पित्त दोष के कारण निवारण

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पित्त दोष के कारण निवारण
पित्त दोष के कारण निवारण

पित्त दोष ‘अग्नि’ और ‘जल’ इन दो तत्वों से मिलकर बना है। पित्त शब्द संस्कृत के ‘तप’ शब्द से बना है जिसका मतलब है कि शरीर में जो तत्व गर्मी उत्पन्न करता है वही पित्त है। यह शरीर में उत्पन्न होने वाले एंजाइम और हार्मोन को नियंत्रित करता है। आम भाषा में इसे समझें तो हम जो कुछ भी खाते पीते हैं या सांस द्वारा जो हवा अंदर लेते हैं उन्हें खून, हड्डी, मज्जा, मल-मूत्र आदि में परिवर्तित करने का काम पित्त ही करता है। इसके अलावा जो मानसिक कार्य हैं जैसे कि बुद्धि, साहस, ख़ुशी आदि का संचालन भी पित्त के माध्यम से ही होता है।पित्त में कमी से मतलब है कि आपकी पाचक अग्नि में कमी। अगर शरीर में पित्त दोष ठीक अवस्था में नहीं है तो इसका सीधा मतलब है कि आपके पाचन तंत्र में गड़बड़ी है। ऐसे लोगों को कब्ज़ से जुड़ी समस्याएं ज्यादा होती हैं। जिस व्यक्ति के शरीर में पित्त दोष ज्यादा होता है वो पित्त प्रकृति वाला कहलाता है। पित्त दोष के कारण निवारण

पित्त का शरीर में स्थान- शरीर में पित्त का मुख्य स्थान पेट और छोटी आंत है। इसके अलवा छाती व नाभि का मध्य भाग, पसीना, लिम्फ, खून, पाचन तंत्र व मूत्र संस्थान भी पित्त के निवास स्थान हैं।

पित्त का आपके शरीर और स्वास्थ्य पर प्रभाव

वात की ही तरह पित्त दोष का भी शरीर के स्वास्थ्य और स्वभाव पर प्रभाव पड़ता है। पित्त का मुख्य गुण अग्नि है। पित्त के संतुलित होने से पेट और आंत से जुड़ी सारी गतिविधियां ठीक तरह से होती हैं। गर्मी ना बर्दाश्त कर पाना, शरीर का कोमल और स्वच्छ होना, त्वचा पर भूरे धब्बे, बालों का जल्दी सफ़ेद होना आदि पित्त के लक्षण हैं। इसका एक गुण तरल भी है जिसकी वजह से मांसपेशियों और हड्डियों के जोड़ों में ढीलापन, पसीना, मल और मूत्र का अधिक मात्रा में बाहर निकलने जैसे लक्षण आते हैं। शरीर के अंगों से तेज बदबू (कच्चे मांस जैसी गंध) आना भी पित्त के कारण ही होता है।

पित्त दोष असंतुलित होने के क्या कारण हैं


पित्त दोष के कुछ कारण निम्नलिखित हो सकते हैं-

  • अधिक मात्रा में गर्म खाद्य पदार्थों का सेवन।
  • अत्यधिक मात्रा में तीखे, खट्टे खाद्य पदार्थों का सेवन।
  • अधिक मात्रा में शीतल वस्तुओं का सेवन जैसे कि ठंडी चाय या ठंडे पानी का सेवन।
  • अधिक मात्रा में शाकाहारी आहार का सेवन।
  • नियमित रूप से तंबाकू, शराब या अन्य जंक फूड का सेवन।
  • असंतुलित पित्त दोष के कारण क्या समस्याएँ हो सकती हैं।


असंतुलित पित्त दोष से जुड़ी समस्याएं निम्नलिखित हो सकती हैं

  • पित्त असंतुलन के कारण पेट में जलन या एसिडिटी हो सकती है। इस समस्या से निजात पाने के लिए व्यक्ति को दाखवा, आंतों की चिकित्सा या एंटासिड दवाएं लेने की सलाह दी जाती है।
  • असंतुलित पित्त दोष से आमतौर पर मलत्याग की समस्याएं होती हैं, जो दस्त या अत्यधिक पेट खराबी के रूप में दिखती हैं। ऐसे स्थितियों में शुष्क भोजन, पानी या इलायची का उपयोग किया जाना चाहिए।
  • असंतुलित पित्त दोष से संबंधित समस्याओं में चक्कर, बुखार और पीठ दर्द शामिल हो सकते हैं।
  • त्वचा संबंधी समस्याएं भी असंतुलित पित्त दोष के कारण होती हैं। ये समस्याएं जैसे कि दाद, खुजली, फोड़ों और त्वचा के लाल होने जैसी समस्याएं होती हैं।
  • बार-बार मूत्र करने, मूत्राशय में संक्रमण या पेशाब के साथ रक्त के आने जैसी समस्याएं भी असंतुलित पित्त दोष के कारण होती हैं।
  • इन सभी समस्याओं के अलावा, असंतुलित पित्त दोष से आँखों और अन्य अंगों की समस्याएं भी हो सकती हैं। इस तरह की समस्याओं का सामना करने के लिए व्यक्ति को एलोवेरा, नीम, साबुन, जोहड़ी और अन्य प्राकृतिक उपचारों का उपयोग करना चाहिए।

इस दोष को संतुलित करने के क्या उपाय हैं

  • असंतुलित पित्त दोष के कारण होने वाली समस्याओं को रोकने के लिए कुछ उपाय हो सकते हैं। ये उपाय निम्नलिखित हो सकते हैं:
  • ठंडी चीजों खाएं : पित्त दोष को शांत करने के लिए, ठंडे पदार्थों जैसे कि तरबूज, खीरे, लौकी, ताजा आंवले आदि का सेवन करना चाहिए।
  • घी और क्षीर उत्तम होते हैं : घी और क्षीर पित्त दोष को शांत करने के लिए बहुत उपयोगी होते हैं। इसलिए, इन दोनों का उपयोग करना चाहिए।
  • शाकाहारी खाद्य पदार्थों का सेवन करें : पित्त दोष को शांत करने के लिए शाकाहारी भोजन जैसे कि सब्जियां, फल और अन्य पौष्टिक खाद्य पदार्थों का उपयोग करना चाहिए।
  • बहुत पानी पिएं : पानी पित्त दोष को शांत करने के लिए अत्यधिक मात्रा में पिए जाना चाहिए। पानी शरीर के ऊतकों से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है।
  • योग और प्राणायाम करें : योग और प्राणायाम पित्त दोष को शांत करने में मदद कर सकते हैं। योग और प्राणायाम शरीर को शक्ति प्रदान करते हैं और शांति और स्थिरता उपलब्ध कराते हैं।

पित्त दोष शरीर के लिए खतरनाक हो सकता है। इसलिए, इसे समझना और उसे ठीक करने के लिए उपाय अपनाना बहुत जरूरी होता है। शांति, स्थिरता और स्वस्थ जीवन जीने के लिए पित्त दोष को संतुलित रखना आवश्यक होता है। पित्त दोष एक ऐसा दोष है जो ज्यादातर हमारे पाचन तंत्र के साथ संबंधित होता है। इसका अर्थ है कि जब हम कुछ खाते हैं तो हमारे शरीर में उस खाद्य को पचाने के लिए अग्नि उत्पन्न होती है। इस अग्नि को पित्त भी कहा जाता है। पित्त दोष के कारण निवारण