्यास है, जो शारीरिक व्यायाम, प्राणायाम और ध्यान का अद्भुत समन्वय प्रदान करता है। इसलिए, इसे योगासन में सर्वोत्तम माना गया है।
सूर्य नमस्कार करने के 12 फायदे योगासन में सर्वोत्तम है सूर्य नमस्कार

1. पाचन तंत्र को करें मजबूत:- यदि आप प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करें, तो आपका पाचन तंत्र मजबूत हो सकता है। इससे आपकी पेट संबंधित समस्या दूर हो सकती है।
2. शरीर में लाए लचीलापन:- सूर्य नमस्कार एक अच्छा व्यायाम माना जाता है। यदि आप प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करें, तो इससे आपके शरीर में लचीलापन पैदा हो सकता है और आपको झुकने उठने में आसानी होगी।
3. वजन को करें कंट्रोल:- यदि आप मोटापे की समस्या से परेशान है, तो सूर्य नमस्कार आपके लिए बेहद फायदेमंद होगा। इसे करने से शरीर पर जोर पड़ता है और आपकी अनावश्यक चर्बी धीरे-धीरे कम हो सकती है।;
4. शारीरिक मुद्राओं में लाएं सुधार:- यदि आप बैठने वाला काम ज्यादा कर रहे हो, तो आपके लिए सूर्य नमस्कार बेहद फायदेमंद हो सकता है। सूर्य नमस्कार करने से शरीर का दर्द खत्म होता है।
5. हड्डियों को करे मजबूत:- सूर्य से निकलने वाली विटामिन डी हमारे हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करता है। यदि आप प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करें, तो हड्डी से संबंधित बहुत सारी बीमारियां दूर हो सकती है।
6. तनाव को कम करने में लाभदायक:- सूर्य नमस्कार करते समय हम लंबी सांस लेते है, जिसकी वजह से हमारे शरीर में होने वाली बेचैनी और तनाव बहुत हद तक दूर होती है। यदि आप प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करें, तो अपका तनाव बहुत हद तक दूर कर सकता है।
7. कब्ज दूर करे:- झुकने वाले कामों को करने से कब्ज की समस्या कभी भी नहीं होती है। यदि आप सूर्य नमस्कार प्रतिदिन करें, तो आपकी कब्ज की शिकायत बहुत हद तक दूर हो सकती है।
8. अनिद्रा की समस्या करे दूर:- सूर्य नमस्कार करने से शरीर को राहत मिलती है। इसकी वजह से हमें नींद अच्छी आती है। यदि आप प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करें, तो आपकी अनिद्रा की समस्या बहुत हद तक दूर हो सकती है।
9. ब्लड सर्कुलेशन को ठीक रखने में लाभदायक;- सूर्य नमस्कार करने से शरीर में खून का संचार तेजी से होता है। इससे पूरे शरीर को एनर्जी मिलती है और हम किसी काम को करने में समर्थ रहते है। यदि आप प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करें, तो आपका ब्लड सर्कुलेशन हमेशा ठीक रह सकता है।
10. पीरियड की समस्या को करे दूर:- महिलाओं में पीरियड सही समय पर ना होने की समस्या अक्सर सुनने को मिलती है। यदि आप प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करें, तो इस आपके शरीर में हार्मोस बैलेंस रह सकता है और पीरियड हमेशा सही समय पर हो सकता हैं।
11. त्वचा को रखे खूबसूरत:- सूर्य नमस्कार करने से कब्ज की समस्या आसानी से दूर होती है। आपको बता दें, कि कब्ज की वजह से ही ज्यादातर त्वचा की समस्या उत्पन्न होती है। यदि आप प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करें, तो आपके चेहरे की झुर्रियां बहुत हद दूर हो सकती है।
12. मन की एकाग्रता को बढ़ाने में लाभदायक:- प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करने से वात पित्त और कफ जैसी समस्या शांत होती हैं। डॉक्टरों के अनुसार ऐसी समस्या उत्पन्न होने से मन की एकाग्रता खत्म हो जाती है। यदि आप प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करें, तो आपको इस तरह की बीमारियों से निजात मिल सकता है और आपकी मन की एकाग्रता सही बनी रह सकती हैं।
सूर्य नमस्कार योगासनों में सबसे श्रेष्ठ और प्रभावशाली प्रक्रिया है। यह एकमात्र ऐसा अभ्यास है, जो साधक को सम्पूर्ण योग व्यायाम का लाभ प्रदान करने में सक्षम है। इसके नियमित अभ्यास से शरीर निरोग, स्वस्थ और तेजस्वी बनता है।सूर्य नमस्कार शरीर के सभी अंगों की विकृतियों को दूर कर उन्हें स्वस्थ बनाए रखता है। यह प्रक्रिया अत्यधिक लाभकारी है, क्योंकि इसके अभ्यास से हाथ-पैरों का दर्द दूर होता है और उनमें सबलता आती है। इसके अलावा, गर्दन, फेफड़ों और पसलियों की मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं। साथ ही, यह शरीर की अतिरिक्त चर्बी को कम कर उसे हल्का और फुर्तीला बनाता है। योगासन में सर्वोत्तम है सूर्य नमस्कार