लखनऊ – उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा जी द्वारा बताया गया है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के परिप्रेक्ष्य में प्रदेश के विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय में क्रेडिट हस्तांतरण की सुविधा अनुमन्य करने के उददेश्य से उच्च शिक्षा विभाग द्वारा माह अक्टूबर, 2020 में पाठ्यक्रमों की पुनर्संरचना का कार्य प्रारम्भ किया गया तथा अपर मुख्य सचिव, उच्च शिक्षा की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय पाठ्यक्रम समिति का गठन किया गया है। साथ ही, कला, वाणिज्य, विज्ञान, भाषा, शिक्षा एवं प्रबंधन (दर) संकायों हेतु अलग-अलग सुपरवाइजरी समितियाँ गठित की गई जिनके द्वारा विषयवार विशेषज्ञ समूह गठित करके पाठ्यक्रमों की पुनर्संरचना हेतु कार्यवाही की गई। इसके क्रम में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के उद्देश्यों के अनुरूप लगभग 150 विशय विशेषज्ञों द्वारा राज्य स्तरीय समिति एवं राज्य संकायवार सुपरवाजइरी समितियों के साथ 200 से अधिक वर्चुअल बैठकों के माध्यम से चर्चा कर पाठ्यक्रमों को तैयार कर लिया गया है तथा सभी हितधारकों की राय जानने के लिए उच्च शिक्षा परिषद की वेबसाइट पर उसे माह जनवरी, 2021 में उपलब्ध कराया गया है। उचित फीडबैक एवं सुझाव को सम्मिलित करते हुये अन्तिम पाठ्यक्रम इस माह के अन्त तक विश्वविद्यालयों को भेजा जाना प्रस्तावित है, ताकि वे विद्या परिषद, कार्यपरिषद आदि में इस पर विचार करके तथा इसमें आवश्यकतानुरूप अधिकतम 30 रू तक परिवर्तन कर आगामी सत्र (1 जुलाई, 2021) से प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में नये पाठ्यक्रमों का संचालन सुनिश्चित कर सकें।
उप मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रथम फेज में स्नातक स्तर के कला एवं मानविकी के 16, भाषा के 04, विज्ञान के 09, वाणिज्य, बी0एड एवं प्रबन्धन के सभी विषयों के साथ-साथ 06 अनिवार्य विषयों के पाठ्यक्रम भी वेबसाइट पर उपलब्ध कर दिये गये हैं। अभी तक 200 से अधिक फीडबैक प्राप्त हुए हैं जिनपर विषय विशेषज्ञ समूहों द्वारा विचार किया जा रहा है। स्नातक कार्यक्रमों की समेकित संरचना हेतु कला, विज्ञान, वाणिज्य, प्रबंधन, कानून और कृषि के संकायों की समस्त उपाधियाँ (डिग्रियाँ) इस संरचना में सम्मिलित हैं, जैसे- बी.ए., बी.एससी., बी.एससी. (कृषि), बी.कॉम., बी.बी.ए., बी.ए.एल.एल.बी., बी.ए.बी.एड. आदि। इस संरचना में इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी, चिकित्सा, दंत चिकित्सा और अन्य राज्य/राष्ट्रीय नियामक निकायों द्वारा विनियमित अन्य तकनीकी विषयों को सम्मिलित नहीं किया गया है। छात्रों का लक्षित आयु समूह 18-23 वर्ष है, लेकिन यह जीवन में किसी भी आयु में किसी भी आग्रही व्यक्ति को समान अवसर प्रदान करती है। 12 वीं कक्षा के बाद उच्च शिक्षा कार्यक्रम के पहले वर्ष में प्रवेश लेने के लिए इच्छुक छात्र को प्रथम वर्ष के लिए दो मुख्य (डंरवत) विषयों के साथ एक संकाय का चुनाव करना होगा। इस चुनाव के लिए संकाय विशेष के सन्दर्भ में पूर्व पात्रता ;चतम.तमुनपेपजमेद्ध की आवश्यकता होगी। दो प्रमुख विषयों के अलावा उन्हें प्रत्येक सेमेस्टर में किसी भी अन्य संकाय के एक और मुख्य (डंरवत) विषय का चुनाव करना होगा। इसके साथ ही एक गौण विषय किसी अन्य संकाय से, एक व्यावसायिक पाठ्यक्रम (अपनी अभिरूचि के अनुसार) तथा एक अनिवार्य सह-शैक्षणिक पाठ्यक्रम का चयन करना होगा।
नये पाठ्यक्रम की विशेषताएंः- मोनिका एस0 गर्ग की अध्यक्षता में पाठ्यक्रम समिति एवं विषय विशेषज्ञों के साथ कई ऑनलाइन ओरियंटेशन प्रोग्राम किए गए, जिसमें सभी विषय विशेषज्ञों की जिज्ञासाओं एवं शंकाओं का समाधान किया गया। तत्क्रम में पाठ्यक्रम समितियों द्वारा विभिन्न विषयों के पाठ्यक्रम को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उद्देश्यों को समाहित करते हुए एक समान संरचना पर तैयार किये गये हैं। इनकी मुख्य विषेशताएॅ निम्नवत् हैंः-
लचीलापन लाना (व्यावहारिक सुगमतापूर्ण)
स्नातक एवं परास्नातक कार्यक्रमों की योजना बनाना
किसी भी कार्यक्रम में प्रवेश, निकास एवं पुनः प्रवेश लेने सम्बन्धी विकल्प
बहुविषयक दृष्टिकोण
विभिन्न कार्यक्रमों के पाठ्यक्रम की पुनः संरचना करना
क्रेडिट की हस्तांतरणीयता
अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स (ए बी सी)
नये पाठ्यक्रम में विद्यार्थी आसानी से विभिन्न कक्षाओं में प्रवेश और निकास ;त्म म्गपज.मदजतलद्ध कर सकेंगे, छात्र एक कॉलेज से दूसरे कॉलेज, एक विश्वविद्यालय से दूसरे विश्वविद्यालय में बिना किसी समस्या के आसानी से क्रेडिट ट्रांसफर के द्वारा स्थानांतरित होकर अपनी डिग्री ले सकेंगे।
विद्यार्थी बहु-विषयक, मेजर एवं माइनर विषयों के साथ साथ ऐच्छिक एवं अनिवार्य विषय का अध्ययन करेंगे ।
सभी विषयों की पहली यूनिट में पहला पाठ संबंधित विषय की भारतीय ज्ञान परंपरा से संबंधित रखा गया है।
विद्यार्थियों को मुख्य विषय के साथ-साथ, रोजगार परक पाठ्यक्रम तथा कतिपय अनिवार्य विषय यथा मानवीय मूल्य एवं सतत् विकास मअमसवचउमदजद्धए स्वास्थ्य, पोषण एवं स्वच्छता, डिजिटल जागरूकता, व्यक्तित्व विकास, कम्युनिकेशन स्किल्स का भी अध्ययन करना होगा ताकि उनका सर्वांगीण विकास हो सके तथा उन्हें रोजगार भी प्राप्त हो ।
नए पाठयक्रम में गैर-प्रायोगिक विषयों में भी व्यवहारिक ज्ञान एवं प्रैक्टिकल जोड़ा गया है, जैसे भाषाओं के पाठ्यक्रम में अनुवाद, रूपान्तरण, स्क्रिप्ट राइटिंग, फोनिक्स, अनुवाद, लैंग्वेज लैब आदि को समावेश किया गया है । स्नातक प्रथम वर्ष से ही शोध को बढ़ावा देने के लिए सभी विषयों के प्रथम वर्ष में रिसर्च ओरियंटेशन को जोड़ा गया है तथा स्नातक तृतीय वर्ष में रिसर्च प्रोजेक्ट को भी जोड़ा गया है। अपनी भाषा में शोध कार्यों को प्रोत्साहन देने के लिए शोध कार्य से संबंधित भाग में थ्योरी एवं प्रैक्टिकल को समान महत्व दिया गया है ।
च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम ;ब्ठब्ैद्ध के अन्तर्गत स्नातक कार्यक्रम के पहले तीन वर्षों में 06 सह-शैक्षणिक पाठ्यक्रम पूर्ण किये जाने हैं जो प्रत्येक 02 क्रेडिट के होंगे। यह पाठ्यक्रम सभी स्नातक के छात्रों के लिए उपलब्ध एवं अनिवार्य होंगे। एक सेमेस्टर में कम से कम 15 सप्ताह होंगे, जिसमें कम से कम 90 शिक्षण दिवस होंगे।
एक क्रेडिट प्रति सप्ताह एक घन्टे के व्याख्यान (प्रायोगिक कार्य के लिए 2 घण्टे) के बराबर है, यथा-चार क्रेडिट का पाठ्यक्रम एक सेमेस्टर में कुल 60 घण्टे के व्याख्यान के बराबर होगा।
प्रत्येक प्रश्नपत्र में न्यूनतम उत्तीर्ण प्रतिशत होगा, जैसा कि विश्वविद्यालय शैक्षणिक परिषद द्वारा तय किया जायेगा।
साधारणतया पेपर उत्तीर्ण करने के लिए न्यूनतम अंक होंगे तथा वर्षोपरान्त उपाधि प्राप्त करने के लिए न्यूनतम क्रेडिट होंगे। जैसे कि एक वर्षीय सर्टिफिकेट के लिए न्यूनतम 46 क्रेडिट, दो वर्षीय डिप्लोमा के लिए न्यूनतम 92 क्रेडिट तथा स्नातक डिग्री के लिए 138 क्रेडिट अर्जित करने होंगे।
कुल मूल्यांकन = 75 प्रतिशत बाह्य (विश्वविद्यालय परीक्षा द्वारा)$25ः आन्तरिक (सतत् मूल्यांकन)।
वर्ष के अन्त में परिणाम मेजर, माइनर, वोकेशनल व को-करिकुलर सभी प्रकार के कोर्स पर आधारित होगा। सभी प्रकार के कोर्सेस को उत्तीर्ण करना आवश्यक है तथा अंतिम परिणाम जो कि ब्ळच्। के रूप में होगा, सभी कोर्सस में अर्जित ग्रेड्स पर निर्भर करेगा। किन्तु वर्ष के अन्त में उपाधि हेतु कुल अर्जित क्रेडिट में कुछ क्रेडिट की छूट होगी। पाठ्य सामग्री हेतु मानक के संदर्भ में सभी कार्यक्रमों के प्रत्येक स्तर पर प्रत्येक विषय में राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित एक न्यूनतम समान पाठ्यक्रम ;डपदपउनउ ब्वउउवद ैलससंइनेद्ध होगा। विश्वविद्यालयों में पाठ्य समितियों ;ठवंतके वि ैजनकपमेद्ध को इस सामान्य न्यूनतम पाठ्यक्रम में निर्धारित न्यूनतम 70ः के साथ अपना पाठ्यक्रम ;ैलससंइनेद्ध विकसित करना होगा या अधिकतम की कोई सीमा नहीं है। आगे आने वाले सेमेस्टर में प्रश्न-पत्रों का पाठ्यक्रम (ैलससंइनेद्ध उत्तरोत्तर जटिल एवं अनंत सम्भावना युक्त होना चाहिए। सभी सेमेस्टर में प्रश्न-पत्रों के शीर्षक व कार्यक्रम संरचना सभी कक्षाओं/वर्षां में, समस्त विश्वविद्यालयों में समान होगा। यह प्रक्रिया विश्वविद्यालयों के मध्य एकरूपता और सुचारु स्थानांतरण के लिए है। उत्तर प्रदेश के एक विश्वविद्यालय से प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालय को क्रेडिट के हस्तांतरण की अनुमति अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स (ए.बी.सी) के माध्यम से दी जायेगी, जिसे प्रत्येक विश्वविद्यालय अपने डाटा सेन्टर द्वारा प्रबंधित करेगा। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा सभी हितधारकों से अनुरोध किया गया है कि प्रस्तावित पाठ्यक्रमों का अध्ययन कर उन पर अपने सुझाव दिनांक 20, फरवरी 2021 तक अवश्य उपलब्ध करा दें जिससे पाठ्यक्रमों को ससमय अन्तिम रूप देते हुए शैक्षिक सत्र 2021-22 से राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का प्रभावी क्रियान्वयन प्रदेश में किया जा सके।