उत्तर प्रदेश के कद्दावर जननेता नहीं रहें- राम नाईक

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निशब्द नेताजी

राजनीति के एक युगका अंत परम आदरणीय नेताजी का निधन पूरे भारत के लिए अपूर्णनीय क्षति देश ने आज एक बड़ा और जमीनी नेता खो दिया वंचितों, शोषितों और पिछड़ों की‌ आवाज आज सदा के लिए शांत हो गई जिसकी भरपाई अब इस धरती पर कोई नहीं कर पाएगा शत् शत् नमन विनम्र श्रद्धांजलि……!!

उत्तर प्रदेश के कद्दावर जननेता अब नहीं रहें. लम्बे समय तक उत्तर प्रदेश के राजनीतिक इतिहास के रचयिता रहें मुलायम सिंह जी”, इन शब्दों में उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल श्री राम नाईक ने समाजवादी पार्टी के संस्थापक श्री मुलायम सिंह यादव को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की.पूर्व राज्यपाल राम नाईक ने आगे कहा, “वर्ष 1996 से 2004 तक यानी लोक सभा की तीन पारी हम दोनों लोकसभा में साथ में थे. तभी उनसे मित्रता हुई. मुलायम सिंह जी सांसद रहे, मुख्यमंत्री रहें या और कुछ; लेकिन उत्तर प्रदेश की जनता के लिए तो उनकी एक मात्र सही पहचान रही ‘नेताजी’!


जब वर्ष 2014 में मा. राष्ट्रपति जी ने मुझे उत्तर प्रदेश का राज्यपाल मनोनीत किया तब उसी दिन दूरभाष कर मुलायम सिंह जी ने मेरा उत्तर प्रदेश में स्वागत किया. उत्तर प्रदेश के राज्यपाल पद के काल में कई बार समाजवादी पार्टी के कई लोगों ने मुझ पर निशाणा साधा; मगर कभी भी उनमे श्री मुलायम सिंह नहीं थे. मेरा सौभाग्य रहा कि मेरे हातों उन्हें डी.लिट्. से सम्मानित किया गया.”स्व मुलायम सिंह जी की आत्मा को सद्गति प्राप्त हो तथा अखिलेश व सम्पूर्ण परिवार जनों को यह क्षति सहने की शक्ति परमात्मा प्रदान करें, ऐसी प्रार्थना पूर्व राज्यपाल श्री राम नाईक ने की है.

ह्रदय नारायण दीक्षित

मृत्यु परम सत्य है. जिसका जन्म होता है, उसकी मृत्यु सुनिश्चित है. जन्म और मृत्यु के बीच की अवधि जीवन है. कर्म प्रधान जीवन यशस्वी होता है.ऐसे लोग राष्ट्र समाज और विश्व लोकमंगल के लिए काम करते हैं. लेकिन ऐसे लोग विरल होते हैं. उनके गीत गाए जाते हैं, उनके जीवन पर काव्य रचे जाते हैं. अथर्ववेद के अनुसार ‘‘इतिहास पुराण भी उनके साथ हो जाते हैं.‘‘ मुलायम सिंह भारत की राजनीति के चर्चित व्यक्तित्व हैं. उनकी प्रीति और राजनीति में आक्रामकता थी. निजी जीवन में प्रेम और सद्भाव की प्रीतिपूर्ण आक्रामकता और राजनीति में विरोधी पक्ष पर प्रहार. मैं विधान सभा (1985) का सदस्य था. मैंने उत्तर प्रदेश में कृषि की बदहाली पर सवाल उठाया. कांग्रेस सत्ता पक्ष थी. कांग्रेस ने प्रश्नोत्तर में टालू रवैया अपनाया. मुलायम सिंह ने हस्तक्षेप किया. विषय की महत्ता बताई. उनके हस्तक्षेप से बहस हुई. मुझसे कहा ऐसे गंभीर विषय पर पहले ही परामर्श ठीक रहता है. विधान सभा के नए सदस्यों का हौसला बढ़ाते थे. वे आक्रामक विपक्षी नेता थे. नारायण दत्त तिवारी विनम्र मुख्यमंत्री थे. मुलायम सिंह उनका अतिरिक्त आदर करते थे. उन्होंने तिवारी जी के अंतिम दिनों तक उनका साथ दिया. मुलायम सिंह का निधन संघर्षशील राजनीति की अपूरणीय क्षति है. उन्हें हमारी ……..श्रद्धांजलि