आज कि नारी समाज कि शक्ति

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अयोध्या। मण्डलायुक्त नवदीप रिणवा, जिलाधिकारी नितीश कुमार,वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शैलेश कुमार पांडेय व मुख्य विकास अधिकारी अनिता यादव ने आजादी के अमृत महोत्सव के अन्तर्गत 44वां अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर जनपद स्तर पर आयोजित ’’अनंता’’ कार्यक्रम का दीप प्रज्जवलित कर शुभारम्भ गांधी सभागार में किया। कार्यक्रम के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं को सम्मानित किया गया तथा विद्यालयों की छात्राआंे द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम व रंगोली बनाकर कार्यक्रम को भव्यता प्रदान की गयी।
मण्डलायुक्त नवदीप रिणवा ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये कहा कि आजादी के सात दशक बाद भी आज महिलाओं के अधिकार और आजादी की बात जारी है, ऐसे में अब हम सबका यह फर्ज बनता है कि आजादी की यह खुशी ग्रामीण अंचलो तक भी पहुंचाएं। ग्रामीण महिलाएं, लड़कियां व युवतियां की आजादी से अपनी खुशी और पसंद को चुन सकें। ऐसे में यह खुशी की बात है कि आज देश की आधी आबादी भारत के साथ पूरे विश्व की तरक्की में अहम भूमिका अदा कर रही हैं। सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक इत्यादि हर क्षेत्र में आज की महिलाएं विकास की उड़ान भर रहीं है। उन्होंने गांधी सभागार में छात्राओं द्वारा प्रस्तुत किये गये सांस्कृतिक कार्यक्रम व प्रेरणा प्रतीक में बनायी गयी रंगोली की प्रशन्सा की गयी।


जिलाधिकारी नितीश कुमार ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये कहा कि आज नारी शक्ति समाज को यह जता चुकी हैं कि दुनिया की तरक्की में उनका योगदान काफी महत्वपूर्ण है। सरकारी सेवा हो या देश रक्षा की बात, राजनीति हो या घर संभालने की बात, प्राइवेट कंपनियों व बैंकों का नेतृत्व हो या स्टार्टअप की बात, ये शक्तियां आज अपने कदम से विकास की इबारत लिख रहीं हैं। आज की लड़कियां, युवतियां व महिलाएं अपना करियर ही नहीं, पहनावा भी खुद की मर्जी से तय करती हैं। आज रूढ़ियों को तोड़ते हुए यह अपना जीवन साथी भी चुनने लगीं हैं। पूरा विश्व 8 मार्च को नारी शक्ति विकास व सम्मान में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के तौर पर मनाती है। इस दिन को महिला क्षमता और सामर्थ्य के तौर पर देखा जाता है।


मुख्य विकास अधिकारी अनीता यादव ने कार्यक्रम का संचालन करते हुय बताया कि अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के इतिहास की संक्षिप्त जानकारी देते हुये बताया गया कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस सबसे पहले 1909 में मनाया गया था। इसे आधिकारिक मान्यता तब दी गई जब 1975 में संयुक्त राष्ट्र ने थीम के साथ इसे मनाना शुरू किया। उन्होंने कहा कि ये दिन महिलाओं की उपलब्धियों को सलाम करने का दिन है। इस दिन को महिलाओं की आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक, सामाजिक तमाम उपलब्धियों के उत्सव के तौर पर मनाया जाता है। साथ ही उन्हें यह ऐहसास कराया जाता है कि वह कितनी खास हैं। इस अवसर पर जिला प्रोबेशन अधिकारी अश्वनी कुमार सहित महिला विद्यालयों के प्रधानाचार्य, अध्यापिकाये छात्राएं व विभिन्न क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रहे संगठन आदि के अलावा जनपदीय महिला अधिकारी व कार्मिक उपस्थित रही।