
निषाद पार्टी संजय निषाद एंड फेमिली की प्रा.लि.कम्पनी संजय निषाद और ओमप्रकाश राजभर जवाब दें: कब मिलेगा 17 अतिपिछड़ी जातियों को आरक्षण।क्या “निषाद पार्टी” सिर्फ एक खानदानी पार्टी बन गई है..? क्या पिछड़ों की राजनीति सिर्फ कुर्सी पाने का ज़रिया है..? क्या ओमप्रकाश राजभर की “सामाजिक न्याय” की बातें सिर्फ टीवी की डिबेट तक सीमित हैं..?
लखनऊ। राष्ट्रीय निषाद संघ(एनएएफ) के राष्ट्रीय सचिव/प्रवक्ता चौ. लौटनराम निषाद ने कहा कि निषाद पार्टी, सुभासपा और अपना दल(एस) निषाद, राजभर व कुर्मी समाज के राजनीतिक दल नहीं, बल्कि संजय निषाद एन्ड फैमिली, ओमप्रकाश राजभर एन्ड सन्स और अपना दल(एस) अनुप्रिया पटेल एन्ड हसबैंड की प्रा. लि. सौदेबाज कम्पनी हैं।उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति के मुद्दे पर संजय निषाद और ओमप्रकाश राजभर झूठा सपना दिखाकर बेवकूफ बना रहे हैं।उन्होंने कहा कि ओमप्रकाश राजभर और संजय निषाद की राजनीतिक सौदेबाजी के कारण निषाद, मल्लाह, केवट, बिन्द, माँझी, गोड़िया, रायकवार, बाथम, तुरहा,कश्यप, कहार, भर, राजभर,कुम्हार, प्रजापति के आरक्षण मुद्दे को कुंद करा दिया।राजनीतिक गठबंधन के तहत हिस्से में मिली सीटों को माफियाओं, बाहुबलियों को करोड़ों-2 में बेचकर अपना घर बनाने और समाज को बिकाऊ बनाने की बदनामी का शिकार बना दिये हैं।उन्होंने कहा कि न तो निषाद पार्टी निषाद मछुआरा समाज की पार्टी है और न सुभासपा भर, राजभर समाज की।उन्होंने कहा कि गठबंधन में निषाद पार्टी व सुभासपा को जो सीटें मिलीं थी तो निषाद,बिन्द, केवट, मल्लाह, कश्यप, राजभर समाज को प्रतिनिधित्व के लिए संजय निषाद और ओमप्रकाश राजभर ने कितनी सीटें दिए।
उन्होंने कहा कि चन्दा देगा निषाद, राजभर समाज, भीड़ जुटाएगा निषाद, राजभर समाज और सौदेबाजी करेगा सिर्फ संजय निषाद और ओमप्रकाश राजभर का परिवार।निषाद ने बताया कि निषाद पार्टी के राष्ट्रीय संजय निषाद, राष्ट्रीय प्रभारी संजय का पुत्र प्रवीण कुमार निषाद, महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय की पत्नी मालती निषाद, प्रदेश प्रभारी संजय का बेटा श्रवण कुमार निषाद, प्रदेश अध्यक्ष संजय के भाई का साला रविन्दरमणि निषाद, राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद का राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद का बेटा डॉ. अमित कुमार निषाद।यह कैसी पार्टी जिसका राष्ट्रीय अध्यक्ष भाजपा का एमएलसी, राष्ट्रीय प्रभारी भाजपा का पूर्व सांसद और भाजपा सदस्य और प्रदेश प्रभारी भाजपा विधायक, खुलेआम निषाद समाज की आँख में धूल झोंककर बेवकूफ बनाया जा रहा है। सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर, प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव बेटा अरबिन्द राजभर व राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता दूसरा बेटा अरुण राजभर।जब संजय निषाद व ओमप्रकाश राजभर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, अमित शाह, जेपी नड्डा आदि से मिलने जाते हैं तो कोई दूसरा निषाद, राजभर नहीं जाता, सिर्फ ये अपने बेटों को साथ लेकर जाते हैं।निषाद पार्टी व सुभासपा संजय व ओमप्रकाश की पारिवारिक लूट कम्पनी है।उन्होंने संजय निषाद और ओमप्रकाश राजभर से पूछा है कि अब कब मिलेगा 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का आरक्षण?उन्होंने कहा कि संजय और ओमप्रकाश खुद नहीं चाहते कि निषाद, मल्लाह, केवट, बिन्द, राजभर को मिले अनुसूचित जाति का आरक्षण, यही तो इनकी राजनीति का हथियार है।
निषाद ने बताया कि भाजपा से गठबंधन में जो सीटें मिलीं उसे 3 करोड़ से 8 करोड़ में माफियाओं, बाहुबलियों को बेचा गया। नौतनवा से ऋषि त्रिपाठी, खड्डा से विवेकानंद पांडेय, मेंहदावल से अनिल त्रिपाठी,सुल्तानपुर सदर से राजाबाबू उपाध्याय, ज्ञानपुर से विपुल दूबे, बदलापुर से रमेश मिश्रा, कटेहरी से अवधेश द्विवेदी, शाहगंज से रमेश सिंह,अतरौलिया से प्रताप सिंह, हंडिया से प्रशांत सिंह राहुल, बाँसडीह से केतकी सिंह, कालपी से छोटे सिंह, तमकुहीराज से डॉ. असीम राय निषाद पार्टी के उम्मीदवार थे, तो यह कैसी निषाद समाज की पार्टी।संजय निषाद का एक बेटा श्रवण कुमार निषाद चौरीचौरा से भाजपा का विधायक है और दूसरा प्रवीण निषाद सन्तकबीरनगर से भाजपा का सांसद रहा और लोकसभा चुनाव-2024 में भाजपा उम्मीदवार था।उन्होंने कहा कि संवैधानिक निषाद आरक्षण यात्रा निकालकर 2027 में निषाद सरकार बनाने का झाँसा देकर समाज के भोले भाले लोगों को बेवकूफ बनाया जा रहा है।
निषाद ने कहा कि 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के लिए मुलायम सिंह यादव जी ने 2004 में 2 बार और 2013 में अखिलेश यादव ने केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भेजे थे। 21 व 31 दिसम्बर,2016 में सपा सरकार ने 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में 1950 से ही शामिल मझवार, तुरैहा, गोंड़, शिल्पकार, पासी तड़माली के साथ परिभाषित करते हुए शासनादेश जारी किया, जिस पर बसपा समर्थित संगठनों ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कराकर स्थगनादेश करा दिया।राष्ट्रीय निषाद संघ के द्वारा हम लोगों ने इम्प्लीमेंट दाखिल कराकर स्टे वैकेट कराया और न्यायालय ने इन जातियों को अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी करने का निर्णय दिया।लेकिन योगी सरकार ने न्यायालय के निर्णय के आधार पर मण्डलायुक्तों/जिलाधिकारियों को आदेश जारी न कर नए सिरे से पूर्व के शासनादेश को जारी कर अपने ही कार्यकर्ता से स्टे करा दिया और अंत में महाधिवक्ता के माध्यम से अधिसूचना को वापस करा लिया।मुलायम सिंह यादव की सरकार 1994 में बालू मोरम खनन का 3 वर्षीय व मत्स्य पालन का 10 वर्षीय पट्टा मत्स्यजीवी सहकारी समितियों व स्थानीय निषाद मछुआरा जातियों को ही देने का शासनादेश किया था जिसे योगी आदित्यनाथ की सरकार ने सार्वजनिक कर छीन लिया।निषाद कश्यप समाज को मान सम्मान व पहचान देने के लिए अखिलेश यादव की सरकार ने 2013 में 5 अप्रैल को निषाराज व कश्यप ऋषि जयंती का सार्वजनिक अवकाश घोषित किया था जिसे मुख्यमंत्री बनते ही योगी सरकार ने खत्म कर दिया।उन्होंने कहा कि अब संजय निषाद द्वारा निषाद कश्यप मछुआरा समाज के परम्परागत पुश्तैनी पेशे को छीनकर माफियाओं को देने के लिए गंगा, यमुना आदि सभी नदियों की नीलामी/ठेका/पट्टा का शासनादेश करा दिया है जो पूरी तरह निषाद मछुआरा विरोधी निर्णय है।