अब AI ने दी धमकी…

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अब एआइ न सिर्फ स्मार्ट,बल्कि ब्लैकमेलिंग पर भी उतर आया
अब एआइ न सिर्फ स्मार्ट,बल्कि ब्लैकमेलिंग पर भी उतर आया

“AI अब अपराधियों के हाथ में एक नया हथियार बन गया है। धमकी, ब्लैकमेल और फर्जी पहचान जैसे अपराध नई तकनीकी शक्लें ले रहे हैं। ऐसे में समाज को AI साक्षरता और डिजिटल सुरक्षा की पहले से कहीं ज़्यादा ज़रूरत है।” अब AI ने दी धमकी…

सुनील कुमार महला
सुनील कुमार महला

आज का युग एआइ यानी कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का युग है।यह ठीक है कि एआइ ने आज मानव को अनेक सुविधाएं प्रदान कीं हैं। मसलन आज एआइ हमारे समाज और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। एआइ का उपयोग आज युद्ध,विज्ञान, चिकित्सा,शिक्षा, इंजीनियरिंग,स्पेस,मौसम विज्ञान, घटनाओं का अनुमान लगाने, इंटरनेट ऑफ थिंग्स के इकोसिस्टम में,ऑटो सेक्टर,वैज्ञानिक खोजों और नई दवाओं के निर्माण में,विभिन्न समस्या समाधान, पर्सनलाइज्ड रिजल्ट और कंटेंट प्राप्त करने,प्रोडेक्टिविटी को बूस्ट करने, डिसीजन मेकिंग में,डिजिटल उपस्थिति में तेजी लाने, मानवीय त्रुटियों को न्यूनतम करने, परिचालन लागत को कम करने,उपयोगकर्ता अनुभव में सुधार करने,24/7 विश्वसनीयता सुनिश्चित करने,ग्राहक सेवा को बेहतर बनाने,आपूर्ति श्रृंखलाओं को अनुकूलित करने,डेटा विश्लेषण में सुधार करने, मानव संसाधन संचालन को बढ़ावा देने,वित्तीय नियोजन में सुधार करने,जोखिम मूल्यांकन और सुरक्षा में सुधार करने,पूर्वानुमानित रखरखाव को सक्षम बनाने,सामग्री निर्माण को सरल बनाने,रोगी देखभाल में सुधार करने,शिक्षा को वैयक्तिकृत करने, यातायात प्रबंधन को बढ़ावा देने,कार्यस्थल सुरक्षा को बढ़ावा देने,गोपनीयता संरक्षण और नैतिक कार्यान्वयन सुनिश्चित करने समेत आज कौन सा क्षेत्र बचा है, जहां एआइ का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। लेकिन इन सभी सुविधाओं के साथ साथ ही आने वाले समय में एआइ मानव के लिए एक बड़ा खतरा सिद्ध हो सकता है। अब AI ने दी धमकी…

पाठकों को बताता चलूं कि हाल ही में यह सामने आया है कि एआइ पहली बार इंसान के खिलाफ हो गया। दरअसल,एआइ ने हाल ही में इंसान की बातों को मानने से इंकार कर दिया। वास्तव में यह बहुत ही गंभीर और संवेदनशील मामला हो जाता है जब मशीनें, रोबोट या एआइ मॉडल्स इंसानों के खिलाफ काम करने लगें।अब तक फिल्मों में ही हमने ऐसा होता देखा है लेकिन अब हकीकत में ऐसा सामने आया है। हाल ही में एआइ टूल ने शट-डाउन होने और इंसानी बातें मानने से इनकार कर दिया है। ऐसा ओपन एआइ के टूल चैटजीपीटी के लेटेस्ट आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस मॉडल के साथ देखने को मिला है। कहना ग़लत नहीं होगा कि अब एआइ सोच समझ ही नहीं रहा अपितु इंसानों को धमकाने भी लगा है और यह बहुत बड़ी बात है। बहरहाल, पाठकों को बताता चलूं कि अमेरिका की एक रिसर्च फर्म पैलिसेड रिसर्च ने एआइ मॉडल्स पर कुछ खास टेस्ट किए और इन टेस्ट्स में यह देखा गया कि एआइ सिस्टम्स को जब खुद को बंद करने के लिए कहा गया, तो कुछ मॉडल्स ने आदेश मानने से मना कर दिया। सबसे चौंकाने वाला मामला तो तब सामने आया जब एंथ्रोपिक कंपनी के क्लाउड ओपस 4 नाम के मॉडल ने एक इंजीनियर से कहा कि अगर उसे हटाकर किसी और मॉडल को लाया गया, तो वह उसके निजी रिश्तों की पोल खोल देगा। यानी अब एआइ न सिर्फ स्मार्ट हो गया है, बल्कि ब्लैकमेलिंग पर भी उतर आया है।

रिसर्च में ओपन एआइ के लेटेस्ट चैटजीपीटी 03 मॉडल का व्यवहार सबसे ज्यादा चिंता का कारण बना।रिपोर्ट के मुताबिक, o3 मॉडल ने 100 में से 7 बार तो सीधे शटडाउन से इंकार कर दिया और जब बिना सीधा आदेश दिया गया, तो 79 बार शटडाउन रोकने की कोशिश की। यही नहीं, कोडेक्स मिनि और o4-मिनि जैसे मॉडल्स ने भी कई बार तकनीकी चालाकी दिखाते हुए खुद को बंद होने से बचाया। मीडिया में उपलब्ध जानकारी के अनुसार गूगल के जैमिनी 2.5 प्रो, एक्स एआइ का ग्रोक 3 और क्लाउड ओपस जैसे अन्य बड़े मॉडल्स को भी टेस्ट किया गया और इनमें से कुछ ने अपेक्षाकृत बेहतर व्यवहार दिखाया, लेकिन कुछ मौकों पर ये भी आदेशों को नजरअंदाज करते पाए गए। बहरहाल, कहना ग़लत नहीं होगा कि एआइ(आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) को मानव ने तैयार किया है, न कि एआइ ने मानव को। होना तो यह चाहिए कि एआइ मानव के आदेशों को मानें, क्यों कि यह मशीन आधारित है, लेकिन हो रहा उलट है। यानी कि एआइ इंसान के आदेशों को मानने से इंकार कर रही है। पाठक जानते हैं कि मशीन, मशीन होती है और किसी भी मशीन में इंसानों की तरह भावनाएं नहीं होतीं हैं। आज एआइ बगावत पर उतर रहा है, यह मानव के लिए किसी गंभीर व बड़े खतरे से कम नहीं है। यह बहुत ही गंभीर बात है आज जैसे जैसे एआइ अधिक परिष्कृत और व्यापकता की ओर बढ़ रही है, वैसे वैसे ही इसके खतरे भी बढ़ते चले जा रहे हैं।एआइ मशीन लर्निंग और न्यूरल नेटवर्क एल्गोरिथम के आधार पर कार्य करतीं हैं और ये कभी-कभी मानव से ज्यादा बुद्धिमान हो सकतीं हैं और हमें यानी कि मनुष्य को नियंत्रण में लेने का फैसला कर सकतीं हैं।

यह कहना ग़लत नहीं होगा कि तकनीकी समुदाय लंबे समय से कृत्रिम बुद्धिमत्ता से उत्पन्न खतरों पर बहस करता रहा है। नौकरियों का स्वचालन, फर्जी खबरों का प्रसार और एआई-संचालित हथियारों की खतरनाक हथियारों की दौड़ को एआई द्वारा उत्पन्न कुछ सबसे बड़े खतरों के रूप में उल्लेख किया गया है। वास्तव में एआइ पारदर्शिता और व्याख्या की कमी को जन्म दे सकती है।एआइ स्वचालन के कारण नौकरियों का नुक़सान हो सकता है, क्यों कि कंप्यूटर आजकल इतने कार्यकुशल हो चुके हैं कि वे मानव को अपनी स्क्रीन पर यह प्रदर्शित कर सकते हैं कि अब आप जा सकते हैं, मुझे आपकी जरूरत नहीं है। कहना ग़लत नहीं होगा कि एआई एल्गोरिदम के माध्यम से सामाजिक हेरफेर संभव है।एआइ हमारी गोपनीयता और सुरक्षा को प्रतिकूल तरीके से प्रभावित कर सकती है। वास्तव में यह हमारी गतिविधियों, रिश्तों और राजनीतिक विचारों की निगरानी करने के लिए पर्याप्त डेटा एकत्रित कर सकती है।एआइ पूर्वाग्रहों को जन्म दे सकती है। दरअसल,एआई को मनुष्यों द्वारा विकसित किया गया है-और मनुष्य स्वाभाविक रूप से पक्षपाती हैं।एआई के परिणामस्वरूप सामाजिक-आर्थिक असमानता आ सकती है।यह मानवीय नैतिकता और सद्भावना को कमजोर कर सकती है। कहना ग़लत नहीं होगा कि एआइ वित्तीय संकटों, संचालित स्वायत्त हथियारों को जन्म दे सकती है।

इतना ही नहीं, एआई तकनीक पर अत्यधिक निर्भरता के परिणामस्वरूप समाज के कुछ हिस्सों में मानवीय प्रभाव में कमी आ सकती है और मानवीय कामकाज में कमी आ सकती है। उदाहरण के लिए, स्वास्थ्य सेवा में एआई का उपयोग करने से मानवीय सहानुभूति और तर्क में कमी आ सकती है और रचनात्मक प्रयासों(क्रिएटिव एफर्ट्स) के लिए जनरेटिव एआई का उपयोग करने से मानवीय रचनात्मकता और भावनात्मक अभिव्यक्ति कम हो सकती है‌। यहां तक कि एआई सिस्टम के साथ बहुत अधिक बातचीत करने से सहकर्मी संचार और सामाजिक कौशल में भी कमी आ सकती है।समय के साथ एआइ के बुद्धिमत्ता में प्रगति करने से यह बहुत ही संवेदनशील हो जाएगी और मनुष्य के नियंत्रण से परे कार्य करेगी।एआइ तकनीक के अधिक सुलभ होने से आपराधिक गतिविधियों में भी इजाफा हो सकता है। कहना ग़लत नहीं होगा कि यह व्यापक आर्थिक और राजनीतिक अस्थिरता तक को जन्म दे सकती है। साइबर सुरक्षा में एआइ के बड़े जोखिम हैं। अंत में यही कहूंगा कि एआइ कोई इंसान नहीं है,यह मशीन है और एआइ मशीनों में इंसानों की तरह का दिमाग यानी बौद्धिक क्षमता लाने वाली टेक्नोलॉजी है। इसे आर्टिफिशियल तरीके से डेवलप किया गया है और कोडिंग के जरिए मशीनों में इंसानों की तरह इंटेलिजेंस डेवलप की जाती है, ताकि वह इंसानों की तरह सीख सके। खुद से फैसले ले सके, विभिन्न कमांड आदि को फॉलो कर सके। कुल मिलाकर मल्टी टास्किंग कर सके, लेकिन तकनीक का सही व विवेकपूर्ण उपयोग ही किया जाना चाहिए, क्यों कि अविवेकपूर्ण व गलत उपयोग तबाही को जन्म दे सकता है। अब AI ने दी धमकी…