सरकार को नहीं दिख रहा प्याज का दाम , आम आदमीं के आंख का आंसू निकाल रहा प्याज। सब्जी के भाव लोगों को काफी परेशान कर रहे हैं। त्योहारी सीजन सिर पर है। इस वजह से लोगों का बजट पहले से बढ़ा हुआ है, ऊपर से सब्जियों के बढ़े भाव ने बजट की अर्थी ही निकाल दी है। आपके आंखों से आंसू निकाल रहा प्याज
टमाटर के बाद प्याज के भी भाव आसमान छूने को हैं लेकिन सत्ता के गलियारों में प्याज के भाव की चिंता नहीं चुनाव की चर्चा और चिंता हैं न तो निष्पक्षता से मीडिया सवाल कर रहीं हैं खैर जिस फसल का बहुत कम दाम मिलता है किसान एक या दो साल तक इंतजार के बाद या तो उसकी खेती छोड़ देते हैं या फिर कम कर देते हैं. क्योंकि घाटा सहकर तो कोई खेती करेगा नहीं. यही प्याज के साथ हुआ है. पिछले दो साल से किसान सरकार के सामने गुहार लगा रहे थे कि उनकी लागत नहीं निकल पा रही है. वो एक-दो और पांच रुपये किलो के भाव पर प्याज बेचने के लिए मजबूर हैं. लेकिन, तब उन्हें उचित दाम दिलाने के लिए सरकार नहीं खड़ी हुई। किसानों की इस आवाज को अनसुना करने का परिणाम है कि आज इसका भाव 80 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया है।महज एक महीने के अंदर प्याज की कीमतों में दो गुना से अधिक की वृद्धि हो गयी हैं। मौसम में बदलाव के बीच प्याज की मांग बढ़ी तो इसके भाव भी बढ़ने लगे।
महज 10 दिनों 25 से 30 रुपए में बिकने वाला प्याज 70 से 80 रुपए तक बिक रहा है। इसका असर आम आदमी की जेब में भी पड़ा है और इसने आंसू निकालना शुरू किया है। हालांकि थोक विक्रेता कहते हैं कि दामों में धीरे धीरे कमी आने लगेगी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हैं सिर्फ मुनाफाखोरी के चक्कर में प्याज की कालाबाजारी की जा रहीं हैं। सुल्तानपुर जिले के किसान अरविंद कुमार यादव बताते हैं कि जहां पहले दैनिक उपयोग के लिए प्याज ली जाती थीं आज हप्तों बाद भी लेने की हिम्मत किसान नहीं जुटा पा रहा हैं जो कामगर हैं मजदूरी पेशा हैं यही हाल जिले के गोसाईगंज बाजार का हैं वहां के किसान कंशराज बताते हैं कि जब हम लोग अपने खेतों में तैयार करते हैं तो 15 से 20 रुपये किलों बिकती हैं और जैसे जैसे समय नजदीक आता हैं इसके भाव बढ़ जाता हैं आखिर इसपर सरकार बोलती क्यूं नहीं , जानकर किसान बताते हैं नवरात्रि के बाद से देशभर में प्याज के दाम अचानक बढ़ने लगे हैं। प्रदेश में पिछले दस दिनों में प्याज की कीमतों में लगभग दोगुनी बढ़ोतरी हुई है। यहां अलग-अलग बाजारों में प्याज की खुदरा कीमतें 70 से 80 रुपए/किलो तक पहुंच गई हैं।
महज 10 दिन में प्याज के भाव दोगुना होने से आम आदमी की जेब पर भी बुरा असर पड़ा है। प्याज के रेट में इस तरह से वृद्धि रसोई का बजट प्रभावित कर रहा तो इसमें बिचौलियों के खेल को लेकर भी कयास लगाए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि ठंड बढ़ने और शादी ब्याह का सीजन शुरू होने के साथ प्याज की मांग और बढ़ेगी। इसे देखते हुए प्याज डंप किया जा रहा है।नवीन सब्जी मंडी पयागीपुर प्याज-लहसुन के आढ़ती ने बताया कि पूर्व के दिनों में हुई अधिक वर्षा के कारण बड़ी मात्रा में मध्य प्रदेश में प्याज खराब हो गया है। फिलहाल नासिक से प्याज आ रहा है और आवक कम होने के कारण फुटकर से लेकर मंडी तक में प्याज की कीमत आसमान छू रही है। वहीं आजमगढ़ ठेकमा निवासी बिरजू सरोज ने बताया कि चुनाव के कारण भी कुछ गाडियां कम आ रही हैं, इसलिए भी रेट बढ़े हुए हैं, लेकिन ऐसा नहीं हैं कि बिचौलिए जमाखोरी नहीं कर रहें हैं।
आजमगढ़ में भी फुटकर विक्रेता बताते हैं कि हमें 60 से 70 रुपए के बीच में प्याज मिल रहा है। गृहणियां कहती हैं कि हर सब्जी में प्याज के बगैर काम चलने वाला नहीं है, लेकिन अभी हाल में इसके दाम करीब दो गुना हो गए हैं। इससे काफी दिक्कत हो रही है, बजट गड़बड़ हो रहा है। 60 से 70 रुपए के बीच में प्याज के दाम हैं। ठेला वाले तो 80 और 90 के बीच में बेच रहे हैं।वहीं इलाहाबाद में रहने वाले प्रतियोगी छात्र संजय शाहनी,देवराज भारत ,राहुल यादव , अनुराग ,राम केश , रजनीश चौहान ने बताया कि हम लोगों का प्याज के भाव से एकदम बजट गड़बड़ चल रहा हैं गैंस के भाव से लेकर प्याज के भाव तक सभी आसमान छूने को हैं इधर प्याज की कीमत इतनी अधिक हो गई है कि मध्यम व गरीब वर्ग के लोग कीमत सुनकर ही खरीदारी नहीं करते हैं। समाजसेवी संतोष यादव पीतांबर सेन कहते हैं कि सरकार को सब्जी के दाम नियंत्रण करना चाहिए। कभी टमाटर 110 रूपए किलो बिकता है कभी 10 रुपए में बिकने लगता है।
सरकार को इसके दामों को नियंत्रित करने के लिए सीजन के थोड़ा पहले अपने अधिकारियों को अलर्ट करे। नए सिस्टम को विकसित करे।जिससे आम आदमी की जेब न कट सके। अयोध्या पारा निवासी किसान यूनियन अराजनैतिक के जिलाध्यक्ष अरविंद यादव ने कहां पूरे जनपद में किसानों की जेब पर डाका डाला जा रहा हैं लेकिन सरकार सिर्फ चुनाव पर चर्चा करती हैं किसानों पर नहीं। किसानों को उनकी फसलों का वाजिब मूल्य नहीं नहीं मिल रहा हैं। एड् कुलदीप जनवादी ने कहां क्या गच्चा खा गया नफेड।सरकार नफेड से प्याज का बफर स्टॉक इसलिए मेंटेन करवाती है ताकि जब बाजार में बहुत ज्यादा दाम बढ़े तो उस प्याज को सस्ते दरों पर बेचकर उपभोक्ताओं को राहत दिलाई जा सके. लेकिन इस बार नफेड गच्चा खा गया. जब अगस्त में प्याज का दाम 25 से 30 रुपये किलो के बीच था तभी उसने प्याज निकालना शुरू कर दिया. इस साल नफेड ने रिकॉर्ड पांच लाख टन प्याज बफर स्टॉक के लिए खरीदा है. जिसमें से काफी हिस्सा वो बाजार में पहले से निकाल चुका है। इस बात में कोई शक नहीं है कि दाम ज्यादा बढ़ने से महंगाई बढ़ती है. लेकिन महंगाई के लिए क्या टमाटर, प्याज, दालें, गेहूं और चावल ही जिम्मेदार हैं. हमें इस पर भी विचार करने की जरूरत है। किसी भी चीज का दाम इतना अधिक नहीं बढ़ना चाहिए कि वो उपभोक्ताओं की पहुंच से बाहर हो जाए और इतना भी नहीं घटना चाहिए कि किसान उसकी खेती बंद या कम कर दे।
इसलिए किसानों को उनकी लागत से ज्यादा दाम तो देना ही होगा। वरना एक-दो साल आप जिस चीज को बहुत सस्ता खाएंगे हो सकता है तीसरे साल वो आपकी पहुंच से बाहर हो जाए।उत्पादन लागत और दाम पिछले दो साल से महाराष्ट्र के किसान एक-दो से लेकर पांच-सात रुपये किलो तक पर ही प्याज बेचने को मजबूर थे. लेकिन, उत्पादन लागत कितनी आती है इसे भी समझ लीजिए. नेशनल हॉर्टिकल्चरल रिसर्च एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन के हवाले से आरबीआई के कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर बैंकिंग ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि साल 2014 के खरीफ सीजन के दौरान महाराष्ट्र में प्याज की उत्पादन लागत 724 रुपये प्रति क्विंटल आती थी. मतलब 2023 में किसानों को एक दशक पुरानी उत्पादन लागत भी नहीं मिल रही है. अब सोचिए कि उनकी आय कैसे डबल होगी. क्या सरकार को प्याज के वर्तमान उत्पादन लागत और दाम के बारे में पता नहीं है? अगर किसान यह कह रहे हैं कि अब प्याज की लागत 15 से 20 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है तो 2014 के आंकड़े को देखते हुए इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है. क्योंकि खाद, पानी, श्रम, खेती की जुताई, बीज की कीमत और कीटनाशक आदि का खर्च काफी बढ़ चुका है. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिर उत्पादन लागत के मुताबिक दाम क्यों नहीं बढ़ा?
क्या चाहते हैं किसान यहां यह भी सवाल आता है कि कोई सरकार किसानों को क्यों नाराज करना चाहेगी. आखिर वो प्याज किसानों के भले की नीतियां क्यों नहीं बनाती?आज हाशिए की नोक रह रहने वाला किसान हमेशा मंदी की मार झेल रहा हैं किसानों की आखिर किसकों चिंता हैं। यहीं वजह हैं सरकार सिर्फ फ्री राशन की डोज बढा़ रहीं न कि फसलों के वाजिब दाम। जमाखोरी पर कोई शिकंजा भले न लगें लेकिन मंचों से बड़ी बड़ी बाते जरुर सुनने को मिलेगी लोकसभा के चुनाव नजदीक हैं मुफ्त राशन और भाषण से आम जनता को खुश किया जा रहा हैं धान की फसलें तैयार हैं किसानों के धान औने पौने दामों पर लिए जा रहा हैं सरकारी कर्मचारी सिर्फ खानापूर्ति का काम कर रहें हैं बडे़ व्यापारियों से खरीददारी कराकर मोटे कमीशन ऐठ रहें हैं लेकिन कोई सुध लेने वाला नहीं हैं। यहीं वजह हैं किसानों के आत्महत्या की खबरें हमें और आपको अकसर देखने को मिलती हैं। आपके आंखों से आंसू निकाल रहा प्याज