अखंड भारत की कहानी

602

अनिरुद्ध जोशी

[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”इस समाचार को सुने”] अखंड बोलना इसलिए पड़ता है क्योंकि सबकुछ खंड-खंड हो चला है। जम्बूद्वीप से छोटा है भारतवर्ष। भारतवर्ष में ही आर्यावर्त स्थित था। आज न जम्बूद्वीप है न भारतवर्ष और न आर्यावर्त। आज सिर्फ हिन्दुस्थान है और सच कहें तो यह भी नहीं। आओ जानते हैं भारतवर्ष के बनने की कहानी।अखण्ड भारत भारत के प्राचीन समय के अविभाजित स्वरूप को कहा जाता है। प्राचीन काल में भारत बहुत विस्तृत था जिसमें अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, बर्मा,शामिल थे। कुछ देश जहाँ बहुत पहले के समय में अलग हो चुके थे वहीं पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि अंग्रेजों से स्वतन्त्रता के काल में अलग हुये।

  • इंद्र के बाद व्यवस्थाएं बदली और स्वायंभुव मनु संपूर्ण धरती के शासन बने। उनके काल में धरती सात द्वीपों में बंटी हुई थी। जम्बू, प्लक्ष, शाल्मली, कुश, क्रौंच, शाक एवं पुष्कर। इसमें से जम्बू द्वीप सभी के बीचोबीच स्थित है। जिसमें से सिर्फ जम्बूद्वीप पर ही अधिकांश आबादी रहती थी। बाकी द्वीपों पर नाम मात्र के ही जीव रहते थे। स्वायंभुव मनु के बाद उनके पुत्र प्रियव्रत धरती के राजा बने।
  • राजा प्रियव्रत ने विश्वकर्मा की पुत्री बहिर्ष्मती से विवाह किया था जिनसे आग्नीध्र, यज्ञबाहु, मेधातिथि आदि 10 पुत्र उत्पन्न हुए। प्रियव्रत की दूसरी पत्नी से उत्तम, तामस और रैवत ये 3 पुत्र उत्पन्न हुए, जो अपने नाम वाले मन्वंतरों के अधिपति हुए। महाराज प्रियव्रत के 10 पुत्रों में से कवि, महावीर तथा सवन ये 3 नैष्ठिक ब्रह्मचारी थे और उन्होंने संन्यास धर्म ग्रहण किया था।
  • राजा प्रियव्रत ने धरती का विभाजन कर अपने 7 पुत्रों को अलग-अलग द्वीप का शासक बना दिया। आग्नीध्र को जम्बूद्वीप मिला। वृद्धावस्था में आग्नीध्र ने अपने 9 पुत्रों को जम्बूद्वीप के विभिन्न 9 स्थानों का शासन का दायित्व सौंपा। जम्बूद्वीप के 9 देश थे- इलावृत, भद्राश्व, किंपुरुष, नाभि (भारत), हरि, केतुमाल, रम्यक, कुरु और हिरण्यमय।
  • इन 9 पुत्रों में सबसे बड़े थे नाभि जिन्हें हिमवर्ष का भू-भाग मिला। इन्होंने हिमवर्ष को स्वयं के नाम अजनाभ से जोड़कर अजनाभवर्ष प्रचारित किया। यह हिमवर्ष या अजनाभवर्ष ही प्राचीन भारत देश था। राजा नाभि के पुत्र थे ऋषभ। ऋषभदेव के 100 पुत्रों में भरत ज्येष्ठ एवं सबसे गुणवान थे। उनके नाम पर इस देश का नाम भरत पड़ा।
  • प्राचीनकाल में यह अखंड भारतवर्ष हिन्दूकुश पर्वत माला से अरुणाचल और अरुणाचल से बर्मा, इंडोनेशिया तक फैला था। दूसरी ओर यह कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी-श्रीलंका तक और हिन्दूकुश से नीचे सिंधु के अरब सागर में मिलने तक फैला था। यहां की प्रमुख नदियां सिंधु, सरस्वती, गंगा, यमुना, कुम्भा, ब्रह्मपुत्र, कृष्णा, कावेरी, नर्मदा, महानदी, शिप्रा आदि हैं। 16 जनपदों में बंटे इस क्षेत्र को भारतवर्ष कहते हैं।
  • समुद्र के उत्तर तथा हिमालय के दक्षिण में भारतवर्ष स्थित है। इसका विस्तार 9 हजार योजन है। इसमें 7 कुल पर्वत हैं : महेन्द्र, मलय, सह्य, शुक्तिमान, ऋक्ष, विंध्य और पारियात्र। भारतवर्ष के 9 खंड : इन्द्रद्वीप, कसेरु, ताम्रपर्ण, गभस्तिमान, नागद्वीप, सौम्य, गन्धर्व और वारुण तथा यह समुद्र से घिरा हुआ द्वीप उनमें नौवां है।
  • भारत में कई छोटे और बड़े युद्ध होते रहे। जैसे, देवासुर संग्राम, इंद्र और वृत्तासुर युद्ध, दाशराज्ञ का युद्ध, हैहय-परशुराम युद्ध, राम-रावण का युद्ध, चंद्रगुप्त मौर्य-धननंद का युद्ध, सम्राट अशोक-कलिंग का युद्ध। लेकिन उक्त सभी युद्ध के दौरान भारत को अंखंड किए जाने का कार्य ही किया जाता रहा। हालांकि सिकंदर और पोरस युद्ध के बाद भारत में स्थितियां बदलती गई।अखंड भारत खंड-खंड होता चला गया।

वेद, रामायण, महाभारत, गीता और कृष्ण के समय के संबंध में मेक्समूलर, बेबेर, लुडविग, हो-ज्मान, विंटरनिट्स फॉन श्राडर आदि सभी विदेशी विद्वानों ने भ्रांतियां फैलाईं और उनके द्वारा किए गए भ्रामक प्रचार का हमारे यहां के इतिहासकारों ने भी अनुसरण किया और भगवान बुद्ध के पूर्व के संपूर्ण काल को इतिहास से काटकर रख दिया। भगवान बुद्ध के पूर्व और बौद्ध काल में भी अखंड भारत में 16 जनपदों के आर्य राजाओं का ही राज था। प्राचीन भारत का अधिकतर इतिहास महाभारत में दर्ज है, जिसमें 16 महान राजाओं का जिक्र है।

नि‍म्नलिखित समय सारणी अनुमानित है:-

1.ब्रह्म काल : (सृष्टि उत्पत्ति से प्रजापति ब्रह्मा की उत्पत्ति तक)2.ब्रह्मा काल : (प्रजापति ब्रह्मा, विष्णु और शिव का काल)2.स्वायम्भुव मनु काल : (प्रथम मानव का काल 9057 ईसा पूर्व से प्रारंभ)4.वैवस्वत मनु काल : (6673 ईसा पूर्व से) :5.राम का काल : (5114 ईस्वी पूर्व से 3000 ईस्वी पूर्व के बीच) : 6.कृष्ण का काल : (3112 ईस्वी पूर्व से 2000 ईस्वी पूर्व के बीच) :7.सिंधु घाटी सभ्यता का काल : (3300-1700 ईस्वी पूर्व के बीच) :8.हड़प्पा काल : (1700-1300 ईस्वी पूर्व के बीच) :9.आर्य सभ्यता का काल : (1500-500 ईस्वी पूर्व के बीच) :10.बौद्ध काल : (563-320 ईस्वी पूर्व के बीच) :11,मौर्य काल : (321 से 184 ईस्वी पूर्व के बीच) : 12.गुप्तकाल : (240 ईस्वी से 800 ईस्वी तक के बीच) : 13.मध्यकाल : (600 ईस्वी से 1800 ईस्वी तक) : 14.अंग्रेजों का औपनिवेशिक काल : (1760-1947 ईस्वी पश्चात)15. आजाद और विभाजित भारत का काल : (1947 से प्रारंभ) एक समय था जबकि वेद संपूर्ण मानव जाति के ग्रंथ थे, लेकिन आज वे सिर्फ हिन्दुओं के हैं। सवाल किसी धर्मग्रंथ का नहीं, ऐसे बहुत से ग्रंथ और प्रमाण हैं, जो ईसा पूर्व के भारतीय और मानव इतिहास की गौरवगाथा का वर्णन करते हैं। [/responsivevoice] ………साभार