विवादों के घेरे में रहा राहुल गांधी का विदेशी प्रवास

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विवादों के घेरे में रहा राहुल गांधी का विदेशी प्रवास
विवादों के घेरे में रहा राहुल गांधी का विदेशी प्रवास

विजय सहगल         

आखिरकार राहुल गांधी का विवादास्पद विदेशी प्रवास समाप्त हो गया। राहुल गांधी का पिछला रिकॉर्ड रहा हैं कि उनका विदेशी प्रवास हमेशा विवादों के घेरे मे रहा है। दुर्भाग्य से इन दिनों यूएस के प्रवास पर भी राहुल गांधी का नेता प्रतिपक्ष के रूप मे दिये गये भाषणों मे उनके बोल बिगड़ गये। अमेरिका प्रवास मे वर्जीनिया,टेक्सास और वाशिंगटन मे मोदी,बीजेपी और आरएसएस पर तीखा राजनैतिक विरोध तो समझ आता है पर वे इन लोगो पर हमला करते करते कब देश विरोधी बयानों पर उतर आये, शायद उन्हे खुद भी आभास नहीं हुआ। राहुल गांधी द्वारा अमेरिका मे दिये गये सिक्खों,आरक्षण समाप्ती और 2024 के संसदीय चुनाव पर चुनाव  आयोग की निष्पक्षता पर उठाये गये सवालों के अतिरिक्त  अमेरिका स्थित भारत विरोधी सांसद लॉबी के साथ बैठक ने उनको और उनकी सोच को शक, शंका और संशय के सवालों के घेरे मे खड़ा कर दिया। उनके छद्म और मनगढ़ंत बयान से देश की राजनीति मे हँगामा खड़ा होना स्वाभाविक था। विवादों के घेरे में रहा राहुल गांधी का विदेशी प्रवास

उन्होने लोकसभा 2024 के चुनावों पर बीजेपी को मिली 240 सीटों की जीत पर संदेह जतलाते हुए कहा कि मुझे नहीं लगता कि निष्पक्ष चुनावों मे बीजेपी 240 सीटों के करीब पहुँच सकती थी? उनके पास बहुत पैसा था, चुनाव आयोग उनकी मर्जी से काम कर रहा था। उन्होने कहा, मै इसे एक निष्पक्ष चुनाव नहीं मानता! राहुल गांधी के आरोपों पर खेद और अफसोस होता है कि यदि चुनाव आयोग का रवैया इतना पक्षपातपूर्ण था तो तमिलनाडू मे उसे 39 सीटों मे 0 सीट क्यों मिली, केरल की  20 सीटों मे बीजेपी की 1 सीट क्यों मिली। पंजाब की 13 सीटों मे बीजेपी का खाता भी न खुल सका और सबसे बड़ी बात बीजेपी अपने गढ़ यूपी की 80 सीटों मे मात्र 36 सीटें ही क्यों जीत सकी।

 यदि चुनाव आयोग का रवैया पक्षपात पूर्ण था तब क्या ये माना जाय काँग्रेस ने स्वतन्त्रता के बाद से देश पर लगभग 70 वर्ष तक सत्ता का सुखोपभोग किया तो चुनाव आयोग ने कॉंग्रेस के पक्ष मे भेदभाव पूर्ण व्यवहार कर सत्ता सौंपी? राहुल गांधी और कॉंग्रेस के ये छद्मारोप, निष्पक्ष, तटस्थ, भारतीय चुनाव आयोग  को बदनाम करने का कुत्सित प्रयास है।

उन्होने वाशिंगटन डीसी मे मोदी के विचार और उनके डर के बारे मे एक  मनगढ़ंत, बनावटी और झूठी कहानी गढ़ उनके डर को समाप्त की घोषणा की और बतलाया कि यह सब अब इतिहास है ! लोकतान्त्रिक भारत मे कॉंग्रेस भाजपा समर्थित एनडीए गठबंधन के तीसरी बार बहुमत से सत्ता मे आने को नकार कर कैसी और कौन सी झूठी कहानी को स्थापित करना चाहती हैं ? आज इंडि गठबंधन मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल की वास्तविकता के  यथार्थ को नकार कर कल्पना लोक  मे जी रहा हैं, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। अपने यूएस की यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने, आरक्षण के विषय मे अपने एक अन्य आपत्तिजनक बयान मे स्थितियाँ अनुकूल होते ही आरक्षण की समाप्ति की घोषणा की। जो राजनैतिक दल, सुप्रीम कोर्ट के एससी, एसटी वर्ग के  प्रभावी और सर्वांगीण विकास के लिये, आरक्षण के लाभ हेतु श्रेणी मे उपश्रेणी बना कर, क्रीमी लेयर को इस से  वंचित करने के पक्ष मे खड़े न हो सके, वे कैसे आरक्षण की समाप्ति की बात कर सकते हैं?      

पाकिस्तान समर्थक अमेरिकी सांसद, ईल्हान उमर जैसे  राष्ट्र विरोधी व्यक्ति  के साथ राहुल गांधी का खड़ा होना चौंकाने वाला हैं! ईल्हान उमर, अमेरिकी डेमोक्रेटिक सांसद हैं और अमेरिका मे भारत विरोधी लॉबी का नेतृत्व के लिये जाने जाते हैं। न केवल पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर अपितु पूरे कश्मीर को पाकिस्तान का बतलाने का समर्थन करते हैं। हर मंच पर भारत का विरोध करने वाले, इस भारत  विरोधी व्यक्ति को, विशेष आमंत्रण पर, राहुल गांधी की मीटिंग मे बुलाया गया था। कश्मीर से धारा 370 और 35ए के हटाये जाने के विरोध करने वाले  ऐसे भारत विरोधी व्यक्तियों के साथ मंच  सांझा कर, कॉंग्रेस और राहुल गांधी, क्या संदेश देना चाहते हैं? विदेश प्रवास पर मोदी सरकार या मोदी का विरोध तो समझ आता हैं पर  देश विरोधी व्यक्तियों के साथ खड़े दिखलाई देना ये दर्शाता हैं कि कॉंग्रेस सत्ता प्राप्ति के लिए किसी भी व्यक्ति और संस्था के साथ मिल कर किसी भी हद तक जा सकती है, भले ही इसके लिए देश विरोध भी क्यों न करना पड़े….?

वाशिंगटन मे 10 सितम्बर की  एक मीटिंग मे एक बलिन्दर सिंह नामक सिक्ख का नाम पूंछते हुए उन्होने कहा कि लड़ाई भारत मे ऐसे सिक्खों के लिए हैं जो हाथ मे कडा नहीं पहन सकते, सर पर पगड़ी नहीं बांध सकते, गुरुद्वारे नहीं जा सकते!! राहुल गांधी का न केवल सिक्खों अपितु देश के अन्य मताबलम्बियों के अपने धर्म के अनुसरण करने पर सवाल उठाना, राहुल गांधी द्वारा न केवल अमेरिका मे अपितु  देश के बारे मे भय, भ्रम, भ्रांति फैलाने का कुत्सित प्रयास है, पूरी दुनियाँ मे भारत देश को बदनाम करने का घिनौना प्रयास  है। राहुल गांधी उस विरासत और उस कॉंग्रेस के प्रतिनिधि हैं जिनके पूर्वजों ने पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी की हत्या के बाद उपजे अभिशाप से 31 अक्टूबर 1984 मे कॉंग्रेस के शासन काल मे तीन हजार से ज्यादा सिक्खों का नरसंहार को  यह कह कर न्यायोचित ठहराने का घृणित प्रयास किया कि, “जब एक बड़ा पेड़ गिरता है, तब पृथ्वी भी हिलती है”। 

आश्चर्य तो इस बात का हैं कि राहुल गांधी के इन झूठी  और कल्पित बयान से गदगद, कनाडा स्थिति खालिस्तानी समर्थक आतंकवादी गुरवंत पन्नू ने कहा, कि राहुल गांधी का ये स्टेटमेंट उसकी अलग खलिस्तान की मांग को न्यायोचित ठहराता है!! राहुल गांधी की अमेरिका मे की गयी गलत बयानी से साफ है कि कॉंग्रेस और राहुल गांधी की कथनी और करनी मे सदा जमीन आसमान का फर्क नज़र आता है।       

भारतीय संविधान की एक अत्यंत महत्वपूर्ण भावना अभिव्यक्ति की आज़ादी हैं। जो राहुल गांधी, हर घड़ी संविधान की प्रति को जेब मे रख कर, उसके रक्षा की दुहाई देते हैं उनके अमेरिका प्रवास पर अभिव्यक्ति की आजादी के हनन की एक शर्मनाक घटना भी सामने आयी। एक पत्रकार वार्ता के पूर्व, इंडिया टूड़े के एक पत्रकार, रोहित शर्मा के साथ सिर्फ इस बात पर गाली  गलौज और  मारपीट की गयी, क्योंकि उन्होने इंडिया ओवरसीज कॉंग्रेस के अध्यक्ष सेम पित्रोदा से ये सवाल पूंछ लिया कि, क्या राहुल गांधी अमेरिकी सांसदों के साथ बैठक मे, बांग्लादेश मे मारे जा रहें  हिंदुओं का मुद्दा उठाएंगे? वहाँ उपस्थित एक  कॉंग्रेस के सदस्य ने चींखते हुए  उनका मोबाइल छीन कर उसका पूरा डेटा डिलीट कर दिया और 45 मिनिट तक एक कमरे मे बंद कर के रक्खा गया। कॉंग्रेस के इतिहास की जानकारी रखने वाले लोग अच्छी तरह जानते हैं कि कॉंग्रेस की तो यह रीति-नीति रही हैं। 1975 मे आपातकाल के दौरान कॉंग्रेस ने  “अभिव्यक्ति की आजादी” का  किस तरह गला घौंटा था और किस तरह मीडिया के लोगो को हिरासत मे रक्खा था, जो  सर्वविदित है। ये घटना बेहद आपत्तिजनक, अपमान जनक और अफसोस जनक हैं।

दरअसल राहुल गांधी और उनके सलाहकारों की ये धारणा हैं कि वो जो कहते हैं वही सत्य है! वे असत्य को भी, ये सत्य है कह कर प्रस्तुत करते हैं। क्या राहुल गांधी से इस बात की अपेक्षा की जा सकती हैं कि उनका अगला विदेशी दौरा विवादों, विरोधाभासों और विद्वेष से रहित होगा….? विवादों के घेरे में रहा राहुल गांधी का विदेशी प्रवास